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Session App: दिल्ली में आतंकियों ने जिस ऐप का यूज किया, कैसे करता है वो काम? न सिम चाहिए, न ई-मेल

नई दिल्‍ली. सोमवार शाम को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके ने पूरे देश का हिलाकर रख दिया है. जांच एजेंसियां इस हमले की तह तक जाने की कोशिश में लगी हैं और उन्‍हें महत्‍वपूर्ण सुराग भी हाथ लगे हैं. आतंकी उमर और उसके गिरफ्तार साथी डॉक्टरों को लेकर नया खुलासा हुआ है. फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में गिरफ्तार आतंकी डॉक्टर्स और उमर के तुर्की में बैठे हैंडलर्स की पहचान हो गई है. हमले को अंजाम देने वाले लोग UKasa नाम के इस हैंडलर के साथ सेशन नामक ऐप (Session App) के माध्‍यम से संपर्क में थे. आतंकियों के सेशन ऐप इस्‍तेमाल की खबर सामने आते ही अब यह सुर्खियों में आ गया है. भारत में सेशन को अब तक 10 लाख से ज्‍यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है.

सेशन (Session) एक फ्री, ओपन-सोर्स मैसेजिंग ऐप है जो प्राइवेसी और सिक्योरिटी पर फोकस करता है. सेशन का मुख्य उद्देश्य यूजर्स को बिना पर्सनल जानकारी शेयर किए सुरक्षित चैटिंग की सुविधा देना है. यह एंड्रॉइड, iOS, विंडोज, मैक और लिनक्स पर उपलब्ध है. Session को Session Foundation नामक संस्था ने विकसित किया है, जो स्विट्ज़रलैंड में स्थित है. संस्‍था की वेबसाइट के अनुसार, यह संगठन इंटरनेट की मूल भावना , गोपनीयता, स्वतंत्रता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए काम करता है. इसका लक्ष्य है कि इंटरनेट फिर से वही बने, जहां यूजर के पास अपने डेटा पर पूरा नियंत्रण हो.

न फोन नंबर की जरूरत न ई-मेल की

Session की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे इस्तेमाल करने के लिए न फोन नंबर चाहिए, न ईमेल एड्रेस. यानी आपका अकाउंट पूरी तरह अनाम (Anonymous) रहता है. ऐप आपको एक Account ID देता है, जिसके जरिए आप किसी से भी सुरक्षित तरीके से बात कर सकते हैं. आपकी पहचान, संपर्क जानकारी या IP एड्रेस कभी भी सामने नहीं आता. Session की एक और बड़ी खूबी यह है कि यह Lokinet onion routing तकनीक का इस्तेमाल करता है, जो आपके IP एड्रेस को छिपा देती है. यानी न ऐप को पता चलता है कि आप कहां से ऑनलाइन हैं, न किसी तीसरे व्यक्ति को.

डिसेंट्रलाइज्‍ड सर्वर

जहां बाकी ऐप्स के सर्वर किसी एक जगह होते हैं, वहीं Session का नेटवर्क दुनिया भर में फैले यूज़र-ऑपरेटेड सर्वर्स पर आधारित है. इसका मतलब है कि इसमें कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता. इसलिए डेटा लीक या हैकिंग का खतरा लगभग शून्य है. इससे न सिर्फ यूजर की चैट सुरक्षित रहती है बल्कि कोई भी संस्था या सरकार आपके मैसेज या डेटा को ट्रैक नहीं कर सकती.

सेव नहीं होता डेटा, ट्रैकिंग संभव नहीं

Session न तो यूजर की चैट हिस्ट्री को सेव करता है, न ही मेटाडाटा (जैसे कि कौन कब और किससे बात कर रहा है) को लॉग करता है. इसका मतलब है कि यूजर की ऑनलाइन एक्टिविटी पूरी तरह निजी रहती है. कई बार सरकारें या कंपनियां इन्हीं मेटाडाटा के आधार पर यूज़र्स की प्रोफाइल तैयार करती हैं. Session इस प्रक्रिया को पूरी तरह खत्म कर देता है.

ओपन-सोर्स और फ्री

Session ऐप फ्री और ओपन-सोर्स है. इसका मतलब है कि कोई भी डेवलपर इसका कोड देख सकता है और जांच सकता है कि यह सचमुच सुरक्षित है या नहीं. यह ऐप बिना किसी विज्ञापन और ट्रैकर के चलता है.

ग्रुप चैट और फाइल शेयरिंग

इस ऐप में यूजर 100 लोगों तक के ग्रुप चैट बना सकते हैं, जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं. इसके अलावा, वॉयस क्लिप्स, फोटो, डॉक्युमेंट्स या कोई भी फाइल शेयर की जा सकती है. ये Lokinet नामक ऑनियन रूटिंग नेटवर्क से गुजरते हैं, जो डिसेंट्रलाइज्ड सर्विस नोड्स (Oxen नेटवर्क) पर चलता है. इससे मेटाडेटा (जैसे IP एड्रेस, लोकेशन) छिपा रहता है.

वॉट्सऐप और टेलीग्राम से कितना अलग है सेशन ऐप?

टेलीग्राम, वॉट्सऐप और Session तीनों चैटिंग प्लेटफॉर्म एक ही काम करते हैं, लेकिन इनकी सोच, तकनीक और सुरक्षा फीचर्स में बहुत बड़ा फर्क है. Session एक नया मैसेजिंग ऐप है जिसे खास तौर पर प्राइवेसी और गुमनामी (anonymity) को ध्यान में रखकर बनाया गया है. जहां वॉट्सऐप और टेलीग्राम अपने चैट सर्वर को एक जगह या कंपनी के कंट्रोल में रखते हैं, वहीं Session का नेटवर्क डिसेंट्रलाइज्ड है. इसका मतलब यह हुआ कि इसका कोई सेंट्रल सर्वर नहीं है. इस कारण यहां डेटा लीक, ट्रैकिंग या हैकिंग की संभावना लगभग खत्म हो जाती है.p

वॉट्सऐप पर भले ही सभी चैट्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड (E2EE) हों, लेकिन इसका मेटाडेटा यानी किसने, कब और किससे बात की, यह डेटा Meta (Facebook) के पास जाता है. टेलीग्राम में सिर्फ “सीक्रेट चैट्स” में ही एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन होता है, बाकी चैट्स कंपनी के क्लाउड सर्वर पर सेव होती हैं.

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