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Success Story: स्टील के हौसले और सपनों के पंख, दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनीं एयर होस्टेस, आसमान में भरेगी उड़ान

Last Updated:April 11, 2025, 14:50 IST

Air Hostess Success Story: अगर दिल में कुछ पाने की सच्ची चाह हो, तो राह खुद बनती है. एक आदिवासी लड़की ने एयर होस्टेस बनकर अपने सपने को हकीकत में बदल दिया है.स्टील के हौसले और सपनों के पंख, दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनीं एयर होस्टेस

Air Hostess Success Story: दिहाड़ी मजदूर की बेटी बनीं एयर होस्टेस

Air Hostess Success Story: अगर आपके अंदर किसी भी चीज को पाने की ललक हो, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसे ही सफलता की कहानी लिखने वाली एक आदिवासी लड़की की है, जो एयर होस्टेस बनकर अपने सपनों की उड़ाने भरने में कामयाब रहे हैं. वह अपने सपनों को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश की हैं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम गोपिका गोविंद (Gopika Govind) हैं.

माता-पिता हैं दिहाड़ी मजदूरगोपिका गोविंद केरल के अलकोड़े के पास कावुनकुडी की एसटी कॉलोनी में एक साधारण परिवार में जन्मी थीं. उनके माता-पिता पी. गोविंदन और वी.जी. दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे. वह करिम्बाला आदिवासी समुदाय से आती हैं और उनका बचपन आर्थिक संघर्षों और सीमित अवसरों से भरा हुआ था. हालांकि उनके माता-पिता ने उन्हें प्रैक्टिकल रास्ते को अपनाने की सलाह दी, लेकिन गोपिका के मन में एयर होस्टेस बनने का सपना था.

बीएससी की हासिल की डिग्रीगोपिका ने अपनी पढ़ाई पूरी की और केमेस्ट्री में बीएससी की डिग्री हासिल की क्योंकि यह उनके लिए सुलभ और किफायती था. लेकिन उनके मन में हमेशा एक सपना था, जो जीवन के उतार-चढ़ाव के बावजूद शांत नहीं हुआ. ग्रेजुएट होने के बाद एक दिन अखबार में एयर होस्टेस की वर्दी में एक केबिन क्रू की तस्वीर ने उनके पुराने सपने को फिर से जगा दिया.

यहां से शुरू हुआ इनका सफरगोपिका ने विमानन क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया और वायनाड के कलपेट्टा स्थित ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने इंटरव्यू देना शुरू किया और पहले प्रयास में चयनित नहीं हो पाई. लेकिन उनका आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प कभी कमजोर नहीं पड़ा. दूसरे प्रयास में उनका चयन हुआ और तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद गोपिका ने केबिन क्रू के रूप में अपनी पहली उड़ान कन्नूर से खाड़ी तक भरी.

युवा लड़कियों के लिए एक बनी प्रेरणागोपिका की यह यात्रा न केवल उनके लिए एक प्रोफेशनल सफलता थी बल्कि यह आदिवासी और वंचित समुदायों की कई युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन गई. मनोरमा ऑनलाइन के अनुसार वह बताती हैं कि अगर आपके पास कोई सपना है, तो उसे निडरता से पूरा करें. आपको उसे हासिल करने का आत्मविश्वास भी होना चाहिए. इसके बिना हम कहीं नहीं पहुंच पाएंगे.

जुनून और आत्मविश्वास से भरी सपनों की उड़ानगोपिका का मानना ​​है कि हमें अपने लक्ष्यों के बारे में दुनिया से बातें करने की बजाय, अपनी मेहनत और समर्पण से ही अपनी पहचान बनानी चाहिए. उनकी सफलता का संदेश है कि अगर आपके पास जुनून और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है. आज, गोपिका गोविंद के लिए आसमान ही सीमा है. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और अडिग आत्मविश्वास से न केवल अपना सपना पूरा किया, बल्कि अपने समुदाय और राज्य के लिए एक प्रेरणा बन गईं.

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First Published :

April 11, 2025, 14:50 IST

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