Success Story Sheeshpal and Nisha Limba Biography short stature para players 12 Gold Medal Achievers rjsr
बीकानेर. कहते हैं कि कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश अगर दिल में हो तो फिर कोई मंजिल मुश्किल नहीं होती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान (Rajasthan) के नाटे कद के एक दंपति ने. ये पति और पत्नी कद में भले ही छोटे जरूर हैं लेकिन पैरा खेलों (Para Games) के माध्यम से इन्होंने नाम बड़ा किया है. मूलतया हनुमानगढ़ जिले के बीरमाणा गांव निवासी शीशपाल लिम्बा और उनको पत्नी निशा लिम्बा (Sheeshpal and Nisha Limba) ने अब तक देश व प्रदेश में खेल की दुनिया में 12 गोल्ड 2 सिल्वर और 5 कांस्य मेडल अपने नाम कर दुनिया को कम संसाधनों में बड़ी ऊंचाइयां छूने का हौसला दिया है.
भारत में खेलों में पिछले कुछ समय कई छिपी हुई प्रतिभायें सामने आई हैं और उन्होंने दुनिया में देश का नाम रोशन किया है. हाल ही में देश के खिलाड़ियों को ओलपिंक और पैरा ओलपिंक जैसे खेलों में गोल्ड मेडल मिले. हम आपको एक ऐसे दंपति की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने छोटे कद के होते हुये भी बड़ा नाम किया है.
दोनों का कद तीन-तीन फीट के करीब है
इनका नाम है शीशपाल लिम्बा और उनकी पत्नी निशा लिम्बा. शीशपाल और निशा दोनों का कद तीन-तीन फीट के करीब है. लेकिन ये डिस्कस थ्रो, शॉटपुट और जेवलिन थ्रो जैसे खेलो में इन्होंने लंबी उड़ान भरी है. लिम्बा दंपति ने खेलों का सफर 2017 में उदयपुर में हुई राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता से शुरू किया था. एक बार सफलता मिलने के बाद इस दंपति ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. शीशपाल एमए एलएलबी है और निशा अभी 12वीं की पढ़ाई कर रही है. निशा मूलरूप से दिल्ली की रहने वाली है. यह वर्तमान में बीकानेर में रह रहे हैं.
अब तक 12 गोल्ड, 2 सिल्वर और 5 कांस्य मेडल जीत चुके हैं
हाल ही में इस दंपति ने बैंग्लूरु और पंचकुला में हुये राष्ट्रीय स्तर के पैरा खेल प्रतियोगियाओं में हिस्सा लिया. वहां अपने शहर का नाम देश में रोशन करते हुए दोनों कई मेडल अपने नाम किये. यह दंपति अब तक 12 गोल्ड, 2 सिल्वर और 5 कांस्य मेडल अपने नाम कर चुका है. यह बात दीगर है कि इन सबके लिये इनके सफर में कई तरह की दिक्कतें आई लेकिन इन्होंने उनका डटकर मुकाबला किया.
पैसे के अभाव में अच्छे कोच से प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं
लिम्बा दंपति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे अच्छे कोच से प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे हैं. पति और पत्नी अपने दम पर ही प्रेक्टिस करके देश का मान दुनिया में बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन सरकारी मदद नहीं मिलने से इनकी प्रतिभा को वो मुकाम नहीं पा रहा है जिसके ये हकदार हैं. दोनों का खर्च भी शीशपाल का भाई ही उठा रहे हैं. सरकारी सहायता के नाम पर अभी दोनों को विकलांग कोटे से मिलने वाले महज पांच रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं. ऐसे में जरूरत है की सरकार इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान कर उचित मुकाम तक पहुंचाए.
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