पढ़ने गई थी स्कूल, लौट आई अर्थी पर… जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल की घटना से शहर स्तब्ध, डीईओ से रिपोर्ट तलब

रोशन शर्मा/जयपुर. राजधानी जयपुर के मानसरोवर स्थित प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में शनिवार दोपहर एक मासूम बच्ची की मौत ने पूरे शहर को सन्नाटे में डुबो दिया. चौथी कक्षा की 9 वर्षीय छात्रा अमायरा विजय कुमार ने स्कूल की चौथी मंजिल की रेलिंग पर चढ़कर नीचे छलांग लगा दी. गंभीर रूप से घायल होने पर उसे जयपुरिया अस्पताल ले जाया गया, जहां देर रात पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. पुलिस ने स्कूल प्रबंधन पर सबूत मिटाने का गंभीर आरोप लगाते हुए जांच तेज कर दी है, जबकि परिजनों ने लापरवाही और संदिग्ध परिस्थितियों का हवाला देकर एफआईआर दर्ज कराई है.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन की बेरुखी पर सवाल उठने लगे हैं. घटना शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे की है. लंच ब्रेक के दौरान अमायरा कक्षा से निकली और किसी तरह चौथी मंजिल पर पहुंच गई. स्कूल के जब्त सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि वह रेलिंग पर चढ़ी, कुछ सेकंड रुकी और फिर नीचे कूद गई. फुटेज करीब 10 सेकंड का है, जिसमें कोई धक्का देने या दुर्घटना का संकेत नहीं मिला. हालांकि, वीडियो क्रॉप्ड लग रहा है और पीछे किसी व्यक्ति के खड़े होने की आशंका जताई जा रही है, जिसने उसे रोका नहीं.
स्कूल प्रबंधन ने सबूत मिटाने की कोशिश की
हादसे के तुरंत बाद स्कूल स्टाफ ने अमायरा को ऑटो से जयपुरिया अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठा जब पुलिस के आने से पहले स्कूल ने घटनास्थल की सफाई करवा दी. खून के धब्बे मिटा दिए गए और फ्लोर चमकाने जैसा साफ कर दिया गया. अभिभावक संघ के संयुक्त सचिव अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि यह सबूत मिटाने की कोशिश है. कानून के अनुसार अपराध स्थल को बिना छुए रखना चाहिए था. अमायरा मानसरोवर के द्वारका अपार्टमेंट में रहती थी. पिता विजय कुमार एक निजी कंपनी में कर्मचारी हैं.
शिक्षा मंत्री डीईओ को दिए जांच के आदेश
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने घटना पर दुख जताते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को जांच के आदेश दिए. लेकिन रविवार सुबह मंत्री की टीम स्कूल पहुंची तो प्रिंसिपल और मैनेजमेंट ने गेट नहीं खोला. डेढ़-दो घंटे दरवाजा पीटने के बाद अंदर घुस पाई टीम को साफ-सुथरा फ्लोर मिला. डीईओ ने कहा कि स्कूल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश करेंगे. सुरक्षा मानक पूरी तरह विफल साबित हुए. स्कूल प्रशासन ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है. प्रिंसिपल और मैनेजर फरार बताए जा रहे हैं. रेलिंग की ऊंचाई मात्र ढाई फीट बताई जा रही है, जो छोटे बच्चों के लिए खतरा है.
मेडिकल बोर्ड ने डेढ़ घंटे में पोस्टमॉर्टम पूरा किया
अस्पताल पहुंचते ही मां शिबानी देव बेहोश हो गईं. उन्होंने रो-रोकर कहा कि मैंने बेटी को स्कूल भेजा, और शव लौटा. अमायरा वापस आ जा बेटा. पिता विजय ने आरोप लगाया कि स्कूल ने कुछ बताया ही नहीं, इससे अनहोनी की आशंका है. परिजनों ने शुरू में पोस्टमॉर्टम से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि सब कुछ स्पष्ट नहीं चलेगा तो शव नहीं देंगे. वकीलों की मदद से एफआईआर तैयार की गई, जिसमें सीनियर आईपीएस की निगरानी में जांच कमेटी गठित करने, चौथी मंजिल पर पहुंचने के कारणों और सुरक्षा इंतजामों की जांच की मांग की गई. सूर्यास्त के बाद रात में पोस्टमॉर्टम के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति जरूरी थी. पत्र भेजने के बाद अनुमति मिली, और मेडिकल बोर्ड ने डेढ़ घंटे में पोस्टमॉर्टम पूरा किया. रिपोर्ट में सिर और पसलियों में गंभीर चोटें, लेकिन अंतिम कारण स्पष्ट होने बाकी है.
डीईओ से तीन दिन के अंदर रिपोर्ट तलब
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि यह हृदयविदारक घटना है. बच्चों की सुरक्षा नैतिक प्रतिबद्धता है. डीईओ को त्वरित रिपोर्ट देने के निर्देश. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. उन्होंने प्रदेशभर के निजी स्कूलों में सुरक्षा ऑडिट का ऐलान किया. जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है. पुलिस फोरेंसिक टीम के साथ फुटेज एनालिसिस कर रही है. अभिभावक संघ ने प्रदर्शन की चेतावनी दी है. पुलिस के अनुसार, अमायरा सुबह सामान्य हालत में स्कूल गई थी. परिजनों का कहना है कि बच्ची खुशमिजाज थी, लेकिन स्कूल में क्या हुआ यह अभी रहस्य है. जांच अधिकारी लखन सिंह ने बताया, फुटेज में आत्महत्या जैसा लग रहा है, लेकिन कारण स्पष्ट नहीं है. हालांकि पुलिस मामले की हर एंगल से जांच कर रही है.



