बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ और रोहिताश्व शर्मा की दोस्ती में दरार । rift in friendship between Rajendra Rathore and Rohitashv Sharma– News18 Hindi

डॉक्टर रोहिताश्व ने कहा कि राजनीति में अवसर मिलते ही लोग बदल जाते हैं. कल तक कुछ लोग भस्मासुर थे आज वो वैद्य बनकर मरहम पट्टी लगा रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष को ये समझना होगा कि 23 साल पुरानी चिट्ठी के बारूद को शांत करने के बजाय सलाहकार और सुलगा रहे हैं. इस पर राठौड़ ने उन्हें दोस्ती का धर्म याद दिलाया और कहा कि पार्टी के प्रति निष्ठा ही सबकुछ है. रोहिताश्व मेरे दोस्त हैं. मैं उन्हें समझा रहा हूं कि उचित मंच पर ही अपनी बात कहें.
चर्चित नेताओं की जोड़ी में शुमार रही है राजेन्द्र और रोहिताश्व की दोस्ती
डॉक्टर रोहिताश्व शर्मा और राजेन्द्र राठौड़ की दोस्ती राजस्थान के नेताओं की चर्चित जोड़ियों में शुमार रही है. नब्बे के दशक से पहले ही दोनों एक दूसरे को जानते तो थे लेकिन 1993 की शेखावत सरकार में इनकी दोस्ती उस समय गहरी हुई जब दोनों मंत्री बनाये गये. डॉक्टर रोहिताश्व ने यातायात का महकमा संभाला तो राजेन्द्र राठौड़ ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय. भैरोंसिंह शेखावत दोनों को प्यार से ‘चंगू’ ‘मंगू’ कहते थे. डॉक्टर रोहिताश्व को चंगू कहा जाता था. धौलपुर के राजाखेड़ा से जब शेखावत ने चुनाव लड़ा तो ये दोस्ती और ज्यादा गहरी हो गई.
दोनों को धौलपुर में उपनाम ‘जोगा’ और ‘भोगा’ मिला
धौलपुर की जनता के बीच दोनों को एक-एक और उपनाम ‘जोगा’ और ‘भोगा’ मिला. डॉक्टर रोहिताश्व शर्मा के राजनीतिक जीवन में उतार चढ़ाव आते रहे लेकिन राठौड़ किस्मत के धनी निकले. वे लगातार चुनाव जीतते रहे. रोहिताश्व उम्र में बड़े होने के बावजूद सिर्फ तीन बार ही विधानसभा पहुंच सके. हालांकि उन्होंने इसके अलावा दौसा में राजेश पायलट को कड़ी टक्कर देकर सुर्खियां बहुत बटोरी. रोहिताश पायलट से सिर्फ पांच हजार वोटों से चुनाव हारे थे.