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शमिता शेट्टी को हुई एंडियोमेट्रियोसिस बीमारी, कहीं आपकी बेटी तो नहीं हो रही इसकी शिकार, डॉ. से जानें लक्षण से लेकर इलाज

हाइलाइट्स

बॉलीवुड एक्‍ट्रेस शमिता शेट्टी के अलावा, श्रुति हसन, सुमोना चक्रवर्ती को भी एंडोमेट्रियोसिस बीमारी हो चुकी है. लड़कियों को पीरियड्स के दौरान होने वाला तेज दर्द, क्रैंप एंडोमेट्रियोसिस बीमारी का भी लक्षण हो सकता है.

Shamita Shetty health news: बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्‍पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी फिलहाल एंडियोमेट्रियोसिस नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं. सोशल मीडिया पर अस्‍पताल के बेड से ही जानकारी देते हुए शमिता ने बताया कि लंबे समय तक दर्द झेलने के बाद उनकी सर्जरी हो चुकी है और जल्‍द ही वे ठीक होने की उम्‍मीद कर रही हैं. इस बीमारी से अभिनेत्री श्रुति हसन, टीवी एक्‍ट्रेस सुमोना चक्रवर्ती सहित हॉलीवुड की कई एक्‍ट्रेस पीड़‍ित रह चुकी हैं. शमिता ने इस बीमारी को लेकर महिलाओं से जागरुक होने की भी बात कही. आपको बता दें कि जो बीमारी शमिता शेट्टी को हुई है वह किसी भी लड़की या महिला को हो सकती है. संभव है कि पीरियड्स के दौरान दर्द से कराहती आपकी बेटी को भी ये बीमारी हो लेकिन आपने इसे सामान्‍य दर्द मानकर इग्‍नोर कर दिया हो.

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की मानें तो बहुत सारी लड़कियां और महिलाएं इस बीमारी को झेल रही होती हैं लेकिन फौरी तौर पर पेन किलर खाकर इसके दर्द से राहत पा लेती हैं और इलाज के लिए सामने नहीं आ पातीं. जब तक वे अस्‍पताल पहुंचती हैं तो उन्‍हें कई गंभीर समस्‍याएं हो चुकी होती हैं. एंडियोमेट्रियोसिस बीमारी को लेकर फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट गुरुग्राम की डायरेक्‍टर और एनसीआर की टॉप गायनेकोलॉजिस्‍ट डॉ. सुनीता मित्‍तल से जानते हैं हर सवाल का जवाब..

सवाल- एंडोमेट्रियोसिस बीमारी महिलाओं में कितनी कॉमन है? जवाब. यह बीमारी महिलाओं को पहले भी होती थी लेकिन पहले इतना डायग्‍नोसिस नहीं हो पाता था. महिलाएं सफर करती रहती थीं और इसे पीरियड्स का दर्द मानकर झेलती रहती थीं. उन्‍हें पता ही नहीं होता था कि उन्‍हें ये बीमारी है. आजकल डायग्‍नोसिस जल्‍दी हो जाता है तो यह बीमारी आसानी से सामने आ रही है. भारत में 10 से 15 फीसदी फीमेल्‍स में ये बीमारी आजकल मौजूद है. इसमें महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेल्विक एरिया या लोवर एब्‍डोमन यानि पेट के निचले हिस्‍से में तेज दर्द होता है. मांसपेशियों में खिंचाव होता है. दर्द इतना असहनीय होता है कि फौरन दवा या इंजेक्‍शन तक लेना पड़ता है.

सवाल- किस उम्र में ये बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है? जवाब. यह बीमारी पीरियड शुरू होने से लेकर मेनोपॉज तक हो सकती है. इसे 12-13 साल से लेकर 45-48 की उम्र तक माना जा सकता है. मुख्‍य रूप से रिप्रोडक्टिव उम्र में यह परेशानी होती है. इस दौरान यह अविवाहित या विवाहित किसी भी महिला को किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है.

सवाल- इस बीमारी के लक्षण क्‍या हैं? जवाब- इसके दो लक्षण हैं, इनफर्टिलिटी और पीरियड्स के दौरान पेल्विक एरिया या पेट के निचले हिस्‍से में तेज दर्द होना. क्रैंप्‍स आना, इंटरकोर्स के बाद दर्द, पेशाब करने या मल त्‍याग के दौरान भी दर्द, पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा कमजोरी आदि.

सवाल. क्या इस बीमारी के बाद फर्टिलिटी पर असर पड़ता है? जवाब. इस बीमारी के दो ही असर होते हैं. एक तो पीरियड्स में गंभीर दर्द और दूसरा है कंसीव करने में दिक्‍कत. इस बीमारी की वजह से इनफर्टिलिटी होती है. इसका दूसरा पहलू ये भी है कि अगर आप बच्‍चे पैदा करने में अक्षम महिलाओं की जांच करेंगे तो उनमें से करीब 30-35 फीसदी में एंडोमेट्रियोसिस ही बीमारी सामने आती है.

सवाल- क्या इसका इलाज भारत में संभव है? जवाब- हां, इसका भारत में अच्‍छा इलाज है. पिछले 40 साल से तो मैं ही कर रही हूं. इसका दवाओं से और सर्जिकल दोनों ही तरीके से इलाज किया जाता है. अगर किसी को दवा दी जाती हैं तो करीब 6 से 8 महीने तक मरीज दवाओं पर रहती है और फिर उसकी जांच होती है. इसके अलावा सर्जिकल में लेप्रोस्‍कोपी होती है. इनफर्टिलिटी और पेन दोनों में ही सर्जरी हो सकती है.

सवाल- क्या इस बीमारी का संबंध किसी खास तरह की लाइफस्टाइल या स्ट्रेस आदि से है?जवाब- यह बीमारी जेनेटिक होती है. फैमिली में रन करती है. इसका लाइफस्‍टाइल डिसऑर्डर से खास लेना देना नहीं होता.

सवाल- बचाव का कोई उपाय है क्‍या? जवाब- चूंकि यह जेनेटिक है तो कोई ऐसा बचाव नहीं है लेकिन महिलाओं और लड़कियों को सुझाव है कि वे बच्‍चे जल्‍दी कर लें. 30 की उम्र से पहले. प्रेग्‍नेंसी के बाद यह जल्‍दी खत्‍म हो जाती है. वहीं अगर प्रेग्‍नेंसी नहीं ठहर रही है, भले ही दर्द नहीं है तो भी डॉक्‍टर को जरूर दिखाएं ताकि इनफर्टिलिटी से बचाव हो सके.

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FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 14:38 IST

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