Supreme Court: मुकदमेबाजी पर होने वाला खर्च बढ़ता जा रहा है, जस्टिस गवई ने अदालती फैसलों पर कही बड़ी बात

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी.आर. गवई ने रविवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने नागरिकों के अधिकारों के साथ-साथ संविधान की प्रस्तावना में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों की रक्षा करके पिछले 74 वर्षों से संविधान के ‘मन और आत्मा’ के रूप में काम किया है.
न्यायमूर्ति गवई उच्चतम न्यायालय की स्थापना के हीरक जयंती वर्ष के उद्घाटन के अवसर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि थे. न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की अवधारणा “न्याय के संतुलन’ का भी प्रतीक है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने सभी वैश्विक समकक्षों की तुलना में “मुकदमों की उच्चतम संख्या” को संभालते हुए आम नागरिकों के लिए “पहुंच” को प्राथमिकता दी है.
उन्होंने कहा कि अदालती फैसलों में “जटिल अभिव्यक्ति” होती है और मुकदमेबाजी पर होने वाला खर्च बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए अदालतों को नागरिक-अनुकूल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने जैसे “अभिनव समाधान’ की आवश्यकता है.
न्यायमूर्ति खन्ना नवंबर में न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. न्यायाधीश ने कहा, “मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि अक्सर हमारे निर्णयों में जटिल अभिव्यक्ति होती है. हालांकि, हमारे गहन और प्रभावशाली निर्णय सरल, स्पष्ट और संक्षिप्त होने चाहिए.”
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FIRST PUBLISHED : January 28, 2024, 22:03 IST