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घिनौने काम के लिए दोस्‍तों को सौंपी भाभी, फिर परिवार के 5 लोगों खतरनाक सजा, 29 साल बाद फिर हरे हुए जख्‍म

Delhi Crime News: मकसद पूरा नहीं हुआ तो अपनी भाभी को घिनौने काम के लिए अपने दोस्‍तों को सौंप दिया. जब इतने से भी दिल नहीं भरा तो दोस्‍तों संग मिलकर दो मासूमों सहित पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया. यह मामला भले ही 29 साल पुराना हो, पर इस केस में ऐसा कुछ एक बार फिर हुआ ऐसा हुआ है कि इस वारदात की धुंधली हुई तस्‍वीरें एक बार फिर परिजनों और रिश्‍तेदारों के दिल में ताजा हो गई हैं.

दरअसल यह मामला दिल्‍ली के भजनपुरा थाना के अंतर्गत आने वाले यमुना विहार इलाके का है. आज से करीब 29 साल पहले 6 जुलाई को यमुना विहार इलाके के एक घर में पुलिस को पांच शव मिले थे, जिसमें एक पुरुष, दो महिलाएं और दो बच्‍चे शामिल थे. इन सभी की बेरहमी से हत्‍या कर दी गई थी. पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि एक मृतका के साथ दुष्‍कर्म की वारदात को भी अंजाम दिया गया था.

इस मामले में हुई थी छह लोगों की गिरफ्तारीइस मामले में सुरेश शर्मा (एक मृतका का पति) की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू की. इस मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. जिनकी पहचान राजेंद्र उर्फ राजू, सुनील, राज कुमार, जय किशन, कवलजीत सिंह और राजरानी के तौर पर हुई. आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि वे घर में डकैती करने के इरादे से घुसे थे, उन्हें शक था कि घर में बड़ी मात्रा में नकदी रखी हुई है.

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि घरवालों ने विरोध किया तो उन्‍होंने एक महिला के साथ दुष्‍कर्म किया और इसके बाद सभी की हत्‍या कर दी. इसके बाद, घर में मौजूद सारा कीमती सामान लूट लिया और मौका-ए-वारदात से फरार हो गए. इस मामले में कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्‍हें 20 साल के कारावास की सजा सुनाई. सजा के दौरान सुनील और जयकिशन की मृत्‍यु हो गई.

वारदात के 15 साल बाद मामले में आया नया ट्विस्‍टयह मामला यहीं पर खत्‍म नहीं हुआ. 22 मार्च 2011 को इस मामले के एक आरोपी राज कुमार उर्फ राजू, जो उत्‍तर प्रदेश के हापुड़ का रहने वाला है, को 40 दिनों की पैरोल पर रिहा किया गया. पैरोल का आधार राजकुमार की मां की बीमारी था. 40 दिन की अवधि खत्‍म होने के बावजूद राजकुमार ने सरेंडर नहीं किया और फरार हो गया. स्‍थानीय पुलिस राजकुमार की तलाश करती रही, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चला.

वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए राजकुमार की गिरफ्तारी की जिम्‍मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंपी गई. राजकुमार की फरारी से 14 साल बाद क्राइम ब्रांच की टीम को खबर मिली कि आरोपी मेरठ के मुल्‍तान नगर में छिपा हुआ है. आरोपी का पता लगाने के लिए एक पुलिस कर्मी को अमेजन के डिलीवरी ब्‍वाय के तौर पर भेजा गया. यह ड‍िलीवरी बॉय के तौर पर पुलिस टीम ने इलाके की रेकी कर राजकुमार की पूरी जानकारी हासि की.

सजायाफ्ता ने किए कई चौंकाने वाले खुलासेमौका मिलते ही पुलिस ने आरोपी राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया. वहीं गिरफ्तारी के बाद राजकुमार ने बताया कि वह 1990 से 1996 के बीच वह अक्सर काम के सिलसिले में दिल्ली के सदर बाजार जाता था, वह वहां बैग बनाने का काम करता था. 1996 में उसके दोस्त और सह-आरोपी राजेंद्र ने उसे बताया कि दिल्ली के भजनपुरा में उसके चचेरे भाई ने हाल ही में ₹22 लाख में एक प्रॉपर्टी बेची है और पैसे घर पर रखे हुए हैं.

राजेंद्र ने राज कुमार, सुनील और जय किशन के साथ मिलकर राजेंद्र के चचेरे भाई को लूटने की योजना बनाई. घर पहुंचने पर उन्होंने राजेंद्र के चचेरे भाई की हत्या कर दी, लेकिन अंदर कोई पैसा नहीं मिला. उन्होंने घर में मौजूद महिलाओं में से एक के साथ दुष्‍कर्म किया और फिर दो बच्चों सहित पूरे परिवार की बेरहमी से हत्या कर दी. कुल पांच लोगों की मौके पर ही हत्या कर दी गई. फिर लूटपाट की वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए.

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