Rajasthan

Special Holi Tradition: इतिहास और रोमांच की अनोखी दास्तां है बादशाह की सवारी, गालियों और भक्ति के बीच लोगों का उमंग, जानिए इसमें क्या है खास

Last Updated:March 16, 2025, 15:36 IST

Special Holi Tradition: बादशाह की सवारी’ की अगवानी श्रीनाथजी मंदिर मंडल के बैंड-बाजे और बांसुरी वादन से की जाती है.यह सवारी गुर्जरपुरा, बड़ा बाजार और अन्य मुख्य मार्गों से होकर गुजरती है.इस दौरान, बृजवासी परंपर…और पढ़ेंX
नाथद्वारा
title=नाथद्वारा में धुलंडी पर अनूठी परंपरा: ‘बादशाह की सवारी’ />
नाथद्वारा में धुलंडी पर अनूठी परंपरा: ‘बादशाह की सवारी’

हाइलाइट्स

नाथद्वारा में धुलंडी पर निकाली जाती है ‘बादशाह की सवारी’मुगल शासनकाल की ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है परंपरासवारी के दौरान बादशाह को गालियां दी जाती हैं, जो रस्म का हिस्सा

उदयपुर. रंगों के त्योहार होली के अगले दिन, नाथद्वारा में एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है, जिसे ‘बादशाह की सवारी’ के नाम से जाना जाता है. यह अनोखी सवारी हर साल गुर्जरपुरा मोहल्ले की बादशाह गली से निकलती है और पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इस प्राचीन परंपरा के तहत एक व्यक्ति को मुगल बादशाह का रूप दिया जाता है, जिसमें नकली दाढ़ी-मूंछ, मुगल वेशभूषा और आंखों में काजल लगाया जाता है. इस व्यक्ति के हाथों में भगवान श्रीनाथजी की छवि दी जाती है और उसे पालकी में बैठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है.

बैंड-बाजे और गालियों का अनूठा संगम‘बादशाह की सवारी’ की अगवानी श्रीनाथजी मंदिर मंडल के बैंड-बाजे और बांसुरी वादन से की जाती है. यह सवारी गुर्जरपुरा, बड़ा बाजार और अन्य मुख्य मार्गों से होकर गुजरती है. इस दौरान, बृजवासी परंपरा के अनुसार, पालकी में बैठे बादशाह को गालियां दी जाती हैं, जो इस रस्म का एक अहम हिस्सा है. माना जाता है कि यह परंपरा मुगल शासनकाल की एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है.

ऐतिहासिक कथा: औरंगजेब और श्रीनाथजी मंदिरइस परंपरा के पीछे एक प्राचीन ऐतिहासिक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब, जब श्रीनाथजी की मूर्ति खंडित करने के लिए मेवाड़ पहुंचा, तो जैसे ही उसने मंदिर में प्रवेश किया, उसकी आंखों की रोशनी चली गई. घबराकर उसकी बेगम ने भगवान श्रीनाथजी से प्रार्थना की और माफी मांगी, जिसके बाद बादशाह की दृष्टि लौट आई. पश्चाताप स्वरूप, उसे अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियों पर गिरी गुलाल साफ करने को कहा गया. इसके बाद, औरंगजेब की मां ने एक बहुमूल्य हीरा श्रीनाथजी मंदिर को भेंट किया.

मंदिर में आज भी मौजूद है ऐतिहासिक हीरामान्यता है कि यह बेशकीमती हीरा आज भी श्रीनाथजी की मूंछों में जड़ा हुआ है, जिसे श्रद्धालु दर्शन के दौरान देख सकते हैं.

सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायमनाथद्वारा में हर साल धुलंडी को आयोजित होने वाली ‘बादशाह की सवारी’ धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. इस परंपरा के माध्यम से न केवल ऐतिहासिक घटना को जीवंत रखा जाता है, बल्कि यह आयोजन धर्म और संस्कृति के प्रति गहरी श्रद्धा को भी दर्शाता है.


Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

March 16, 2025, 15:36 IST

homerajasthan

नाथद्वारा में गालियों और भक्ति के संग बादशाह की सवारी, होली पर बेहद खास आयोजन

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj