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रणवीर अल्लाहबादिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सख्ती, केंद्र सरकार से पूछा- ‘क्यों नहीं लाया जा रहा सख्त कानून?’

Last Updated:November 27, 2025, 18:18 IST

रणवीर अल्लाहबादिया के बयान पर विवाद के बाद केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे. सरकार ने सोशल मीडिया पर अश्लीलता रोकने के लिए जल्द गाइडलाइन लाने की बात कही.

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रणवीर अल्लाहबादिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सख्ती, केंद्र से किए सवालरणवीर इस साल की शुरुआत में बुरा फंस गए थे.

नई दिल्ली: ऑनलाइन शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में आपत्तिजनक बयान देकर रणवीर अल्लाहबादिया और उनके साथी यूट्यूबर आशीष चंचलानी फंस गए थे. अब मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही अश्लीलता पर जल्द गाइडलाइन जारी करने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 27 नवंबर को दिव्यांगों को लेकर मजाक बनाने वाले कॉन्टेंट पर नाराजगी जताई.

रणवीर अल्लाहबादिया और यूट्यूबर आशीष चंचलानी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीजेआई सूर्यकांत ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार एक बहुत सख्त कानून लाने के बारे में क्यों नहीं सोच रही है, जो एससी-एसटी एक्ट की तरह हो और जहां दिव्यांग लोगों को नीचा दिखाने पर सख्त सजा भी हो?’ जवाब में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही अश्लीलता को लेकर गाइडलाइन जारी करने वाली है और मामले में इससे जुड़े विभागों से बातचीत भी की जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट की दो टूकतुषार मेहता ने कहा कि कुछ बातें जो कही जाती हैं, एक स्क्रिप्ट के हिसाब से होती हैं. यह पहले से सोचा-समझा होता है. इसलिए पहला सवाल अश्लीलता से निपटने का नहीं, गलत हरकतों से निपटने का है. यूट्यूब पर बनाए जा रहे कॉन्टेंट को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ दिया जाता है और अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में सोशल मीडिया पर कुछ भी डाला जा रहा है. सीजेआई ने कहा, ‘चैनल बना लिए जाते हैं, लेकिन चैनल पर डाले जा रहे कॉन्टेंट की जवाबदेही किसी की नहीं होती, लेकिन हमें यहां बैठकर अभिव्यक्ति की आजादी को प्रोटेक्ट करना पड़ रहा है.’ सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दी गई गाइडलाइंस पर सीजेआई ने कहा कि गाइडलाइंस को लेकर जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं, उनमें से कुछ में बदलाव की जरूरत है. इन गाइडलाइंस को पब्लिक डोमेन में डाला जाएगा और आम लोगों की भी राय ली जाएगी.

4 हफ्तों बाद होगी सुनवाईसुनवाई में जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि जब कॉन्टेंट एंटी नेशनल हो या समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने वाला हो, तो सरकार तब तक कुछ नहीं करती है जब तक उसे लाखों-करोड़ों लोग देख न लें. ऐसे में इसका कानूनी आधार क्या बनता है? उन्होंने आगे कहा कि यह तय करने के लिए ऑटोनॉमस बॉडी बनाने की जरूरत है कि क्या चीज सोशल मीडिया पर दिखाने की जरूरत है और क्या नहीं. अश्लील कॉन्टेंट के लिए चेतावनी भी जारी होनी चाहिए कि इसे किस वर्ग के लोग देख सकते हैं या नहीं. इस मामले पर सुनवाई अगले 4 हफ्तों के लिए टाल दी गई है.

Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

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First Published :

November 27, 2025, 18:18 IST

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रणवीर अल्लाहबादिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सख्ती, केंद्र से किए सवाल

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