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Sri Shiv Ramashtak Stotram written by ramanand swami recite every monday for victory over competition challenge | Sri Shiv Ramashtak Stotram: हर सोमवार पढ़ें श्री शिव रामाष्टक स्तोत्र, प्रतियोगी परीक्षा हो या कोई और चुनौती सब पर मिलती है विजय

॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥

शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो। अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥1॥ कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते। शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥2॥

स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्। भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥3॥ जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे। जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥4॥ भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।

जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥5॥ अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते। निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥6॥ पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते। तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥7॥

अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्। मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥8॥ हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो। मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥9॥

नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्। विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥10॥ प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः। विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥11॥ ॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिवरामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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