ब्रेस्ट कैंसर मरीजों में दिल की बीमारी का सही अनुमान लगाने वाला टूल

Last Updated:October 25, 2025, 10:11 IST
Early Stage Breast Cancer Heart Health Monitoring: यह नया हार्ट रिस्क प्रिडिक्शन टूल ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए आशा की किरण है. अगर इसे भारतीय संदर्भ में सही तरीके से अपनाया गया, तो यह कैंसर इलाज को सुरक्षित बनाने के साथ ही मरीजों के हृदय स्वास्थ्य और लंबी उम्र में भी सुधार ला सकता है.
यह मॉडल भविष्य में हृदय रोग का लगभग 79% तक सही अनुमान लगा सकता है.
Heart Health Monitoring For Cancer Patients: ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए एक बड़ी खबर है. अब डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि कौन सी मरीज भविष्य में दिल की बीमारी(heart disease) का ज्यादा खतरा झेल सकती हैं. जामा ऑन्कोलॉजी(JAMA Oncology) में आए में प्रकाशित एक अध्ययन में 26,000 से ज्यादा शुरुआती चरण की ब्रेस्ट कैंसर (early-stage breast cancer) मरीजों का पर निगरानी रखते हुए एक ऐसा हार्ट रिस्क प्रिडिक्शन टूल (heart risk prediction tool) तैयार किया गया है जो पहले से मौजूद हार्ट डिजीज और इलाज का तरीका देखकर भविष्य में हार्ट फेल्योर या कार्डियोमायोपैथी जैसी गंभीर समस्याओं का अंदाजा लगा सकता है.
इससे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है, दवाओं की खुराक सही रखी जा सकती है और समय रहते दिल की परेशानी रोकी जा सकती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, यह मॉडल भविष्य में हृदय रोग का लगभग 79% तक सही अनुमान लगा सकता है.
कैंसर इलाज और दिल की बीमारियां-
कई ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है जिसके लिए एंथ्रासाइक्लिन्स (Anthracyclines) और HER2-टारगेटेड ड्रग्स (Trastuzumab) जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर जीवन बचाया जाता है, लेकिन दिल पर इसका नकारात्मक असर होने का खतरा भी अधिक हो जाता है. टीओटी के खबर के मुताबिक, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की डॉ. मीनू वालिया का कहना है कि यह मॉडल हृदय रोग के खतरे को समय रहते पहचानने में मदद करता है. इससे हम हाई-रिस्क मरीजों पर निगरानी रखने और रिस्क को रोकने की रणनीति बनाने में मदद मिल सकती है. हालांकि इसे भारतीय मरीजों पर मान्य करना जरूरी है क्योंकि यहां मरीज आम तौर पर युवा हैं और उनकी सेहत और सामाजिक हालात अलग हैं.
लो-रिस्क और हाई-रिस्क मरीजों में अंतर-अध्ययन में पाया गया कि लो-रिस्क ग्रुप की महिलाओं में अगले 10 साल में हृदय जटिलता का खतरा केवल 1.7% था, जबकि हाई-रिस्क ग्रुप में यह लगभग 20% था. इस पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. मुकेश गोयल का कहना है कि इस मॉडल से मरीजों का इलाज व्यक्तिगत रूप से तय किया जा सकता है. दवा की खुराक कम करना, सेफ ऑप्शन का उपयोग करना या रेग्युलर हार्ट पर निगरानी रखना संभव है. इससे इलाज को बीच में रोकने की जरूरत कम होगी और इस तरह मरीज लंबी अवधि तक सेहतमंद रहेगी.
भारत में क्यों जरूरी-भारत में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम महिला कैंसर है और हृदय रोग भी तेजी से बढ़ रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय मरीज अक्सर कम उम्र में कैंसर का सामना करते हैं और कभी-कभी ज्यादा आक्रामक कीमोथेरेपी लेनी पड़ती है. डॉ. मानसी चौहान, फोर्टिस हॉस्पिटल, मानेसर, कहती हैं, “भारतीय मरीज पश्चिमी देशों से अलग हैं. यहां मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दर ज्यादा है और मेट्रो शहरों के बाहर फॉलो-अप सुविधाएं सीमित हैं.”
यह नया हार्ट रिस्क प्रिडिक्शन टूल ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए आशा की किरण है. अगर इसे भारतीय संदर्भ में सही तरीके से अपनाया गया, तो यह कैंसर इलाज को सुरक्षित बनाने के साथ ही मरीजों के हृदय स्वास्थ्य और लंबी उम्र में भी सुधार ला सकता है.
Pranaty Tiwari
मैंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत दूरदर्शन से की, जिसके बाद दैनिक भास्कर सहित कई प्रमुख अख़बारों में मेनस्ट्रीम रिपोर्टर के तौर पर काम किया. हेल्थ, एजुकेशन, कला, सामाजिक मुद्दों जैसे विविध क्षेत्रों में रिप…और पढ़ें
मैंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत दूरदर्शन से की, जिसके बाद दैनिक भास्कर सहित कई प्रमुख अख़बारों में मेनस्ट्रीम रिपोर्टर के तौर पर काम किया. हेल्थ, एजुकेशन, कला, सामाजिक मुद्दों जैसे विविध क्षेत्रों में रिप… और पढ़ें
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October 25, 2025, 10:11 IST
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ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती चरण में ही पता चलेगा दिल की बीमारियों का खतरा, लेकिन



