Rajasthan
Supreme Court directed Rajasthan Private Schools Fees


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने निजी कॉलेजों की फीस को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है और कहा है कि फीस न दे पाने की वजह से किसी भी छात्र को क्लास करने से रोका नहीं जा सकता.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान के 36,000 निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 में छात्रों से 15 प्रतिशत कम वार्षिक शुल्क लेने का निर्देश दिया और साथ ही यह स्पष्ट किया कि किसी भी छात्र को वर्चुअल या कक्षाओं में भाग लेने से रोका नहीं जाएगा और ना ही फीस का भुगतान न करने के कारण उनके परिणाम रोके जा सकेंगे. शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राजस्थान स्कूलों की वैधता (शुल्क का विनियमन) अधिनियम, 2016 और सरकार द्वारा शासित प्रक्रियाओं द्वारा स्कूल फीस निर्धारण के कानून के तहत बनाए गए नियम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने अपने 128 पन्नों के फैसले में स्पष्ट किया कि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए फीस छात्रों या अभिभावकों द्वारा छह समान किश्तों में देय होगी. न्यायमूर्ति खानविल्कर ने कहा कि निस्संदेह, महामारी के कारण हुई पूर्ण तालाबंदी से एकअभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है. अर्थव्यवस्था और क्रय क्षमता के मामले में इसका लोगों, उद्यमियों, उद्योगों और पूरे देश पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. जो माता-पिता गंभीर तनाव में थे और यहां तक कि अपने दिन-प्रतिदिन के खर्चों व परिवार की जरूरतों को पूरा करना भी जिनके लिये मुश्किल हो रहा था राज्य भर में स्कूल प्रबंधन के लिए उत्कट प्रतिनिधित्व किया है. फैसले में कहा गया है कि अपीलार्थी (स्कूल) शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के लिए 2016 के अधिनियम के तहत निर्धारित की गई फीस के अनुसार अपने छात्रों से वार्षिक स्कूल शुल्क जमा करेंगे, लेकिन शैक्षणिक वर्ष 2020-21 की अवधि के दौरान छात्रों द्वारा अनुपयोगी सुविधाओं के एवज में उस राशि पर 15
प्रतिशत की कटौती प्रदान करेंगे. लिहाजा, छात्र या उनके अभिभावक छह बराबर मासिक किस्तों में 05 अगस्त 2021 तक शुल्क जमा कर सकते हैं. इसके अलावा, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि स्कूल प्रबंधन, किसी भी छात्र को फीस न जमा करने की वजह से कक्षाएं अटेंड करने से ना रोके. साथ ही ऐसे छात्रों के परीक्षा परिणाम भी ना रोके. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यदि फीस की छूट के लिए कोई व्यक्तिगत अनुरोध किया जाता है, तो स्कूल प्रबंधन को इस तरह के प्रतिनिधित्व पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. पीठ ने कहा कि इसका निर्णय, स्कूलों द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए फीस संग्रह को प्रभावित नहीं करेगा. स्कूल प्रबंधन किसी भी छात्र/उम्मीदवार के नाम को शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए शुल्क/एरियर के गैर भुगतान के आधार पर कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए आगामी परीक्षाओं के लिए रोक नहीं सकता.
प्रतिशत की कटौती प्रदान करेंगे. लिहाजा, छात्र या उनके अभिभावक छह बराबर मासिक किस्तों में 05 अगस्त 2021 तक शुल्क जमा कर सकते हैं. इसके अलावा, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि स्कूल प्रबंधन, किसी भी छात्र को फीस न जमा करने की वजह से कक्षाएं अटेंड करने से ना रोके. साथ ही ऐसे छात्रों के परीक्षा परिणाम भी ना रोके. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यदि फीस की छूट के लिए कोई व्यक्तिगत अनुरोध किया जाता है, तो स्कूल प्रबंधन को इस तरह के प्रतिनिधित्व पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. पीठ ने कहा कि इसका निर्णय, स्कूलों द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए फीस संग्रह को प्रभावित नहीं करेगा. स्कूल प्रबंधन किसी भी छात्र/उम्मीदवार के नाम को शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए शुल्क/एरियर के गैर भुगतान के आधार पर कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए आगामी परीक्षाओं के लिए रोक नहीं सकता.
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