खैरथल का सत्तरसाल पूराना झूलेलाल मंदिर… आस्था, सेवा और सांस्कृतिक एकता की अनोखी मिसाल

Last Updated:November 09, 2025, 22:17 IST
खैरथल शहर का झूलेलाल मंदिर सिंधी समाज की आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है. 70 वर्ष पूर्व स्थानीय सिंधी समाज द्वारा स्थापित यह मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए श्रद्धा और शांति का स्थान है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं. मंदिर में झूलेलाल जी की संगमरमर से निर्मित प्रतिमा स्थापित है, और यहां चेटीचंड, चालिहा महोत्सव जैसे पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं.
अलवर. खैरथल शहर का झूलेलाल मंदिर न केवल सिंधी समाज की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन चुका है. आनंद नगर कॉलोनी में स्थित यह भव्य मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए श्रद्धा और शांति का स्थान है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु झूलेलाल महाराज के दर्शन कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं. लगभग 70 वर्ष पूर्व स्थानीय सिंधी समाज द्वारा बाबा खूबचंद साहिब की प्रेरणा से इस मंदिर की नींव रखी गई थी. संगमरमर से निर्मित झूलेलाल जी की मनमोहक प्रतिमा मंदिर के गुंबद में विराजमान है, जो भक्तों के लिए आकर्षण और आस्था का केंद्र है. मंदिर की स्थापना का उद्देश्य “धर्म, सेवा और संस्कृति को एक मंच पर लाना” था, और आज यह उद्देश्य पूर्ण रूप से साकार हो रहा है.
खैरथल, तिजारा जिले के इस शहर में स्थित इस मंदिर में पूज्य बाबा शीतलदास लालवानी के सान्निध्य और सिंधी पंचायत अध्यक्ष मुखी मनोहरलाल रोघा के नेतृत्व में नियमित धार्मिक आयोजन होते हैं. यहां हर साल चेटीचंड, चालिहा महोत्सव जैसे पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं, प्रत्येक माह की चांद की रात को पूज्य बहराणा साहिब का आयोजन, भजन संध्या और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भक्तों को आध्यात्मिकता और संस्कृति से जोड़ती हैं. मंदिर परिसर में पूज्य गुरु ग्रंथ साहिब भी विराजमान हैं, जिसमें प्रतिदिन अरदास और कीर्तन का आयोजन होता है, जिससे सैकड़ों श्रद्धालु धर्मलाभ प्राप्त करते हैं.
झूलेलाल मंदिर में आते है सभी समुदाय के लोग
यह मंदिर केवल पूजा-पाठ का स्थल नहीं, बल्कि सेवा और संस्कारों की पाठशाला भी है. यहां समय-समय पर सिंधी समाज द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाए जाते हैं, पर्यावरण संरक्षण अभियानों का आयोजन होता है और भारतीय सिंधु सभा के सहयोग से सिंधी भाषा की कक्षाएं भी चलती हैं. झूलेलाल मंदिर सभी समुदायों के लिए खुले दिल से स्वागत करता है. वैश्य समाज, पंजाबी समाज, ब्राह्मण समाज, पुष्करणा समाज, सिख समाज समेत विभिन्न वर्गों के लोग यहां आकर श्रद्धा अर्पित करते हैं.
पूज्य सिंधी पंचायत और झूलेलाल सेवा मंडल सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, जिससे यह मंदिर खैरथल का सबसे सद्भावी स्थल बन चुका है. मुखी मनोहरलाल रोघा ने बताया कि जल्द ही एक भव्य झूलेलाल मंदिर परिसर और धर्मशाला का निर्माण होने की योजना है, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को और बेहतर सुविधाएं मिल सकें. झूलेलाल मंदिर खैरथल की न केवल धार्मिक पहचान है, बल्कि यह एक संस्कारी, सौहार्दपूर्ण और संगठित समाज की प्रेरक मिसाल भी है. यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों को धर्म, सेवा और संस्कृति का उज्जवल मार्ग दिखाता रहेगा.
Monali Paul
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें
Location :
Alwar,Rajasthan
First Published :
November 09, 2025, 22:17 IST
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खैरथल का झूलेलाल मंदिर, सिंधी समाज की आस्था और सांस्कृतिक एकता का केंद्र



