Success Story: कोलकाता से सीकर आए 23 साल के निकुंज, बिना किसी आर्थिक सहारे के खड़ा किया ‘क्लब कचोरी’ स्टार्टअप, पढ़िए पूरी कहानी

सीकर. कहते हैं सफलता उन्हीं को मिलती है जो सपनों को हकीकत में बदलने की हिम्मत रखते हैं. कुछ ऐसा ही 23 साल के युवा निकुंज ने कर दिखाया है. निकुंज वैसे तो कोलकाता के रहने वाले हैं. सीकर में कुछ महीने पहले ही उन्होंने अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया है. जिस उम्र में ज्यादातर युवा सिर्फ करियर के सपने देख रहे होते हैं, वहीं निकुंज ने अपने कर्म और हौसले से कुछ हट के कर दिखाया है.
निकुंज ने सीकर में कोलकाता क्लब कचोरी के नाम से अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया है. निकुंज ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. उनका परिवार काफी समृद्ध और हाई-फैमिली बैकग्राउंड से है,लेकिन निकुंज का नजरिया अलग था. उन्होंने कभी अपनी पारिवारिक संपन्नता पर भरोसा नहीं किया, बल्कि अपने दम पर कुछ करने की ठानी. निकुंज अपने स्टार्टअप के साथ ही CA की तैयारी भी कर रहे है.
कुछ अलग करके अपनी अलग पहचान बनाईनिकुंज ने बताया कि खुद का कुछ करने के लिए वे कोलकाता से बस दो जोड़ी कपड़े और अपने सपने लेकर सीकर आ गए. उन्होंने कोलकाता की असली स्वाद वाली क्लब कचोरी को राजस्थान की धरती पर लाने का सपना देखा. बिना किसी पारिवारिक आर्थिक मदद के उन्होंने 2 से 3 महीनों की कड़ी मेहनत से सीकर में अपनी पहचान बना ली.
निकुंज का मानना है कि शिक्षा जरूरी होती है व्यापार के लिए, इसलिए वे स्टार्टअप के साथ-साथ अपनी शिक्षा को भी जारी रख रहे हैं. जहां आज के युवा लोग रील, इंस्टाग्राम, सोशल मीडिया जैसी जगह पर व्यस्त है वहीं कोलकाता के इस युवक ने सीकर में आकर अपने कारोबार को न केवल स्थापित किया है, बल्कि उसको प्रसिद्ध करने में भी मेहनत की है.
जब निकुंज से पूछा गया कि स्टार्टअप के लिए सीकर ही क्यों चुना गया तो निकुंज मुस्कुराए और बोले अगर कोई बिजनेस सीकर जैसे कठिन मार्केट में टिक सकता है, तो समझ लो जयपुर, उदयपुर या बीकानेर में तो वो उड़ेगा. उनका यह नजरिया बताता है कि असली बिजनेस माइंड वह नहीं जो आसान रास्ता चुने, बल्कि वो जो कठिन रास्तों को आसान बना दे.
फ्रेंचाइज़ मॉडल पर करेंगे काम आज निकुंज का यह स्टार्टअप न सिर्फ सीकर में कामयाब चल रहा है, बल्कि वह इसे जयपुर, उदयपुर और बीकानेर जैसे बड़े शहरों में फ्रेंचाइज़ मॉडल पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. कम उम्र में इस तरह की सोच और विजन वाकई काबिल-ए-तारीफ है. भले ही निकुंज ने आर्थिक मदद नहीं ली, लेकिन उनका परिवार हमेशा मानसिक और भावनात्मक सहारा बना रहा. उनकी यही सोच थी सपने अपने हैं, तो मेहनत भी अपनी ही होनी चाहिए. निकुंज ने बताया कि उन्होंने अपने परिवार को शुरू से ही कारोबार में देखा है तो उनको भी एक कारोबार खुद से स्थापित करने का जुनून सवार था. वह चाहते थे कि बिना परिवार की आर्थिक मदद लिए वह कुछ अपना कारोबार स्थापित करके अपने माता-पिता को गर्व महसूस करवाए और उन्होंने इस सपने को पूरा करने में उन्होंने अपनी जी जान लगा दी.
सीकर में ट्रेंड बना कोलकाता क्लब कचोरीनिकुंज ने बताया कि हिम्मत और मेहनत से हर मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आज कोलकाता की क्लब कचोरी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि जुनून और संघर्ष की महक है जो हर प्लेट के साथ लोगों के दिलों तक पहुचती है. उनकी कोलकाता क्लब कचोरी की प्लेट में गरमा गरम कचोरियां, मसालेदार आलू की सब्जी, खट्टी मीठी इमली की चटनी और ऊपर से नमकीन का हल्का सा क्रंच होता है .यह कांबिनेशन इतना स्वादिष्ट है कि सीकर के लोग इसे बार-बार खाने के लिए लौट आते हैं. आज सीकर में कोलकाता क्लब कचोरी एक नया ट्रेंड बन चुका है.