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अचानक से जज्बात बदल गए…1 परिवार के ही चार सदस्य चल पड़े संन्यास की राह

Last Updated:March 04, 2025, 12:17 IST

भीलवाड़ा के अंटाली कस्बे में जैन समाज के चार संन्यासियों ने जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की. आचार्य पुंडरीक रत्न सूरिजी महाराज ने उन्हें नए नाम दिए. इस आयोजन ने लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान की.X
दीक्षा
दीक्षा ग्रहण करते मुमुक्षु

हाइलाइट्स

भीलवाड़ा में चार जैन संन्यासियों ने दीक्षा ग्रहण की.आचार्य पुंडरीक रत्न सूरिजी महाराज ने नए नाम दिए.दीक्षा महोत्सव ने लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान की.

रवि पायक/भीलवाड़ा. भीलवाड़ा जिले के अंटाली कस्बे में जैन समाज के चार सन्यासियों ने सांसारिक जीवन की सुख-सुविधाओं को त्यागकर जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की है. यह आयोजन भव्य पांडाल में गाजे-बाजे के साथ हुआ, यहां देशभर से आए लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. इस दौरान संत-साध्वियों की मौजूदगी में दीक्षा ग्रहण की धार्मिक रस्में निभाई गईं. जैन संत आचार्य पुंडरीक रत्न सूरिजी महाराज के सानिध्य में चार मुमुक्षुओं ने जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की और बाद में उन्हें नए सांस्कारिक नाम भी दिए गए.

इस आयोजन में शामिल लोगों ने बताया कि यह एक अलग अनुभव था, जिसने उन्हें आध्यात्मिक शांति और सुकून प्रदान किया. उन्होंने कहा कि जैन भागवती दीक्षा ग्रहण करना एक महत्वपूर्ण और पवित्र कार्य है, जो व्यक्ति को सांसारिक जीवन की सुख-सुविधाओं से दूर कर आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है. इस आयोजन के दौरान जैन समाज के लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और दीक्षा ग्रहण करने वाले चार संन्यासी को शुभकामनाएं दीं.

नाम का हुआ परिवर्तन सन्यासियों को दीक्षा प्रदान करने के बाद आचार्य पुंडरीक रत्न सूरिजी महाराज ने चारों का नया नामकरण किया. भीलवाड़ा जिले के अंटाली में पहली बार एक साथ चार दीक्षा हुई हैं. अब निलेश डागा को विजय श्री जी, नीता डागा को वचन सिद्धि श्रीजी, खुशी डागा को वचन शुद्धि श्री जी, सूर्य बहन को सिद्धि दर्शना श्रीजी के नाम से पहचाना जाएगा.

दीक्षा से पहले निकाली यात्रा दीक्षा से पहले वैरागिनों की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकाली गई. यात्रा उनके अस्थाई निवास से गाजे-बाजों के साथ शुरू होकर दीक्षा स्थल पहुंची. यात्रा में सभी परिजन और धर्मावलंबी जयकारे लगा रहे थे. मुमुक्षुओं का केश लोचन करने के बाद साध्वी वेश धारण कर जैनाचार्य के समक्ष पहुंची और दीक्षा पाठ प्रदान करने का आग्रह किया. आचार्य ने पांडाल में मौजूद संतों-साध्वियों और हजारों श्रावक-श्राविकाओं की स्वीकृति पर चारों को दीक्षा मंत्र प्रदान कर संयम पथ पर बढ़ने की आज्ञा दी. दीक्षा मंत्र प्रदान करते ही पूरा पांडाल भगवान महावीर स्वामी और जयघोष से गूंज उठा.

संत और साध्वी बनते ही लोग हुए भावुक नामकरण से पहले डागा परिवार को अंतिम बार पति-पत्नी और पुत्री से मंगल भाव के साथ आपस में मिलने का दृश्य देखकर पंडाल में बैठे हजारों श्रावक-श्राविकाओं की आंखें खुशी से नम हो गईं. डागा परिवार के एक सदस्य ने सात साल पहले ही दीक्षा ले ली थी. इन तीनों के दीक्षा लेने के साथ ही पूरा डागा परिवार संयम पथ पर चल पड़ा है.

परिवार के 3 सदस्यों ने पकड़ी आध्यात्मिक राह दीक्षा महोत्सव ने अंटाली की धरती को पावन बना दिया है. साल 2017 में जब मुमुक्षु निलेश डागा के बेटे हर्षित ने दीक्षा ली तो वे अहमदाबाद से विहार पर निकले. अंटाली आए तो यहां जैन मंदिर में पूजा के लिए ग्रामीणों ने परिवार को रोक लिया. भोपाल निवासी मुमुक्षु निलेश डागा, पत्नी नीता डागा, बेटी खुशी डागा यहीं रुक गए. नियमित पूजा-पाठ शुरू किया और संयम पथ पर चलने का मन बना लिया. सांसारिक जीवन का त्याग कर संयम पथ पर चल दिए.


Location :

Bhilwara,Rajasthan

First Published :

March 04, 2025, 12:17 IST

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एक परिवार के चार सदस्य संन्यास की राह पर, जैन समाज ने निकाली यात्रा

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