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अच्छे उत्पादन के लिए इन फसलों की अभी करें बुवाई, बीज की वैरायटी का रखें ध्यान, सरसों का ऐसे रखें ध्यान

जयपुर. गुलाबी ठंड के कारण किसानों को सरसों की फसल का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अच्छे उत्पादन के लिए किसान समय पर बोई गई सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण का कार्य शुरू कर सकते हैं. इसके अलावा तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई का काम अभी से शुरू कर दें, अनुकूल मौसम के अनुसार मटर बुवाई में देरी के कारण कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है.

किसानों को बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें. इसके अलावा अच्छे उत्पादन के लिए बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर उपचार करें, उसके बाद फसल विशेष में राइजोबयम का टीका जरूर लगाएं. वहीं गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर और राइजोबयम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित कर सूखने के लिए किसी छायादार स्थान पर रख दें और अगले दिन बुवाई करें.

ईसबगोल, जीरे व जौ की बुवाईकिसान ईसबगोल की बुवाई और बीजोपचार के लिए बीज, उर्वरक और रसायन की व्यवस्था अभी से कर ले. फसल की बुवाई का अच्छा समय तब रहता है जब तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक आ जाए. कृषि विशेषज्ञ  मनीष शर्मा के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 5 किलो बीज की मात्रा उन्नत किस्मों जैसे जीआई-2, आरआई-1, आरआई-89 आदि के लिए पर्याप्त है. जीरे की बुवाई के लिए खाद, बीज तथा बीजोपचार के लिए रसायन की व्यवस्था करें.

अच्छी पैदावार के लिए आरजेड-19, जीसी-4, आरजेड-209 व आरजेड-223 हैं किस्म के बीजों का उपयोग करें. इसके अलावा रजका की बुवाई के लिए भी यह उपयुक्त समय है. इसके लिए टाइप-9, आरएल. 88, टाइप-8, सरसा-8, आरएलसी-5 उन्नत किस्मों के बीज 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग में ले. बुवाई से पहले बीज को राइजोबयम कल्चर से उपचरित करें.

जौ की यह हैं अच्छी किस्मकिसान जौ की बुवाई के लिए भी खेत में तैयारी शुरू करें. जौ की उन्नत किस्में आरडी-2715, आरडी-2660, आरडी-2794, आरडी-2624, आरडी-2592, आरडी-2786, आरडी-2849, आरडी-2552 और आरडी-2907 हैं. दीमक नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5 एससी 6 मिली प्रति किलो बीज से उपचार करें. ढीले स्मट बीज को मैंकोजेब 2.5 ग्राम या थीरम 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज से उपचारित करें.

सब्जियों की बुवाई करेंइस समय सरसों साग की उन्नत किस्म पूसा साग-1, मूली की जापानी व्हाइट, हिल क्वीन, पूसा मूदुला (फ्रेंच मूली), पालक की आल ग्रीन, पूसा भारती, शलगम की पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्म, बथुआ की पूसा बथुआ-1, मेथी-पूसा कसूरी, गांठ गोभी की व्हाइट वियना, पर्पल वियना तथा धनिया की पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई करें. इनकी बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें.

बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान रखें. मधुमक्खी पालन क्षेत्रों में फसलों की बुवाई से पहले बीजोपचार करें और रसायनों का छिड़काव करते समय मधुमक्खियों को बक्सों के अंदर रखें. 5 से 6 घंटे कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद मधुमक्खियों को खेतों में जाने दें.

Tags: Jaipur news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 14:23 IST

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