Success Story : भीलवाड़ा की बेटी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तहलका, भारत के लिए विदेश में जीता सिल्वर

Last Updated:November 10, 2025, 14:31 IST
Success Story : भीलवाड़ा की महिला पहलवान अश्वनी बिश्नोई ने बहरीन में आयोजित एशियन यूथ गेम्स 2025 में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. कठिन परिस्थितियों और भार वर्ग बदलने के बावजूद उन्होंने अपनी ताकत और तकनीक से सबको चौंका दिया. अश्वनी की यह उपलब्धि पूरे राजस्थान के लिए गर्व का क्षण बनी है.
भीलवाड़ा – भीलवाड़ा को पहलवानों का गढ़ कहा जाता है भीलवाड़ा के पहलवानों और खिलाड़ियों ने जिले का नाम न केवल सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रोशन किया है. भीलवाड़ा शहर और जिले पर में ऐसे कई खिलाड़ी है, जिन्होंने अपने जिले का नाम अलग-अलग खेल जगत में रोशन किया है और कुश्ती की दृष्टि से भीलवाड़ा, महिला पहलवानों की बदौलत और आगे बढ़ रहा है. ऐसे में भीलवाड़ा की बेटी ने भीलवाड़ा का नाम रोशन किया है कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. भीलवाड़ा की महिला पहलवान अश्विनी ने.

भीलवाड़ा के पुर क्षेत्र की पहलवान अश्वनी बिश्नोਈ ने हाल ही में बहरीन में आयोजित 2025 Asian Youth Games में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता है. बिश्नोई आमतौर पर 65 किलो भार वर्ग में उतरती थीं, लेकिन इस बार 65 किलो वर्ग नहीं होने के कारण उन्होंने खुद से करीब 4 किलो अधिक यानी 69 किलो भार वर्ग में उतरना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने देश के लिए दूसरा स्थान सुनिश्चित किया.

कोच कल्याण बिश्नोई ने बताया कि अश्वनी का मूल भार वर्ग 65 किलो था, लेकिन टूर्नामेंट के नियम व भार वर्ग उपलब्धता की वजह से वे 69 किलो वर्ग में गईं. इस भारी वर्ग में उतरना किसी भी पहलवान के लिए चुनौती होती है क्योंकि प्रतिद्वंद्वी अधिक भार वाले हो सकते हैं. फिर भी अश्वनी ने अपनी मजबूती, तकनीक और साहस के बल पर सिल्वर मेडल का अधिकार प्राप्त किया है.

यह उपलब्धि उनके लिए अकेली नहीं है इससे पहले भी अश्वनी भारत तथा राजस्थान के लिए कई बड़े अंतरराष्ट्रीय खिताब जीत चुकी हैं. जिसमें उन्होंने अंडर-17 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 65 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था और राजस्थान की पहली महिला पहलवान बनी थीं जिसने विश्व स्तर पर गोल्ड जीता था.

अश्वनी ने बताया कि उनके पिता फैक्ट्री में श्रमिक का काम करते हैं और मां ग्रहणी है विकट परिस्थितियों होने के बावजूद अश्विनी के पिता ने पहलवानी में उनकी काफी मदद की और मोटिवेट किया उनके बदौलत आज वह इस ऊंचाई पर पहुंच पाई हैं उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और कोच को दिया है यह सिल्वर मेडल तकनीकी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने वजन वर्ग बदलने के बावजूद मजबूती दिखाई. उनके लिए यह संकेत है कि भविष्य में वे किसी भी भार वर्ग में तालमेल बना सकती हैं. उनके करियर में यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाएगा, जहां से आगे स्टैबिलिटी एवं निरंतरता की दिशा में काम करना होगा.
First Published :
November 10, 2025, 14:31 IST
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भीलवाड़ा की बेटी का कमाल, विदेश में भारत के लिए जीता सिल्वर मेडल



