Success story of female IPS officer: Kota’s IPS officer whose journey from doctor to becoming IPS officer is a role model for everyone.

शक्ति सिंह/कोटा:- कोटा की आईपीएस ऑफिसर, जिनका डॉक्टर से लेकर आईपीएस ऑफिसर बनने तक का सफर सबके लिए रोल मॉडल है. उन्होंने डॉक्टरी की और उसके बाद यूपीएससी में बाजी मारी. आज डॉक्टर अमृता दुहन कोटा शहर में पुलिस अधीक्षक SP के पद पर पोस्टेड हैं. अमृता दुहन मूलरूप से हरियाणा रोहतक की रहने वाली हैं और राजस्थान कैडर में साल 2016 में आईपीएस की. एमबीबीएस, एमडी, डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) की डिग्री प्राप्त करने वाली अमृता दुहन का जन्म 11 नवंबर 1983 को हुआ.
अमृता दुहन ने लोकल 18 को बताया कि मैंने डॉक्टर बनने का सपना देखा और उसे पूरा किया. उसके बाद आईपीएस अधिकारी बनने का और देश सेवा करने का मौका मिला. साल 2007 में उन्होंने एमबीबीएस पूरा किया और फिर पैथोलॉजी में एमडी किया. बाद में उन्होंने बीपीएस मेडिकल कॉलेज फॉर वूमेन में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया.
बिना कोचिंग पहले अटेम्प्ट में UPSC किया क्रैकडॉक्टर बनने के बाद परिवार ने अमृता की शादी का मन बना लिया और शादी के कुछ सालों बाद उन्हें बेटा हुआ, जिसका नाम समर है. उनके स्टेबल करियर, सेटल्ड फैमिली लाइफ ने उन्हें बड़े सपने देखने से नहीं रोका. जब उनके छोटे भाई का आईपीएस के लिए सेलेक्शन हुआ, तो वह संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में बैठने के लिए प्रेरित हुई. उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और अपने वीकेंड को बेटे के लिए रिजर्व कर दिया. 2016 में उन्होंने बिना किसी कोचिंग के अपने पहले अटेंप्ट में परीक्षा में सफलता प्राप्त की. परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए उन्होंने अपने मुकाम को हासिल किया. कड़ी मेहनत व संघर्ष के दम पर डॉक्टर अमृता दुहन ने यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई की.
अकादमी में जीतीं 3 ट्राफियां2017 में, अपने कैडर की एकमात्र महिला भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी डॉ. अमृता दुहन ने पुलिस अकादमी में तीन ट्राफियां जीती, तो वह देश भर की महिलाओं के लिए एक आदर्श बन गईं. अपने पूरे जीवन में उन्होंने अपने सपनों को हासिल करने के लिए बाधाओं को पार किया और आज वह डॉक्टर और मां से लेकर पुलिस अधिकारी तक की कई भूमिकाएं निभाती हैं. जब अमृता ने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में अपनी ट्रेनिंग शुरू की, तब वह 33 साल की थी और उन्हें फिजिकल एक्टिविटी की आदत नहीं थी. उन्होंने ओवरटाइम ट्रेनिंग ली और लगातार चोटों के बावजूद, उन्हें ट्रेनिंग के आखिर में बेस्ट आउटडोर प्रोबेशनर और बेस्ट ऑल-राउंड प्रोबेशनर के रूप में चुना गया.
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आज हैं कोटा में पोस्टेडअपने छात्र जीवन का जिक्र करते हुए कोटा पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन ने Local 18 को बताया कि मैं भी इस मानसिकता से गुजरी हूं, जब मेडिकल की तैयारी कर रही थी. माता-पिता पर भी स्ट्रेस और दबाव रहता है, मैं इस बात से भी भली-भांति परिचित हूं. मैंने डॉक्टर बनने का सपना देखा, उसे पूरा किया. उसके बाद यूपीएससी के लिए मौका मिला, तो उसमें भी अपना बेस्ट दिया. जरूरी नहीं कि आप सफल हो, सफलता और असफलता चलती रहती है. जीवन का चक्र है, बस आप अपना बेस्ट दो और उसके बाद आप चिंता बिल्कुल मत करो. जीवन बहुत बड़ा है यह तो पहले पायदान था. आगे और भी मौके मिलेंगे, जरूरी नहीं है कि हमें इंजीनियर ही या डॉक्टर ही बनना है. आज के समय में बहुत सारे ऑप्शन हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 15:58 IST