सुल्ताना के कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली पहचान, सात समंदर पार पसंद आ रहे हैंडीक्राफ्ट के आइटम
रविन्द्र कुमार/झुंझुनूं: किसी प्रदेश और देश की तरक्की में उद्योगों के साथ – साथ लघु उद्योगों का भी बड़ा हाथ है. सरकार समय -समय पर लघु उद्योगों को प्रात्साहित करने को लेकर कार्यक्रम भी चलाती हैं मगर झुंझुनूं जिले के सुल्ताना कस्बे के कारीगरों ने अपने हुनर के दम पर अपनी माटी को सात समंदर पार विशेष पहचान दिलाई है. इनकी जिद्द ओर जनून के आगे शिक्षा पैसों की कमी और भाषा कभी बाधा नही बन पाई. आज सुल्ताना के करीब 300 परिवार लोहे के हैंडीक्राफ्ट और लोहे से बने बर्तनों को बनाने के काम मे जूट हैं. सुल्ताना कस्बे में वर्तमान में करीब 100 परिवार लोहे के तार से बने हैंडीक्राफ्ट के आइटम बना रहे हैं तो करीब 200 परिवार लोहे से बने बर्तनों को बनाने के काम मे जुटे हैं. सुल्ताना के कारीगरों द्वारा बनाई कलात्मक चीजें इटली, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा तक पहुंच रही हैं.
सालाना करीब 30 करोड़ का होता कारोबारसुल्ताना के कारीगरों ने अपने हुनर के दम पर अपने व्यापार को भी आगे बढ़ाया है. आज सुल्ताना कस्बे में लोहे के हैंडीक्राफ्ट से 100 परिवार जुड़े हुए हैं जबकि लोहे के बर्तनों को बनाने के काम में 200 परिवार जुड़े हुए हैं. सुल्ताना कस्बे में सालाना 10 करोड़ हैंडीक्राफ्ट का काम होता हैं जबकि 20 करोड़ का सालाना लोहे के बर्तनों के आइटम के सामान का काम कारोबार होता हैं.
सुलताना को लघु उद्योग ने दिलाई विशेष पहचानसुल्ताना कस्बे की आबादी करीब 40 हजार है और इसकी पहचान लोहे की कारीगरी से ही है. यहां लोहे की कई कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं. खास बात ये है कि इनमें बैल्डिंग कहीं नहीं होती. गांव में कई परिवार इससे जुड़े हैं. यहां रामगढ़ शेखावाटी, जोधपुर और जयपुर के हैंडीक्राफ्ट सामान के एजेंट सामान लेने के लिए आते हैं. दो दशक से लोहे के तारों से कलात्मक सामान बनाने वाले सुल्ताना के सहाबुद्दीन लुहार को जोधपुर के एजेंट से इंग्लैड के लिए बड़ा ऑर्डर मिला था. इसके बाद इस सामान की विदेशी डिमांड बढ़ती गई. उनके यहां लोहे के तार से बने झूमर लेम्प, स्टैंड, कुर्सी-डाइनिंग टेबल, टोकरी, पशु-पक्षियों के ढांचे विदेशियों द्वारा खूब पसंद किए जाते हैं. यहां बनाया गया अधिकांश सामान विदेशों तक जाता है.
बैल्डिंग नहीं होने से लगते हैं खूबसूरतयहां बनने वाले एंटीक पीस और उनकी बनावट की खासियत यह है कि इनमें बैल्डिंग नहीं होती. लोहे के पतले व कुछ मोटे तारों से यह बनाए जाते हैं. इन्हें आकृति में ढालने के लिए कोई सांचे या मशीनें भी नहीं है. यह सारा काम हाथों से होता है. इसलिए इनकी बनावट में एंटीक पीस जैसा लुक आता है. जो इन्हें खूबसूरत भी बनाता है और कुछ अलग भी ऐसे में इनकी विदेशों तक डिमांड है.
Tags: Jhunjhunu news, Local18, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 11:34 IST