अचानक गायब होने लगे मंदिरों से कलश, शिखर पर चढ़ चुरा लेता था गैंग, रात में ही होता था एक्टिव

Last Updated:May 21, 2025, 15:59 IST
डूंगरपुर पुलिस ने मंदिरों के शिखर से कलश चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इसमें 4 बालिग गिरफ्तार हुए हैं जबकि तीन नाबालिग शामिल हैं. गिरोह ने आसपुर, सबला, सागवाड़ा में 20 चोरियां कबूली है. मंदिरों को निशा…और पढ़ें
गिरोह मंदिरों के शिखर से तांबे और चांदी के कलश चुराने में माहिर था
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में पुलिस ने एक संगठित चोर गिरोह का पर्दाफाश कर एक बड़ी सफलता हासिल की है. यह गिरोह मंदिरों के शिखर से तांबे और चांदी के कलश चुराने में माहिर था और आसपुर, सबला, और सागवाड़ा क्षेत्रों में सक्रिय था. डूंगरपुर पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने चार बालिग आरोपियों को गिरफ्तार किया है और तीन नाबालिगों को हिरासत में लिया है. पूछताछ में गिरोह ने जिले में 20 से अधिक चोरी की वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की है, जिनमें अधिकतर मंदिरों को निशाना बनाया गया. पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है.
क्या है पूरा मामला?पिछले कुछ महीनों से डूंगरपुर जिले के आसपुर, सबला, और सागवाड़ा क्षेत्रों में मंदिरों, दुकानों और घरों में चोरी की घटनाएं बढ़ रही थीं. खासकर मंदिरों के शिखर से तांबे और चांदी के कलश चोरी होने की शिकायतें पुलिस के पास लगातार आ रही थीं. इन चोरियों ने स्थानीय समुदाय में दहशत और आक्रोश पैदा कर दिया था. डूंगरपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) राकेश कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया. STF ने सीसीटीवी फुटेज, मुखबिरों की सूचना और तकनीकी जांच के आधार पर इस गिरोह तक पहुंचने में सफलता हासिल की.
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारीSTF ने 20 मई 2025 को आसपुर और सागवाड़ा में छापेमारी कर चार बालिग आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनके नाम स्थानीय सूत्रों के अनुसार रमेश भील, सुरेश वागरी, दिनेश निनामा और गोविंद परमार हैं. इसके अलावा, तीन नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है. पूछताछ में गिरोह ने डूंगरपुर, उदयपुर, और बांसवाड़ा में 20 से अधिक चोरी की वारदातों को कबूल किया, जिनमें मंदिरों के कलश, दानपात्र और अन्य कीमती सामान शामिल हैं. पुलिस ने आरोपियों के पास से चोरी किए गए तांबे और चांदी के कलश, कुछ नकदी और चोरी में इस्तेमाल होने वाले औजार बरामद किए हैं.
ऐसे करता था कामजांच में पता चला कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से काम करता था. वे पहले मंदिरों और सूने घरों की रेकी करते थे और रात के समय चोरी को अंजाम देते थे. मंदिरों के शिखर पर चढ़ने के लिए वे विशेष उपकरण और रस्सियों का उपयोग करते थे. चोरी किया गया माल स्थानीय और पड़ोसी जिलों में बेचा जाता था. गिरोह में शामिल नाबालिग भी सक्रिय भूमिका निभाते थे क्योंकि उनकी उम्र के कारण उन्हें आसानी से संदेह से बचने में मदद मिलती थी. पुलिस को शक है कि इस गिरोह का नेटवर्क उदयपुर और बांसवाड़ा तक फैला हुआ है और अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है.
सामाजिक और कानूनी पहलूयह घटना धार्मिक स्थानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती है. मंदिरों में चोरी और दानपात्र की चोरी से स्थानीय समुदाय में रोष फैल गया है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 380 (चोरी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया है. दोषी पाए जाने पर आरोपियों को सात साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा,नाबालिगों को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा. यह मामला समाज में मंदिरों की सुरक्षा और अंधविश्वास के दुरुपयोग को लेकर चर्चा का विषय बन गया है. डूंगरपुर पुलिस ने मंदिर प्रबंधकों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे अपने धार्मिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और मजबूत ताले लगाएं. साथ ही संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 या स्थानीय थाने पर देने को कहा गया है.
Sandhya Kumari
न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.
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