जंगल और पहाडियों के बीच विराजमान है दो शिवलिंग वाले शानका महादेव, दुर्गम रास्ते से यहां पहुंचते हैं भक्त-shanka-mahadev-with-two-shivalingas-is-situated-amidst-the-forest-and-hills-devotees-reach-through-inaccessible-path

सिरोही : सिरोही जिले से होकर गुजरने वाली अरावली की पहाडियों में जंगल और पहाडियों के बीच कई प्राचीन शिव मंदिर है. जिनमें भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. श्रावण मास में इन मंदिरों में भक्त कई कठिनाइयां पार कर आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है शानका महादेव मंदिर. ऋषिकेश के जंगलों में पहाडियों के बीच बना ये मंदिर अपने आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए जाना जाता है. मंदिर के पास पेड़ और पहाडियों से गुजरने वाला बरसाती नाला नजर आता है.
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको आबूरोड शहर से उमरणी गांव में ऋषिकेश मंदिर आना होगा. यहां मंदिर के पास से करीब 1-1.5 किलोमीटर पगडंडी के रास्ते से आपको गुजरना होगा. मंदिर आने वाले भक्त जंगल में गुम ना हो जाए, इसलिए यहां रास्ते मंदिर के निशान बनाए गए हैं. श्रावण मास में यहां काफी संख्या में भक्त आते हैं. रास्ते में बरसाती नाला होने से ज्यादा बारिश के समय यहां आना सम्भव नहीं हो पाता है. वहीं रात्रि में भी जंगल होने की वजह से कोई रूक नहीं सकता है.
राजा ने की थी तपस्या मंदिर में गत 9 वर्षों से आ रहे भक्त जितेंद्र परिहार ने बताया कि मंदिर को लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में यहां राजा ने तपस्या की थी. जंगल के बीच शांत जगह पर शिवलिंग बनाकर तपस्या करने से इस जगह को शानका महादेव के नाम से पहचाना जाने लगा. जब वह पहली बार आए थे. तो यहां केवल खंडहर चार दीवारे और शिवलिंग स्थापित था. शिवलिंग के नीचे की पिथिका खंडित होने से करीब 5-6 वर्ष पूर्व मंदिर का भक्तों द्वारा जिर्णोद्धार करवाकर शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई थी. यह एक मात्र मंदिर हैं, जहां गर्भगृह में दो शिवलिंग विराजमान है.
चारों तरफ बेलपत्र, कुंड में पूरे साल भरा रहता है पानी मंदिर के चारों तरफ काफी संख्या में बेलपत्र के पेड़ हैं. वहीं मंदिर के सामने बने एक कुंड में साल के 365 दिन पानी भरा रहता है. गर्मियों में भी ये पानी कभी नहीं सूखता है. मंदिर के रास्ते में भस्मेश्वर महादेव मंदिर भी आता है. मंदिर का रास्ता दुर्गम होने के बावजूद कई शिवभक्त सुबह चार बजे से देर शाम तक यहां आते हैं और यहां के शांत वातावरण में पूजा अर्चना करते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 22:51 IST