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Sikar News: सीकर में पिता ने तोड़ी परंपरा, घोड़ी पर बैठाकर निकाली बेटियों की बिंदौरी, जीत लिया सबका दिल

Last Updated:November 02, 2025, 10:51 IST

सीकर जिले के बगड़िया परिवार ने समाज को बेटी-समर्पित संदेश दिया है. रमेश बगड़िया ने परंपरा तोड़ते हुए अपनी दोनों बेटियों राखी और सरोज की शादी से पहले उनकी बिंदौरी घोड़ी पर बैठाकर निकाली. आमतौर पर यह रस्म बेटों की शादी में होती है, लेकिन इस पहल से उन्होंने दिखाया कि बेटियां भी बराबर सम्मान की हकदार हैं.यह पहल पूरे राजस्थान में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है.

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सीकर. समाज में महिला सशक्तिकरण को लेकर भले ही कई योजनाएं और नारे चलाए जा रहे हों, लेकिन असली बदलाव तब दिखता है जब कोई व्यक्ति अपनी सोच और काम से समाज को प्रेरित करता है. सीकर जिले के बगड़िया परिवार ने ऐसी ही मिसाल पेश की है. रमेश बगड़िया ने अपनी दोनों बेटियों राखी और सरोज की शादी के अवसर पर एक ऐसा कदम उठाया, जिसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है.

रमेश बगड़िया ने परंपराओं को तोड़ते हुए अपनी बेटियों की बिंदौरी (बारात से पहले की रस्म) घोड़ी पर बैठाकर निकाली. लगातार तीन दिन तक सीकर शहर के मुख्य बाजारों से होकर यह बिंदौरी निकली, जिसमें पिता के साथ चाचा और ताऊ ने भी पूरे उत्साह से हिस्सा लिया. आमतौर पर बिंदौरी केवल बेटों की शादी में निकाली जाती है, लेकिन बगड़िया परिवार ने यह संदेश दिया कि बेटियां भी बेटों से किसी भी मायने में कम नहीं हैं.

बेटियां नहीं है पराया धन

रमेश बगड़िया ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलना है. उन्होंने कहा कि हमारे परिवार ने कभी बेटा और बेटी में फर्क नहीं किया. हमने अपनी दोनों बेटियों को वही अधिकार, शिक्षा और वही सम्मान दिया जो बेटों को दिया जाता है. आज के समय में बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. चाहे वह शिक्षा हो, खेल हो या व्यापार, सभी में बेटियां आगे है. उन्होंने कहा कि समाज को यह समझना होगा कि बेटियां किसी का पराया धन नहीं हैं, बल्कि परिवार और समाज को मजबूत बनाने की सबसे बड़ी ताकत है.

बगड़िया परिवार की लोग कर रहे हैं सराहना

रमेश बगड़िया की इस सोच को उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने भी खुले दिल से समर्थन दिया. लोगों ने बगड़िया परिवार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कदमों से ही समाज में वास्तविक परिवर्तन आएगा. सीकर शहर में बगड़िया परिवार की इस अनोखी बिंदौरी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. जगह-जगह स्वागत द्वार सजाए गए और राह चलते लोगों ने इस पहल की जमकर तारीफ की. कई सामाजिक संगठनों ने भी इसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सच्ची मिसाल बताया. इस कदम ने न केवल सीकर जिले में बल्कि पूरे राजस्थान में एक सकारात्मक संदेश दिया है कि यदि हर पिता रमेश बगड़िया की तरह सोच रखे, तो समाज में लिंग भेद की दीवारें खुद टूट जाएंगी.deep ranjan

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें

Location :

Sikar,Rajasthan

First Published :

November 02, 2025, 10:51 IST

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सीकर में पिता ने तोड़ी परंपरा, बेटियों की बिंदौरी निकालकर जीता लोगों का दिल

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