क्वालिटी से भरपूर है भरतपुर का ‘दूब’,चरवाहों की उम्मीद का बना सहारा

Last Updated:April 17, 2025, 14:46 IST
हर साल अप्रैल से जून के बीच पाली और जोधपुर के चरवाहे अपनी भेड़ों के साथ भरतपुर आते हैं. यहां के खेतों में भरपूर चारा और दूब घास मिलती है, जो भेड़ों के स्वास्थ्य और ऊन के लिए फायदेमंद होती है.X
खाली खेतों में चरती भेड़े
मनीष पुरी/भरतपुर- हर साल अप्रैल के महीने में पश्चिमी राजस्थान के पाली और जोधपुर जिलों से बड़ी संख्या में चरवाहे अपने भेड़ों के झुंड के साथ भरतपुर की ओर कूच करते हैं. इस प्रव्रजन का मुख्य उद्देश्य होता है भेड़ों को बेहतर चारा और अनुकूल पर्यावरण प्रदान करना.
खेतों में मिलता है भरपूर चाराभरतपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में जब गेहूं की कटाई हो जाती है, तब खेतों में बची हुई बालियां, बिखरे गेहूं के दाने, प्राकृतिक घासें और सरसों के खाली खेत भेड़ों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होते हैं. यही कारण है कि यह क्षेत्र इन चरवाहों के लिए आदर्श चरागाह बन चुका है.
दूब घास से बढ़ती है ऊन की गुणवत्ताचरवाहों का कहना है कि भरतपुर की जमीन में उगने वाली ‘दूब’ घास भेड़ों के लिए अत्यंत पौष्टिक होती है. यह न केवल भेड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि उनकी ऊन की गुणवत्ता को भी बढ़ाती है. अप्रैल से जून तक का मौसम इनके लिए खासा अनुकूल माना जाता है, क्योंकि इस समय चारे की भरपूर उपलब्धता रहती है.
नहीं होता कोई स्थायी ठिकानाइन घुमंतू चरवाहों का कोई स्थायी बसेरा नहीं होता. ये लोग भेड़ों के साथ खेतों और चारागाहों में घूमते रहते हैं और जहां पानी व चारे की अच्छी व्यवस्था होती है, वहीं पर अस्थायी रूप से डेरा डाल लेते हैं. अक्सर सूखे तालाब, नलकूपों या पेड़ों की छांव इनका ठहराव स्थल बनते हैं.
परंपरा और प्रकृति से जुड़ी जीवनशैलीचरवाहों की यह जीवनशैली पूरी तरह प्रकृति और पशुपालन पर आधारित है. ये आज भी पारंपरिक तरीकों से ही भेड़ों की देखभाल करते हैं और आधुनिक जीवनशैली से दूर, एक सरल लेकिन मेहनती जीवन जीते हैं.
स्थानीय लोग भी करते हैं सहयोगभरतपुर के स्थानीय ग्रामीण इन चरवाहों को सहृदयता से स्वीकार करते हैं और जल व अन्य आवश्यक सुविधाओं के रूप में सहयोग भी प्रदान करते हैं. जब चरने का मौसम खत्म हो जाता है, तो यह लोग फिर पश्चिमी राजस्थान लौट जाते हैं.
सांस्कृतिक और आर्थिक संगमयह मौसमी प्रव्रजन न केवल चरवाहों की आजीविका का हिस्सा है, बल्कि यह क्षेत्रीय कृषि और पशुपालन के बीच एक आपसी सहयोग और सहजीविता का भी सुंदर उदाहरण है.
Location :
Bharatpur,Rajasthan
First Published :
April 17, 2025, 14:46 IST
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क्वालिटी से भरपूर है भरतपुर का ‘दूब’,चरवाहों की उम्मीद का बना सहारा