Sirohi News: सारणेश्वर महादेव के दानपात्रों से निकले 8.19 लाख रुपए, एक साल बाद खुला था दानपात्र

सिरोही: जिले के आराध्यदेव सारणेश्वर महादेव मंदिर में एक वर्ष बाद दानपात्र खोले गए. दानपात्र से निकले चढ़ावे की गिनती में 8 घंटे लग गए. सिरोही स्थित ऐतिहासिक सारणेश्वर महादेव मंदिर जालोर सिरोही के आराध्य माने जाते हैं. यहां दूरदूराज से भक्त दर्शन करने आते हैं. देवझूलनी एकादशी को भरने वाले मेले में देवासी समाज के राजस्थान समेत गुजरात से भी लोग पहुंचते हैं. मंदिर में सिरोही तहसीलदार देशलाराम परिहार के आदेश पर देवस्थान बोर्ड सिरोही की ओर से गठित टीम ने सुबह 11 बजे दो दानपात्र को खोला.
इसमें 8 लाख 19 हजार 873 रुपए निकले. पूर्व नरेश पद्मश्री रघुवीर सिंह देवड़ा की उपस्थिति में टीम ने दानपात्र को खोला. दानपात्र से निकली राशि की मौका फर्द बनाकर राशि कमेटी द्वारा देवस्थान बोर्ड सिरोही में जमा करा प्रतिनिधि रमेशचंद्र भट्ट को सौंपा. इसके बाद दानपात्र पुनः सील कर मंदिर में रखा गया.
पिछले साल से 2 लाख रुपए कम मिला चढ़ावासुबह 11 बजे मंदिर के दो दान पात्र एक बड़ा व एक छोटा खोला गया. शाम 7.20 मिनट तक तक नोटों की गिनती चली. इससे पहले यह दानपात्र सितंबर 2023 में खोला था. तब 10 लाख 25 हजार रुपए निकले थे. ऐसे में इस वर्ष मंदिर में पिछले साल से 2 लाख रुपए कम चढ़ावा प्राप्त हुआ. राजस्व विभाग सहायक लेखाधिकारी ईश्वर सिंह राठौड़, टीआरए वसूली सुरेश पटेल, ऑफिस कानूनगो तहसील हाजा सिरोही, अतिरिक्त ऑफिस कानूनगो, भू-अभिलेख निरीक्षक रामपुरा, सिरोही, मेरमंडवाड़ा, जावाल व पाड़ीव आदि कार्मिकों की मौजूदगी में राशि की गणना हुई.
एक दिन के लिए रेबारी समाज को सौंपा जाता है मंदिरमंदिर का संचालन देवस्थान बोर्ड द्वारा किया जा रहा है, लेकिन साल में एक दिन ऐसा आता है, जब मन्दिर को एक दिन के लिए रेबारी समाज को सौंप दिया जाता है. इसकी वजह यह है कि वर्ष 1299 में मंदिर के शिवलिंग की अलाउद्दीन खिलजी की सेना से रक्षा के लिए सिरोही के रेबारी समाज के लोगों ने साहस का परिचय देते हुए खिलजी की सेना पर पहाड़ी से गोफन द्वारा हमला कर दिया था.
जिसकी वजह से खिलजी की सेना को हार का सामना करना पड़ा था. रेबारी समाज के निर्णायक योगदान और उनके बलिदान को देकहते हुए तत्कालीन सिरोही नरेश महाराव विजयराज ने देवझूलनी एकादशी को एक दिन के लिए मंदिर का चार्ज रेबारी को सौंपने का निर्णय किया था. तब से ये परम्परा आज दिन तक चली आ रही है.
Tags: Bihar News, Local18, Purnia news
FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 14:21 IST