Sikar was established 40 years before Jaipur, earlier it was known by this name, today children from all over the country come here to study

Last Updated:April 17, 2025, 13:24 IST
सीकर के राजा कल्याण सिंह के कार्यकाल के दौरान इस शहर के विकास को गति मिली थी. जयपुर की स्थापना से 40 साल पहले राव दौलतसिंह ने 1687 ईस्वी में सीकर शहर की स्थापना की थी. यहां, सुभाष चौक में छोटा गढ़ बनाया गया था.X
एजुकेशन सिटी के नाम से प्रसिद्ध है सीकर शहर
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एजुकेशन सिटी के नाम से प्रसिद्ध है सीकर शहर
हाइलाइट्स
सीकर का पुराना नाम वीरभान का बास था.सीकर को एजुकेशन सिटी के नाम से जाना जाता है.1954 में सीकर का राजशाही शासन खत्म हुआ.
सीकर:- राजस्थान का सीकर शहर अपनी कला, संस्कृति और धार्मिक पर्यटन के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यह शहर वर्तमान में एजुकेशन सिटी के नाम से जाना जाता है. यहां पर पूरे देश से बच्चों के JEE और NEET की तैयारी करने के लिए आते हैं. शिक्षा के अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में भी सीकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. यहां से बड़ी संख्या में देश की रक्षा के लिए जवान भी भारतीय सेना में जाते हैं. सीकर शहर में यह बदलाव कुछ दशक पहले ही आना शुरू हुआ था.
इस राजा के कार्यकाल में मिली विकास की गतिसीकर के राजा कल्याण सिंह के कार्यकाल के दौरान इस शहर के विकास को गति मिली थी. जयपुर की स्थापना से 40 साल पहले राव दौलतसिंह ने 1687 ईस्वी में सीकर शहर की स्थापना की थी. यहां, सुभाष चौक में छोटा गढ़ बनाया गया था. वीरभान का बास गांव पर सीकर शहर को बसाया गया था.
सीकर शहर का पुराना नाम वीरभान का बास था. इसके अलावा राजा शिव सिंह ने सीकर में चार दिवारी बनवाई. सीकर के विकास में इन्होंने अपनी भागीदारी निभाई थी. इन्हीं के नाम के अपभ्रंश से सीकर नाम पड़ा है.
इस दिन सीकर का राजशाही शासन खत्मइतिहासकारों के अनुसार, साल 1954 तक सीकर शहर पर 11 राजाओं ने राज किया था. सीकर के अंतिम राजा रावराजा कल्याण सिंह थे. इन्होंने 34 साल तक यहां राज किया था. इसके अलावा 15 जून 1954 को राव राजा कल्याण सिंह ने अपने शासन की बागडोर राज्य सरकार को सौंप दी थी. इसके बाद धीरे-धीरे यहां के रहने वाले लोगों ने इसके तेज गति के विकास के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई.
सीकर के थे पहले ये नामसीकर का हमेशा से यह नाम नहीं रहा. सबसे पहले सीकर का नाम ‘वीरभान का बास’ रखा गया था. इसके बाद ‘श्रीकर’ हुआ, फिर ‘शिखर’ के नाम से इसे जाना जाने लगा. इसके बाद अंत में इस शहर को ‘सीकर’ कहकर पुकारा जाने लगा था. जैन मंदिर में रखे शिलालेख में सीकर का नाम ‘शिवकर’ बताया गया है, क्योंकि दौलतसिंह के बाद राजा बने शिवसिंह ने चारदीवारी व नहर बनवाई थी.
Location :
Sikar,Rajasthan
First Published :
April 17, 2025, 13:24 IST
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जयपुर से 40 साल पहले हुई थी सीकर की स्थापना, नाम की भी अनोखी कहानी!