शेखावाटी यूनिवर्सिटी में टी-55 टैंक और तोपें स्थापित, छात्रों और विजिटर्स को देंगी देशभक्ति की सीख

Last Updated:October 14, 2025, 15:41 IST
Sikar News Hindi : शेखावाटी की पं. दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में भारतीय सेना के टी-55 टैंक और दो तोपें स्थापित की जाएंगी. ये युद्ध-ट्रॉफी छात्रों और विजिटर्स को शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की जीवंत याद दिलाएंगी. टैंक और तोपें 1965-71 के युद्धों में वीरता का प्रतीक रही हैं और शेखावाटी क्षेत्र के अमर वीरों की गाथा को सामने लाएंगी.
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सीकर : शेखावाटी की सबसे बड़ी पं. दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी यूनिवर्सिटी में भारतीय सेना की निशानियां रखी जाएगी. भारतीय सेना ने इस यूनिवर्सिटी को ऐतिहासिक टैंक टी-55 और दो तोपों का अनमोल तोहफा दिया है. टैंक टी-55 और तोप युद्ध-ट्रॉफी की तरह यूनिवर्सिटी के रखे जाएंगे. ये युद्ध-ट्रॉफी स्टूडेंट्स और विजिटर्स को भारतीय सेना के अदम्य साहस, देशभक्ति और गौरवपूर्ण इतिहास से रूबरू कराएगी. शेखावाटी यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर प्रो. अनिल कुमार राय ने बताया कि ये ऐतिहासिक टैंक और तोपें केवल सेना के हथियार नहीं, बल्कि शौर्य, बलिदान और पराक्रम के जीवंत प्रतीक हैं.
यह टैंक टी-55 किस्की, पुणे से शेखावाटी यूनिवर्सिटी में लिए गए हैं. इसके अलावा दोनों तोपें भी जबलपुर से कुछ दिनों में लाई जाएगी. ये युद्ध-स्मृति चिन्ह यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर स्थित शौर्य दीवार के पास स्थापित किए जाएंगे. जबलपुर से तोपें आने के बाद ही इन दोनों तोहफों का एक साथ उद्घाटन किया जाएगा.
टी-55 टैंक की खासियतवॉइस चांसलर प्रो. अनिल कुमार राय ने बताया कि टी-55 टैंक सोवियत संघ में निर्मित एक प्रमुख युद्धक टैंक है, जिसे भारतीय सेना ने 1960 के दशक में अपने बेड़े में शामिल किया था. लगभग 36 टन वजनी यह टैंक 100/105 मिमी की मुख्य तोप से लैस था. इस टैंक ने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में इसने निर्णायक भूमिका निभाई थी. विशेष रूप से 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में इस टैंक ने दुश्मन के टैंकों को ध्वस्त कर भारतीय सेना की विजय में अहम योगदान दिया.
दो तोपें व माउंटिंग की ऐतिहासिक भूमिकाइसके अलावा, सेना से मिली ये दो प्रतिघात-रहित एंटी-टैंक तोपें युद्ध के दौरान बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में प्रभावी रही हैं. इन्हें जमीन से या हल्के वाहनों पर लगाकर प्रयोग किया जाता था. 1971 के युद्ध सहित कई अभियानों में इन तोपों ने टैंक रोधी रणनीतियों महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वीरों की भूमि की अमर गाथा शेखावाटी अंचल सदियों से वीरों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है. राजस्थान के कुल शहीदों में से लगभग हर दूसरा शहीद शेखावाटी क्षेत्र से आता है. 1971 के युद्ध में अकेले सीकर जिले के 50 से अधिक वीर सपूतों ने राष्ट्र की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया.
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
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Location :
Sikar,Rajasthan
First Published :
October 14, 2025, 15:41 IST
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शेखावाटी यूनिवर्सिटी में टी-55 टैंक और तोपें, शौर्य और देशभक्ति का प्रतीक