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Success Story Transplanted new penis by making on hand of cancer patient big operation done in Jaipur completed in 8 hours

हाइलाइट्स

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर जयपुर
आठ घंटे चली इस सर्जरी में पांच डॉक्टर्स सहित 11 लोगों की टीम जुटी
हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों और नसों को लेकर किया लिंग का निर्माण

जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMCHRC) में एक जटिल सर्जरी की गई है. मरीज के कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर रोगी के हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों और नसों के जरिए नया लिंग (Penis) बनाकर क्रियाशील लिंग का पुनर्निर्माण किया गया. राजस्थान में पहली बार हाथ पर लिंग बनाकर यथास्थान प्रत्यारोपण (Transplant) करने का केस सफलतापूर्वक किया गया है. करीब आठ घंटे चली इस सर्जरी में पांच डॉक्टर्स सहित 11 लोगों की टीम जुटी रही.

बीएमसीएचआरसी के कैंसर सर्जन डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि बूंदी निवासी 72 साल के मरीज ने उपचार के दौरान लिंग हटाने की बात जानकर पहले तो इसके लिए मना कर दिया था. लिंग के हटने के बाद मरीज को पेशाब करने में दिक्कत होती है. उसे बैठकर पेशाब करना पड़ता है. दिनचर्या में आने वाले ऐसे बदलावों का रोगी की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बाद में डॉक्टर्स की ओर से मरीज को की गई समझाइश से वह मान गया. उसके बाद में यह सर्जरी की गई.

इससे रोगी की मानसिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता
इस सर्जरी में पहले डॉ प्रशांत शर्मा की टीम ने कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाया. इसके बाद प्लास्टिक एंड रिकंसट्रक्टिव सर्जन डॉ. उमेश बंसल और डॉ. सौरभ रावत की टीम ने लिंग पुनःनिर्माण की प्रकिया की. डॉ. उमेश बंसल ने बताया कि कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर सम्पूर्ण लिंग पुनःर्निमाण एक ही ऑपरेशन में करना एक जटिल प्रकिया है. लेकिन यह दोनों प्रक्रिया साथ होने से रोगी की मानसिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.

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हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों और नसों को लेकर लिंग का निर्माण किया गया
सर्जरी के दौरान पहले रोगी के बांए हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों और नसों को लेकर लिंग का निर्माण किया गया. उसके बाद माइक्रोस्कोपिक तकनीक से नवनिर्मित लिंग को यथा स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया गया. बाद में उसमें रक्त प्रवाह शुरू किया गया. इस सर्जरी में माइक्रो सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल किया गया. लिंग पुनर्निर्माण का उद्देश्य सही आकार, लंबाई और मूत्रमार्ग बनाने के साथ ही लिंग में संवेदना देना होता है. इसके साथ ही जिस हाथ पर लिंग का निर्माण किया गया उस हाथ की कार्य क्षमता और आकार में कोई परिवर्तन नहीं आया. ऐसे में रोगी पुनःनिर्मित लिंग के साथ ही पूर्ण रूप से सामान्य जीवन जी सकता है.

करीब चार प्रतिशत कैंसर रोगियों में होती है यह परेशानी
डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि कैंसर रोगियों में से करीब चार प्रतिशत पुरुष रोगी जननांग अंग के कैंसर के होते हैं. इनमें से करीब 50 फीसदी रोगियों में उपचार स्वरूप लिंग को हटाना पड़ता है. प्लास्टिक सर्जन डॉ. सौरभ रावत ने बताया कि राज्य की प्रथम लिंग पुनःनिर्माण सर्जरी 2017 बीएमसीएचआरसी में ही की गई थी. चिकित्सालय में अब तक 10 लिंग पुनःनिर्माण हो चुके हैं. इन सभी सर्जरी में ना सिर्फ सफलता मिली बल्कि नया लिंग हू-ब-हू प्राकृतिक जैसा बनाया गया. लिंग पुनःनिर्माण के दो सप्ताह के अंदर व्यक्ति सामान्य रूप से चलना-फिरना और अन्य दैनिक कार्य आसानी से कर सकता है. डॉ. रावत ने बताया कि किसी व्यक्ति का लिंग चोट, कैंसरग्रस्त या अन्य किसी कारण से हटाया गया हो या जन्मजात लिंग नहीं हो तो लिंग पुनःनिर्माण संभव है.

Tags: Jaipur news, Latest Medical news, Rajasthan news, Success Story

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