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South Korea Martial Law News: किम जोंग से डराकर तानाशाही की राह पर थे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पर नहीं गली दाल, मार्शल लॉ का फैसला रद्द

सियोल: साउथ कोरिया यानी दक्षिण कोरिया तानाशाही की राह पर था. किम जोंग से डराकर तानाशाही के रास्ते पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति निकल चुके थे. मगर संसद की मजबूत इरादे के सामने उनकी दाल नहीं गली. संसद ने राष्ट्रपति यून सुक येओल के फैसले का ऐसा विरोध किया कि साउथ कोरिया में मार्शल लॉ का फैसला रद्द हो गया है. जी हां, दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का फैसला लागू करने के छह घंटे के अंदर ही राष्ट्रपति यून सुक येओल ने इसे वापस लेने का ऐलान किया. संसद यानी नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति के मार्शल लॉ वाले फैसले का विरोध किया गया. इसके बाद राष्ट्रपति को फैसला पलटने के लिए झुकना पड़ा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुबह 4:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) राष्ट्र के नाम अपने विशेष संबोधन में राष्ट्रपति यून सुक येओल ने कहा, ‘कुछ देर पहले ही नेशनल असेंबली से आपातकाल हटाने की मांग की गई थी. हमने मार्शल लॉ के तहत तैनात सेना को वापस बुला लिया है. हम नेशनल असेंबली के अनुरोध को स्वीकार करते हैं और कैबिनेट की बैठक के जरिए मार्शल लॉ को हटाएंगे.’

संसद ने फैसले का किया विरोधइससे पहले दक्षिण कोरिया के सांसदों ने नेशनल असेंबली के आधी रात के सत्र में राष्ट्रपति के फैसले का विरोध करते हुए मार्शल लॉ लगाए जाने के खिलाफ सर्वसम्मति से वोट दिया था. साउथ कोरियाई संसद में भारी विरोध के बाद इसे अमान्य करार दिया गया. मंगलवार देर रात सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को अस्वीकार करने के लिए मतदान किया. इसके बाद मार्शल लॉ को हटाना पड़ा.

किम जोंग उन का डर दिखाकर तानाशाही?दरअसल, साउथ कोरिया में मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात को महासंग्राम देखने को मिला. साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का डर दिखाकर अपना सिक्का जमाना चाहते थे. उनकी लोकप्रियता में लगातार गिरावट हो रही है. ऐसे में वह किम जोंग उन का डर दिखाकर तानाशाही के राष्ट्रपति पर साउथ कोरिया को ले जाना चाहते थे. मगर संसद ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. राष्ट्रीय आपातकाल और मार्शल लॉ लागू करने के फैसले का सांसदों ने जमकर विरोध किया.

राष्ट्रपति ने क्या दलील दीहालांकि, अपने इस कदम पर सफाई देते हुए राष्ट्रपति यून ने कहा कि यह फैसला देश विरोधी ताकतों को कुचलने के लिए लिया गया था. दक्षिण कोरिया में करीब पांच दशक बाद मार्शल लॉ लगाया गया था. आखिरी बार 1980 में ऐसा हुआ था. राजनेता और प्रदर्शनकारी नेशनल असेंबली (संसद) के बाहर जमा हो गए थे और उस समय लागू मार्शल लॉ की अवहेलना करते हुए नारेबाजी कर रहे थे.

मंगलवार रात को महासंग्रामसुरक्षा बलों को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े. देश की मुद्रा में भी गिरावट आई. यहां बताना जरूरी है कि दक्षिण कोरिया एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यह अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है. यहां चार दशकों से भी अधिक समय से लोकतंत्र भी रहा है. ऐसे में मार्शल लॉ लागू करने के कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा हो गई थी.

Tags: South korea, World news

FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 05:49 IST

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