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विधानसभा का बाल सत्र -देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन

  • विधान सभा में बच्चों ने पक्ष और विपक्ष की भूमिका में किये सवाल-जवाब और उठाए गंभीर मुद्दे
  • साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायकगण

निराला समाज@जयपुर। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन किया गया, जहां बच्चों ने ही विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री बनकर सत्र चलाया और सदस्य बने बच्चों के प्रश्नों का जवाब दिया। बाल दिवस के अवसर पर राजस्थान विधानसभा में यह ऎतिहासिक सत्र आयोजित किया गया जिसके प्रत्यक्ष साक्षी बने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्रिगण और विधायक। विधानसभा के इस अनूठे सत्र में शून्यकाल और प्रश्नकाल का आयोजन किया गया। 

संसद और विधानसभा में कानून बनाते समय चर्चाओं से ही निष्कर्ष निकलता है- लोकसभा अध्यक्ष


समारोह के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में बालसत्र का आयोजन अविस्मरणीय रहेगा। देश की भावी पीढ़ी ने जिस सुव्यवस्थित तरीके और अनुशासन के साथ सत्र का संचालन किया है, उससे देश के नौजवानों को भी संदेश मिलेगा कि लोकतंत्र में उनकी क्या भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि मतदाता केवल वोट की ताकत ही नहीं रखता, उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भी सक्रिय भागीदारी होनी चाहिये। इससे सरकार जवाबदेह होगी और शासन में पारदर्शिता आयेगी।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद और विधानसभा में कानून बनाते समय चर्चाओं के दौर कम होना चिंता का विषय है। कोई भी कानून बनाते समय उस पर चर्चा होनी जरूरी है क्योंकि उससे ही निष्कर्ष निकलते हैं। इसमें जनता की भागीदारी भी आवश्यक है, क्योंकि कानून उनके लिए ही होते हैं। उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में जनता की भागीदारी के लिए देश में किये जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संविधान में कर्तव्यों और अधिकारों का अद्भुत मिश्रण है। 
उन्होंने बच्चों के अभिभावकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारें और उनके टेलेन्ट को पहचानें। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे उन्हें संसद की कार्यवाही भी दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि यह एक अद्भुत नवाचार है, जो अन्य राज्यों में भी होना चाहिये। उन्होंने बच्चों की तारीफ करते हुए कहा कि बच्चे जिस तरह बिना कागज देखे पूरे आत्मविश्वास और गंभीरता से मुद्दों पर सवाल-जवाब कर रहे थे, ऎसा तो असल में भी देखने को कम ही मिल पाता है। 
बच्चों के प्रश्न हमें भविष्य की चुनौतियों के बारे में बताएंगे- विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि संसदीय लोकतंत्र की परंपरा से ही हमारा देश हर मापदंड पर दुनिया के विकसित देशों के बीच खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बाल सत्र से हमें पता चला है कि अगले 25 सालों में हमारे सामने कौन से प्रश्न और चुनौतियां खड़ी होंगी, जिनके उत्तर हमें देने होंगे। उन्होंने कहा कि इन बच्चों के सवालों से हमें पता चलेगा कि भविष्य में हमारी नीतियां क्या होंगी और उनमें क्या परिवर्तन होगा। 
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में 75 वें आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विधानसभा में बाल सत्र का संचालन किया गया। ऎसा सत्र देश में पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा कि यह बाल सत्र संसदीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा और लोकतंत्र को लेकर बच्चों के मन की जिज्ञासाओं को भी हम सब भी समझ सकेंगे। डॉ. जोशी ने कहा कि भावी पीढ़ी को सदन चलाने, प्रश्न पूछने और अनुशासन के साथ अपनी बात रखने का मौका दिया गया है। उन्होंने बताया कि बाल सत्र के लिए पन्द्रह राज्यों के पाँच हजार पांच सौ बच्चों ने ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसमें से दो सौ बच्चों का चयन किया गया।

