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शिमला मस्जिद विवादः नगर निगम की चुप्पी, भाजपा और कांग्रेस टालमटौल रैवया, अब डर का माहौल

शिमला. हिमाचल प्रदेश में मस्जिद विवाद के बाद अब रेहड़ी-फड़ी के विवाद ने तूल पकड़ लिया है. वर्तमान में स्थिति पैदा हुई है इसके लिए सीधे तौर पर मौजूदा और पूर्व सरकार जिम्मेदार है. शिमला शहर के कारोबारियों और मजदूर संगठनों का कहना है कि 2014 में संसद में स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट पारित हुआ था लेकिन उसे प्रदेश में पूरी तरह से लागू नहीं किया गया, जिसके चलते आज विवाद और बवाल देखने को मिल रहा है.

शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी माना कि कुछ गलतियां पूर्व में हुई होंगी, लेकिन अब सुधार करने की जरूरत है. विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को अपने निजी आवास में एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि इसके लिए जो कानून में तय है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देश हैं, उन्हीं के आधार पर कार्य होगा और कार्रवाई भी उसी के आधार पर अमल में लाई जाएगी.

शिमला में पंजीकृत और गैर पंजीकृत रेहड़ी-फड़ी धारकों में डर देखा जा रहा है. विशेष धर्म के दर्जनों स्ट्रीट वेंडर शिमला शहर छोड़कर चले गए हैं, जो रेहड़ी-फहड़ी लगा रहे हैं. उनमें भी डर साफ तौर पर देखा जा रहा है. दहशत ऐसी है कि जो स्थानीय निवासी रेहड़ी लगा रहा है, वो कैमरे पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है.

रेहड़ी-फहड़ी लगाने के लिए सिफारिशें काम करती

शिमला के लोअर के कारोबारियों का तो यहां तक कहना है कि रेहड़ी-फहड़ी लगाने के लिए सिफारिशें काम करती हैं. नगर निगम और सरकार में बैठे लोगों की सिफारिशों से ही रेहड़ी-फहड़ी लग रही है, लेकिन जो हकदार है, उन्हें हक नहीं दिया जाता. शिमला में लोअर बाजार के व्यापारी 71 वर्षीय विनोद खन्ना ने ये बात कही है. उन्होंने कहा कि उनकी दुकान के आगे दरभंगा, बिहार के रहने वाले एक युवक त्रिवेम कुमार साहू नाम कई सालों से लिस्ट में है, लेकिन उसे रेहड़ी लगाने की इजाजत नही दी जा रही है. त्रिवेम के पास कोई सिफारिश नहीं है, इसलिए उसका नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार का कानून समय रहते लागू होता तो आज विवाद नहीं होता.

सत्ता में रही पार्टी और प्रदेश में रही सरकारें जिम्मेदार

डीसी ऑफिस के समीप दुकान चलाने वाले कर्मचंद भाटिया ने कहा कि वर्तमान बवाल के नगर निगम में सत्ता में रही पार्टी और प्रदेश में रही सरकारें जिम्मेदार हैं. भाटिया ने कहा कि कई दुकानदार अपनी दुकान के आगे तह बाजारी को बिठाते हैं और उनसे 500 से 1 हजार रुपये तक लिया जाता है. कई जगह रोज का 300 रुपये  से लेकर 700-800 रुपये लिया जा रहा है. नगर निगम शिमला का प्रशासन किसी की चैकिंग नहीं करता. उन्होंने कहा कि विशेष धर्म के लोगों में सहारनपुर से जो आ रहे हैं, उनसे परेशानी है. सरकार को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए और कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए.

निगम आयुक्त की फिर से चुप्पी

इस पूरे मामले पर नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. वहीं, इसको लेकर मजदूर नेता और सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पूरे प्रदेश में जो माहौल बना है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि विषय केवल कानून का है और रोजगार है, लेकिन हालात इस तरह के पैदा किए गए हैं कि दर्जनों तहबाजारियों को शिमला छोड़ना पड़ा है और कुछ रोजी-रोटी की मजबूरी के चलते यहां रुके हैं, लेकिन अपने परिवार को अपने घर भेज दिया गया है, हस्न वैली और संजौली में किसी तहबाजारी को बैठने तक की इजाजत नहीं दी जा रही है.

किसी को उजाड़ा नहीं जा सकताः मेहरा

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 1 मई 2014 को देश में केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट बनाया, कुछ राज्यों में लागू हुआ, लेकिन अधिकतर में नहीं हुआ. 2016 में शिमला नगर निगम देश का ऐसा पहला निगम था, जिसने इसको लागू किया. उन्होंने कहा कि ये कानून स्पष्ट कहता है कि किसी को उजाड़ा नहीं जा सकता, बल्कि उसे बसाने का प्रावधान है. 2017 में शहर में और प्रदेश में सरकार बदल गई और उसके बाद इसको ठंडे बस्ते में डाला गया और अब विवाद शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि इस कानून को लागू किया जाए, ताकि जिन लोगों की रोजी-रोटी पर संकट बढ़ गया है उनकी हर समस्या का हल जल्दी निकाला जा सके.

Tags: Gyanvapi Masjid Controversy, Himachal pradesh, Himachal Pradesh News Today, Himachal Pradesh Politics, Shimla News, Shimla News Today

FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 08:10 IST

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