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Sharadiya Navratri 2022: Shailputri Durga Temple | नवरात्र का पहला दिन : कौन हैं मां शैलपुत्री जानिए उनके जन्म से जुड़ी कहानी

सती ने की ज़िद महादेव से
अपने पिछले जन्म में, वह प्रजापति दक्ष की बेटी के रूप में पैदा हुई थी। तब उनका नाम ‘सती’ था। उनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। मां शैलपुत्री को सती देवी का दूसरा रूप भी कहा जाता है। प्रजापति दक्ष ने यज्ञ करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने सभी देवताओं को निमंत्रण भेजा। लेकिन भगवान शिव को नहीं, देवी सती अच्छी तरह जानती थीं कि उनके पास निमंत्रण जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह उस यज्ञ में जाने के लिए बेचैन थी, लेकिन भगवान शिव ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके पास यज्ञ में जाने का कोई निमंत्रण नहीं आया है और इसलिए वहां जाना उचित नहीं है। सती नहीं मानी और बार-बार यज्ञ में जाने का आग्रह करती रहीं। सती के आग्रह के कारण, शिव को उनकी बात माननी पड़ी और उन्हें अनुमति दे दी।

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वीरभद्र ने किया यज्ञ को नष्ट
जब देवी यज्ञ स्थल पर पहुंचीं तो सभी मुंह फेर कर खड़े हो गए लेकिन उनकी माँ ने उन्हें गले से लगा लिया। हर कोई भगवान शिव का तिरस्कार और उपहास कर रहा था। इस अवसर पर दक्ष ने उन सबके सामने भगवान शिव का अपमान भी किया। ऐसा व्यवहार देखकर सती उदास हो गईं और अपना और अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकी। सती ने उसी यज्ञ की अग्नि में स्वयं को मार कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। जैसे ही भगवान शिव को इस बात का पता चला, वे दुखी हो गए। दु:ख और क्रोध की ज्वाला में जलकर शिव ने वीरभद्र को भेजा और उस यज्ञ को नष्ट कर दिया। तब पर्वतराज हिमवान के घर सती का जन्म हुआ और वहां उनके जन्म के कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।

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शिव की अर्द्धांगिनी शैलपुत्री
मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शंकर से हुआ। उनका रुप बहुत ही निराला है, माता वृषभ पर विराजमान हैं, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल है और उनके बाएं हाथ में कमल का फूल है। इनका स्वरुप बहुत मनमोहक है। जो भक्तों को बेहद पंसद आता है।

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शैलपुत्री देवी का प्रसिद्ध मंदिर
बनारस में वरुणा नदी के तट पर मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर है। जो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर अलीपुरा कस्बे में है। काशी का प्राचीन शैलपुत्री मंदिर अन्य शक्तिपीठों से काफी अलग है। यहां मंदिर के गर्भगृह में मां शैलपुत्री के साथ शैलराज शिवलिंग भी विराजमान है। पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा भगवती मंदिर है, जहां शिवलिंग के ऊपर देवी मां विराजमान हैं।

शैलपुत्री देवी का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम | वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ || photo_6165594242999759640_x.jpgDisclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है, पत्रिका इस बारे में कोई पुष्टि नहीं करता है . इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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