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Last Updated:October 14, 2025, 13:22 IST
Anta by-election news : अंता विधानसभा सीट उपचुनाव को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है. कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया के बाद अब निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने भी नामाकंन दाखिल कर दिया है. लेकिन बीजेपी अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है. जानें क्या है वजह.
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अंता में स्थानीय उम्मीदवार की मांग वाले पोस्टर चर्चा का विषय बने हुए हैं.
बारां. बारां जिले की अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन भरने का काम शुरू हो चुका है. लेकिन अभी तक बीजेपी अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है. कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया सोमवार को अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं. निर्दलीय ताल ठोक रहे नरेश मीणा ने भी मंगलवार को नामांकन दाखिल कर दिया है. जबकि बीजेपी अभी तक प्रत्याशी चयन में फंसी हुई है. बीजेपी कार्यकर्ताओं और वोटर्स की मांग है कि पार्टी किसी बाहरी को चुनाव मैदान में नहीं उतारे. उन्हें स्थानीय प्रतिनिधि ही चाहिए. बीजेपी के सामने केवल यही एक समस्या नहीं है. जातीय समीकरण भी उसके सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है. ब्राह्मण समाज ने सामान्य सीट पर सामान्य वर्ग और स्थानीय प्रत्याशी की मांग की है. ब्राह्मण समाज को बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है.
2008 में अंता सीट के अस्तित्व में आई अंता सामान्य वर्ग की सीट है. इस सीट के गठन के बाद कांग्रेस ने हर बार प्रमोद जैन भाया को ही चुनाव मैदान में उतारा है. वे सामान्य वर्ग से हैं . इसके साथ ही भाया बारां जिले से ही हैं. चार बार में से भाया ने दो चुनाव जीते और दो हारे. लेकिन बीजेपी ने इस सीट के गठन के बाद चारों ही बार बाहरी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा. इन चारों प्रत्याशियों में से केवल रघुवीर सिंह कौशल सामान्य वर्ग से थे. उनके अलावा बीजेपी ने दो बार ओबीसी और एक बार एसटी वर्ग के प्रत्याशी को चुनाव में उतारा. इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं समेत अन्य वर्गों में इसकी नाराजगी है. बीजेपी ने यहां सबसे पहले 2008 में पार्टी के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह कौशल को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन वे हार गए. रघुवीर सिंह कोटा के रहने वाले थे.
बीजेपी ने चारों दफा ही बाहरी को चुनाव मैदान में उतारा हैउसके बाद बीजेपी ने 2013 और 2018 में प्रभुलाल सैनी को लगातार दो बार यहां से मौका दिया. सैनी ने 2013 का चुनाव जीता लेकिन 2018 में हार गए. सैनी भी बारां जिले के निवासी नहीं हैं. वे बूंदी जिले के हिंडौली के रहने वाले हैं. वे ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. उसके बाद बीजेपी ने 2023 में कंवरलाल मीणा को चुनाव मैदान में उतारा. मीणा चुनाव तो जीत गए लेकिन महज डेढ़ साल बाद 20 साल पुराने मामले में सजा हो जाने के कारण उनकी विधायकी चली गई. कंवरलाल बारां से सटे झालावाड़ जिले के अकलेरा के रहने वाले हैं. इसके साथ ही से सामान्य वर्ग से नहीं होकर एसटी वर्ग हैं. चारों बार की बीजेपी ने यहां किसी स्थानीय कार्यकर्ता को मौका नहीं दिया. इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं और ब्राह्मण समाज में आक्रोश है.
स्थानीय की मांग को लेकर पोस्टरबाजी हो रही हैइस बार उनकी मांग है कि स्थानीय को ही मौका दिया जाए. स्थानीय प्रत्याशी नहीं होने से पार्टी को यहां खामियाजा भुगतना पड़ता है. इस बार स्थानीय प्रत्याशी की मांग को लेकर अंता में पोस्टरबाजी भी हो रही है. यह पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोक रहे नरेश मीणा भी बारां जिले के रहने वाले हैं. वे बारां जिले के अटरू तहसील के नया गांव के रहने वाले हैं. अब बीजेपी के सामने संकट यह है कि उसके सामने दोनों प्रत्याशी स्थानीय है. अगर वह स्थानीय को तरजीह नहीं देती है तो उसे कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. वहीं दूसरे नुकसान भी हो सकते हैं.
संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर…और पढ़ें
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Location :
Baran,Baran,Rajasthan
First Published :
October 14, 2025, 13:20 IST
homerajasthan
अंता उपचुनाव : स्थानीय प्रत्याशी की मांग ने बढ़ाई BJP की धड़कनें



