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दिल्ली में डॉक्टरों ने जीभ के कैंसर का सफल इलाज किया: लक्षण और बचाव.

Tongue Cancer: तंबाकू या तंबाकू वाले प्रोडक्ट का सेवन करने के कई नुकसान है लेकिन तंबाकू का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे जीभ का कैंसर भी हो सकता है. जीभ में कैंसर बहुत धीरे-धीरे होता है. लेकिन यह जल्दी पकड़ में नहीं आता. जीभ की कोशिकाओं में अनकंट्रोल्ड वृद्धि के कारण यह कैंसर शुरू होता है जो मुंह या गले के हिस्से को प्रभावित कर सकता है. जीभ का कामसिर्फ स्वाद, चबाने और बोलने में ही नहीं होती बल्कि जीभ से कई आवश्यक गतिविधियों का नियंत्रण भी होता है. इसी से समझा जा सकता कि जीभ का हमारे शरीर में कितना महत्वपूर्ण काम है. इसलिए जीभ में कैंसर होना बेहद खतरनाक है. पर अच्छी बात यह है कि मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब इसका इलाज भी किया जा सकता है. दिल्ली के डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में इएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार और डॉ. अजय कुमार गुप्ता के नेतृत्व में दो मरीजों का हाल ही में इलाज किया गया है.

दो मरीजों की सफल सर्जरी इन दो मरीजों को स्क्वामाउस सेल कार्सिनोमा था. इसके बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया और डॉ. अजय गुप्ता के नेतृत्व में ईएनटी विभाग के सीनियर स्पेशलिस्ट डॉ. पंकज कुमार ने हेमिग्लोसेक्टोमी किया जिसमें कैंसर जनित कोशिकाओं को गले की कोशिकाएं से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया. 20 दिनों के अंदर दो मरीजों की इसी तरह सर्जरी की गई जिससे दोनों मरीजों को नया जीवन मिल गया. डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि ये सर्जरी बेहद जटिल थी लेकिन सतर्कता के साथ दोनों मरीज की सफलातपूर्वक सर्जरी कर दी गई. दोनों मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. उन्होंने बताया कि जीभ का कैंसर का अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह गले में फैल सकता है जिसका परिणाम घातक हो सकता है. इसलिए मरीज को सही समय पर डॉक्टर के पास आना जरूरी है.

जीभ के कैंसर की पहचान कैसे करेंडॉ. पंकज कुमार ने बताया कि अगर कैंसर मुंह के अंदर की जीभ में होता है तो उसे ऑरल टंग कैंसर कहा जाता है और इसके लक्षण जल्दी सामने आ सकते हैं. इसमें जीभ पर ऐसा घाव होता है जो ठीक नहीं होता. इसमें सामान्य दवा भी खा ली जाती है तो भी घाव नहीं भरता है. इसमें दर्द भी करता है और घाव से खून भी निकल सकता है. जीभ पर गांठ जैसा भी दिखेगा. इसलिए अगर जीभ पर कुछ भी मोटापन महसूस हो तो पहले डॉक्टर को दिखाएं. चूंकि यह हिस्सा आसानी से देखा जा सकता है, इसलिए डॉक्टर या डेंटिस्ट इसे जल्दी पकड़ लेते हैं. ध्यान रखें कि गले का कैंसर जीभ के कैंसर से अलग होता है. गले का कैंसर या ओरल कैंसर गले के पिछले हिस्से में होता है. इसके लक्षण जल्दी पकड़ में नहीं आते. इस स्थिति में लक्षणों में गर्दन की लिम्फ नोड्स में सूजन, गले में गांठ, वजन घटना, बार-बार गले में खराश या कान दर्द हो सकता है. कई बार आवाज में बदलाव, जबड़े में सूजन या जीभ व मुंह में सुन्नपन जैसे संकेत भी दिख सकते हैं. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलें.

किन लोगों को है इसका ज्यादा खतरा डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि टंग कैंसर के लिए सबसे बड़ा विलेन तंबाकू है. किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन इसकी सबसे प्रमुख वजह है. सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, पान मसाला जैसे उत्पादों का लंबे समय तक सेवन जीभ के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. जिन दो मरीजों की सर्जरी की गई वे भी तंबाकू का सेवन करते थे. तंबाकू के अलावा अत्यधिक शराब पीना, एचपीवी वायरस (HPV) से संक्रमित होना, 45 साल से ऊपर, खराब ओरल हाइजीन और कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण भी जीभ का कैंसर हो सकता है. यह कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होती है.

जीभ के कैंसर से कैसे बचें डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि जीभ के कैंसर से बचने के लिए सबसे पहला काम यह करें कि किसी भी तरह से तंबाकू का सेवन न करें. इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए. अगर आप शराब पीते हैं, तो इसे सीमित करें. एचपीवी वायरस के कारण भी जीभ का कैंसर हो सकता है, इसलिए इस वायरस से बचने का तरीका यह है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाएं. ओरल संबंध से एचपीवी वायरस का खतरा रहता है. एचपीवी वैक्सीन भी इस कैंसर के खतरे को कम कर सकता है, खासकर गले के कैंसर के मामलों में. इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर वैक्सीनेशन जरूर करवाएं. नियमित रूप से डेंटल और मेडिकल चेकअप कराना भी जरूरी है ताकि मुंह के भीतर किसी भी बदलाव को समय रहते पहचाना जा सके. हर छह महीने में एक बार डेंटिस्ट से जांच कराएं और अगर कोई घाव दो हफ्तों से ज्यादा समय तक नहीं भर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.

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