ऐसी योजना, जिसमें विदेश से आते हैं डॉक्टर, पाली के 5 बच्चों को मिला मुफ्त इलाज, जानिए कैसे

पाली. डॉक्टरों को धरती का भगवान कहते हैं, मगर यही भगवान पाली जिले के उन पांच बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं थे. इन डॉक्टरों ने बच्चों के चलने-फिरने की समस्या को दूर करने का काम किया. टेढ़े-मेढ़े पैर और क्लब फुट से परेशान पाली जिले के पांच बच्चों का नि:शुल्क रूप से ऑपरेशन किया गया, जिसके लिए विशेष रूप से ऑस्ट्रिया और जर्मनी के डॉक्टर राजस्थान पहुंचे और उन्होंने इन पांच बच्चों को एक अच्छी और नई जिंदगी देने का काम किया.
पाली आरबीएसके योजना के तहत इन बच्चों का यह ऑपरेशन बिल्कुल नि:शुल्क जोधपुर के एक निजी अस्पताल में हुआ. इसके लिए विशेष आग्रह पर ऑस्ट्रिया के सीनियर आर्थो स्पेशलिस्ट डॉ. अर्नस्ट आर्थनर और जर्मनी से डॉ. डर्क फ्रैंक थुम्लर जोधपुर पहुंचे. डॉक्टरों द्वारा एक-एक घंटे में 5 बच्चों की क्लब फुट की सर्जरी की गई, जिससे बच्चों के पैर एकदम सीधे हो जाएंगे.
दो महीने बाद पैरों पर खड़े होंगे ये पांच बच्चे
पाली आरबीएसके योजना के तहत टेढ़े-मेढ़े पैर क्लब फुट से परेशान जिले के पांच बच्चों का जोधपुर के निजी अस्पताल में नि:शुल्क ऑपरेशन हुआ. करीब दो महीने बाद अब यह सभी बच्चे सामान्य बच्चों की तरह चल सकेंगे. सीएमएचओ डॉ. विकास मारवाल ने बताया कि पाली जिले के बागोल गांव के 14 वर्षीय लुम्बाराम, गुडा बिन्जा गांव के 9 वर्षीय करण कुमार, मादा गांव के 16 वर्षीय कुंदन राजपुरोहित, रुणिचा कॉलोनी पाली की 8 वर्षीय अलवीरा खान और चोपड़ा गांव की 5 वर्षीय हिमांशी को जन्म से पैरों में समस्या थी और चलने में दिक्कत थी. माता-पिता कई जगह भटकने के बाद थक-हार और निराश हो गए थे.
टेढ़े-मेढ़े पैर हुए ठीक
मारवाल ने बताया कि इसके बाद चिकित्सा विभाग की आरबीएसके टीमों द्वारा इन बच्चों का क्लब फुट (टेढ़े-मेढ़े पैर) श्रेणी में सर्जरी के लिए चयन कर जिला अस्पताल पर संचालित डीईआईसी केंद्र पाली पर रेफर किया गया. यहां से चिन्हित बच्चों को जोधपुर के निजी अस्पताल में नि:शुल्क सर्जरी के लिए भेजा गया. इन बच्चों के साथ देसूरी से आयुष डॉ. रानीसिंह तोमर भी मौजूद रहे, जिनकी सर्जरी विदेशी डॉक्टरों द्वारा की गई. जल्द ही ये बच्चे आम लोगों की तरह घूम-फिर सकेंगे.
जाने किन बच्चों को मिल सकता है इस योजना का लाभ
डॉ. मारवाल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना में जन्म से 18 साल तक के बच्चों में जन्म के समय से कोई विकृति, बीमारी या विकास में देरी से संबंधित समस्या होने पर सरकार द्वारा नि:शुल्क इलाज किया जाता है. योजना में 32 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाता है. इसमें सर्जरी जैसी सुविधाएं भी नि:शुल्क मुहैया करवाई जाती हैं. इसमें तंत्रिका ट्यूब, डाउन सिंड्रोम, कटे होंठ और तालु, क्लब फुट, कूल्हे का विकासात्मक डिसप्लेसिया, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदय रोग, समयपूर्व रेटिनोपैथी, श्रवण बाधित, न्यूरो-मोटर दुर्बलता, मोटर विलंब, लेट बोलने, ऑटिज्म जैसी कई बीमारियां शामिल हैं.



