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Success Story: दांतों का डॉक्टर बन गया Apple में इंजीनियर, सिर्फ 11 साल में बदल डाला करियर, बहुत रोचक है कहानी

नई दिल्ली (Anshul Gandhi Success Story). भारत में मेडिकल या इंजीनियरिंग की डिग्री को सबसे सिक्योर करियर माना जाता है. अंशुल गांधी ने भी यही सोचकर 2013 में डेंटल कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. वह एक डेंटिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास हुआ कि यह वह काम नहीं है, जिसे वह जीवनभर करना चाहते हैं. रूट कैनाल करते और डेन्चर डिजाइन करते वक्त उन्हें कुछ कमी महसूस होती. फिर अपने मन की आवाज सुनकर उन्होंने एक फैसला लिया.

वह मेडिकल साइंस की सुरक्षित नौकरी छोड़कर टेक्नोलॉजी की अनिश्चित दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार हो गए. यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन अपने बचपन के कोडिंग के शौक को याद कर उन्होंने C++ और Java जैसी प्रोग्रामिंग भाषाएं सीखनी शुरू कर दीं. यहीं से उनका नया सफर शुरू हुआ, जिसने उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी Apple तक पहुंचा दिया. एआई इंजीनियर (AI Engineer Anshul Gandhi) अंशुल गांधी की सक्सेस स्टोरी बहुत रोचक है.बीडीएस करके बन गए डेटा एनालिस्ट!

बीडीएस कोर्स पूरा करने के बाद अंशुल गांधी ने आम रास्ता नहीं अपनाया. उन्होंने कोई क्लीनिक नहीं खोला. इसके बजाय उन्होंने भारत में ही डेटा एनालिस्ट की नौकरी कर ली. इससे उनका प्रोग्रामिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के साथ रिश्ता बन गया था. यह वो समय था, जब AI आज की तरह बड़ा ‘बजवर्ड’ नहीं था, लेकिन अंशुल को इसमें भविष्य दिख रहा था. अपने टेक्निकल बेस को मजबूत करने के लिए उन्होंने 2016 में अमेरिका के ह्यूस्टन में जाकर बायोमेडिकल इन्फॉर्मेटिक्स में मास्टर्स डिग्री भी हासिल की.

हेल्थकेयर और टेक का कॉम्बो

बायोमेडिकल इन्फॉर्मेटिक्स डिग्री उनके लिए वरदान साबित हुई क्योंकि यह स्वास्थ्य सेवा (Healthcare) और टेक्नोलॉजी का अद्भुत मेल थी. इस डिग्री ने उन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया में वह गहराई दी, जिसकी उन्हें जरूरत थी और पिछले मेडिकल अनुभव से एक जुड़ाव भी बना रहा. 2018 में मास्टर्स की डिग्री पूरी करने के बाद अंशुल ने डेटा साइंटिस्ट के तौर पर नौकरी शुरू की. इस दौरान उन्होंने हेल्थकेयर डेटा को समझने और मरीजों का रिजल्ट बेहतर बनाने के लिए काम किया.

2021 में मिल गई Dell में नौकरी

लगातार सीखने और एक्सपर्टीज हासिल करने के बाद अंशुल गांधी 2021 में Dell कंपनी में मशीन लर्निंग इंजीनियर के पद पर शामिल हुए. Dell में उन्होंने बड़े और कॉम्प्लेक्स मशीन लर्निंग सिस्टम पर काम किया और साइबर सिक्योरिटी सॉल्यूशन के लिए AI/ML-बेस्ड पेटेंट भी फाइल किया. इसके बाद भी उनके कदम उतने तक ही नहीं रुके. हालांकि उनका सपना हमेशा से ही गूगल, मेटा या Apple जैसी ‘बिग टेक’ कंपनियों के साथ जुड़कर बड़े पैमाने पर काम करने का था.

Apple में नौकरी पाने के लिए बदली स्ट्रैटेजी

अंशुल गांधी ने अगस्त 2024 में फिर से नई नौकरी की तलाश शुरू की. लेकिन इस समय तक मार्केट में बड़ा बदलाव आ चुका था. इस समय तक AI का स्तर और प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं अधिक थी. अब जेनरेटिव एआई का दौर था. इसने टेक्निकल योग्यता का पैमाना काफी ऊंचा कर दिया था. इस नई चुनौती का सामना करने के लिए अंशुल ने अपनी स्ट्रैटेजी को अपग्रेड किया:

लिंक्डइन पर एक्टिव: उन्होंने लिंक्डइन कनेक्शन की संख्या 200 से बढ़ाकर 500 से ज्यादा करने पर फोकस किया. एक रिक्रूटर ने उन्हें बताया था कि 500 से कम कनेक्शन वाली प्रोफाइल कम ऑथेंटिक लगती है.

Thought Leader बनना: अंशुल गांधी ने सिर्फ नौकरी मांगने के बजाय AI से संबंधित कंटेंट नियमित रूप से शेयर करना और इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स के कंटेंट के साथ जुड़ना शुरू कर दिया. इस तरह उन्होंने खुद को अपने क्षेत्र का Thought Leader साबित किया.

कठिन प्रैक्टिस: उन्होंने इंटरव्यू के लिए LeetCode के सवालों का अभ्यास किया और मॉक इंटरव्यू भी दिए, खासकर सिस्टम डिजाइन के अभ्यास पर ध्यान दिया.

जनवरी 2025 में साकार हुआ सपना

अंशुल गांधी की कड़ी मेहनत, लगातार सीखने की इच्छा और स्मार्ट नेटवर्किंग की स्ट्रैटेजी रंग लाई. डायरेक्ट आवेदन और रेफरल के दम पर उन्होंने Apple के इंटरव्यू क्रैक किए. आखिरकार जनवरी 2025 में वह Apple में सीनियर मशीन लर्निंग इंजीनियर के रूप में शामिल हो गए. अंशुल गांधी की कहानी साबित करती है कि सफलता की राह सीधी नहीं होती. अगर आप में जुनून, तैयारी और साहस है तो कोई भी बैकग्राउंड या अतीत आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकता.

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