राजस्थान के इस त्योहार की विशेष मान्यता, विवाहित महिलाओं और लड़कियों के लिए खास, जानें क्या है परंपरा

Last Updated:March 17, 2025, 16:22 IST
कुंवारी और विवाहित महिलाएं प्रतिदिन गणगौर पूजन और वो चैत्र शुक्ल द्वितीय यानी सिंजारे के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजा करती हैं और गणगोरों को पानी पिलाती हैं. दूसरे दिन शाम के समय उनका विसर्जन …और पढ़ेंX
गणगौर पूजन
हाइलाइट्स
गणगौर पूजा राजस्थान में 16 दिन तक चलती है.विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.अविवाहित कन्याएं मनोवांछित वर के लिए गणगौर व्रत करती हैं.
जोधपुर:- होली के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा से 16 दिवसीय गणगौर पूजा की शुरुआत हो गई. संत अजनेश्वर आश्रम के गाधपति संत सांतेश्वर महाराज ने बताया कि गणगौर मुख्यतः राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है. सुहागनी अपने पति की लंबी आयु, कुशल वैवाहिक जीवन और अविवाहित कन्याएं मनोवांछित वर पाने के लिए गणगौर व्रत एवं पूजन करती हैं.
कुंवारी और विवाहित महिलाएं प्रतिदिन गणगौर पूजन और वो चैत्र शुक्ल द्वितीय यानी सिंजारे के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजा करती हैं और गणगोरों को पानी पिलाती हैं. दूसरे दिन शाम के समय उनका विसर्जन कर देती हैं. भारत भर में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है.
विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्णहिंदू समाज में यह पर्व विशेष तौर पर केवल सुहागिन महिलाओं के लिए ही होता है. इस दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को और पार्वती जी ने समस्त स्त्री समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था. इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं. यह सारे दिन चलता है और गौर माता से आशीर्वाद मानते हैं कि हमारा परिवार सुखी रहे. भारतीय धर्म संस्कृति में यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है और कुंवारी कन्याओं को मनपसंद जीवनसाथी मिलता है. यह गणगौर पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं. सुख शांति रहे, घर में सब पुत्र हो, इसलिए सब कामना अपनी लेकर महिलाएं गौर माता की पूजा करती हैं और आशीर्वाद लेती हैं.
राजस्थान में गणगौर का विशेष महत्वगणगौर पर्व पर विवाह के समस्त नेगाचार और रस्में की जाती है. जोधपुर में भी गणगौर उत्सव जोधपुर के भीतरी क्षेत्र में दो दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है. सरकारी कार्यालयों में आधे दिन का अवकाश दिया जाता है. ईसर और गणगौर की प्रतिमाओं की शोभायात्रा जालोरी गेट से निकलती है, जिनको देखने बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सेनानी उमड़ते हैं. इसके साथ घर-घर, कॉलोनियों और होटलों में भी इस पर्व का आयोजन किया जाता है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
First Published :
March 17, 2025, 16:22 IST
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कुंवारी और विवाहित महिलाओं के लिए खास है ये त्योहार, जानें क्या परंपरा