 
भावी पीढ़ी पर संसदीय लोकतंत्र को और सशक्त बनाने की अहम जिम्मेदारी- मुख्यमंत्री 

बाल सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रहनुमाई में पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आजाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर जैसे महान नेताओं ने देश में संसदीय लोकतंत्र की नींव रखी। इस लोकतंत्र को निरंतर सशक्त और समृद्ध बनाना हम सबकी और भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी है। संसदीय लोकतंत्र विविधताओं वाले इस मुल्क की खूबसूरती है।
गहलोत ने कहा कि पं. नेहरू के जन्म दिवस को हम बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। उनके जन्म दिवस पर विधानसभा में बाल सत्र जैसा अनूठा आयोजन देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं को और मजबूत करने की दिशा में सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि यहां सदन में बैठे 200 बच्चे देश के करोड़ों बच्चों के प्रतिनिधि होने के साथ-साथ देश का भविष्य भी हैं। ऎसे जागरूक बच्चे ही भविष्य में देश की समस्याओं को दूर करने और नीति निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने आह्वान किया कि भावी पीढ़ी़ संविधान की मूल भावना को अंगीकार कर देश को आगे बढ़ाने में अपनी रचनात्मक भूमिका का निर्वहन करें। 
मुख्यमंत्री ने इस विशेष सत्र के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को साधुवाद देते हुए कहा कि नई पीढ़ी में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूकता लाने की दिशा में उनका यह प्रयास इतिहास में दर्ज हो गया है। श्री गहलोत ने बाल सत्र में प्रश्नकाल की कार्यवाही को भी देखा। उन्होंने पक्ष-प्रतिपक्ष के रूप में बाल जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही विधानसभा की कार्यवाही के संचालन पर खुशी व्यक्त की।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र का आयोजन ऎतिहासिक है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष के साझा प्रयासों से आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि सदन में दोनों मिलकर अच्छे सुझावों को आगे बढ़ाते हैं। कटारिया ने कहा कि जनता अपने वोट से प्रतिनिधि को चुनकर भेजती है और हर जन प्रतिनिधि को एक निश्चित अवधि के बाद जनता के बीच लौटना पड़ता है, यही लोकतंत्र की खूबी है। 
सीपीए के सचिव एवं विधायक संयम लोढ़ा ने अपने धन्यवाद उद्बोधन में कहा कि ये बच्चे कल के भावी नेता हैं। इनके कंधों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं के निर्वहन का भार है। उन्हें उम्मीद है कि इस बाल सत्र के ऎतिहासिक परिणाम होंगे। इस बाल सत्र में लगभग 50 प्रतिशत बालिकाएं हैं, जिसमें सुनहरे भविष्य की झलक दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी के विधानसभा कार्य संचालन नियमों की पालना का ही परिणाम है कि कई बार ऎसा मौका आया है, जब प्रश्नकाल में सभी सूचिबद्ध प्रश्नों का उत्तर मिला हो। 
बाल सत्र में बच्चों ने निभाई अध्यक्ष, सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री, मुख्य सचेतक, विधायकों की भूमिका
बाल सत्र के दौरान सदन में बैठकर देश की भावी पीढ़ी ने जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस की। बाल विधायकों ने जब मंत्रियों से प्रश्न कर जवाब मांगे और मंत्री बने बच्चों ने पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी से उत्तर भी दिये तो विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्रिगण भी चकित रह गए। प्रश्न काल में विधानसभा अध्यक्ष बनीं जाह्ववी शर्मा ने विधायकों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया और संबंधित मंत्री को प्रश्न का जवाब देने के लिए भी। सदन में विपक्ष की नाराजगी, कुछ मांगों पर असहमति के बाद सदन से बहिर्गमन भी हुआ और अध्यक्ष के कहने पर वे सहज ही माने भी। 
विधायकों के हर प्रश्न पर मंत्री भी जैसे पूरी तरह से तैयार होकर सदन में आए थे और पूरी गंभीरता से सभी तथ्यों के साथ सरकार का पक्ष रखा। जहां हर्ष बने सदन के नेता, वहीं वैभवी गोयल ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वहन किया। विधायक बने बच्चों ललिता बाबल, जितेश डूडी, आस्था ममगाईं, दिनेश बेरड़ और अनन्या कौशिक आदि ने प्रश्नकाल में बाल विवाह रोकथाम के लिए सरकार के प्रयास, किसानों की समस्याओं, बाल श्रम, बच्चों में पोषण की कमी, पर्यटन को बढ़ावा देने, परीक्षाओं के दौरान नेटबंदी, बच्चियों और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों, बिजली की किल्लत जैसे सवाल उठाए। सवालों के जवाब में संबंधित विभागों के मंत्रियों ने भी पूरी जिम्मेदारी के साथ सदन में आंकड़ों के साथ सरकार का पक्ष रखा।
शून्य काल में भी स्थगन और प्रक्रियाओं के नियम 295 के तहत विधायक बने बच्चों काश्विनी गहलोत, तश्वी शर्मा, सम्यक, लक्ष्य सेठिया, एकांश कंकाणी और जोगाराम आदि ने ज्वलंत समस्याओं को सदन के सामने रखा। चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से लेकर बच्चों से मोबाइल छुड़ाने के लिए खेल कूद सुविधाएं बढ़ाने और होटलों आदि में जूठा छोड़ने पर सज़ा देने जैसे विषयों पर सरकार से निर्णय लेने के लिए आग्रह किया। बच्चों द्वारा सदन में की जाने वाली बहस का सजीव प्रसारण राजस्थान विधानसभा के यू-ट्यूब चैनल पर किया गया। 
विधानसभा पहुंचने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। समारोह का शुभारम्भ लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। लोक सभा अध्यक्ष बिरला और विधान सभा अध्यक्ष डॉ. जोशी ने बच्चों के साथ ग्रुप फोटो भी कराया। 

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