सिरोही: 90 वर्षों से चली आ रही परंपरा, गोवर्धन पूजा पर गायों की दौड़, किसानों को मिलता है ये संकेत

सिरोही: जिले के रोहिड़ा के समीप वासा गांव में हर वर्ष दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की दौड़ का आयोजन किया जाता है. इस परंपरा के अनुसार, विजेता गाय के रंग के आधार पर अगले साल बारिश और फसल की अच्छी स्थिति का अनुमान लगाया जाता है. यह आयोजन पिछले 90 वर्षों से निरंतर जारी है.
गोवर्धन पूजा का विशेष आयोजनशनिवार को वासा गांव में गोवर्धन पूजा और गायों की दौड़ का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया गया. यह आयोजन पूरे गांववासियों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है. गोवर्धन पूजा के अवसर पर ग्रामीण गौमाता की दौड़ से आने वाले साल का शगुन देखने की परंपरा का पालन करते हैं. गांव के मुख्य चौराहे पर एक बाड़े में सभी गायों को एकत्रित किया जाता है, जहां पंडितों के सानिध्य में मंत्रोच्चारण और गायों को रंग, माला और दिवाली का गुड़ खिलाया जाता है. गायों के ग्वालों द्वारा हेर गीत गाकर गौमाता की दौड़ की शुरुआत की जाती है. इस दौरान गांव में उत्साह का माहौल बना रहा और कार्यक्रम पुलिस की सुरक्षा में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ.
वर्ष का शगुन: गायों की दौड़ के परिणामदौड़ में नील गाय, सफेद गाय और काली गाय के रंग के आधार पर नए साल का शगुन देखा जाता है. ग्रामीणों के अनुसार, यदि नील गाय (सेरी गाय) दौड़ में विजयी होती है, तो नया वर्ष बहुत उत्तम रहेगा. सफेद गाय के विजयी होने पर मध्यम बारिश और फसल का अनुमान रहता है, जबकि काली गाय के आगे आने पर कम बारिश या अकाल जैसी स्थिति की आशंका जताई जाती है.
इस अवसर पर वासा गांव के आसपास के गांवों के लोग भी गौमाता की दौड़ देखने के लिए आए. शनिवार को हुई दौड़ में श्याम रंग की गाय विजेता रही. इस कार्यक्रम के दौरान पूरे क्षेत्र में मेले जैसा माहौल बना रहा, जहां सरूपगंज, रोहिडा, भुला, वालोरिया और आसपास के गांवों से लोग पहुंचे.
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 17:36 IST