सरकारी स्कूलों से गायब उर्दू

सरकारी स्कूलों से गायब उर्दू
अतिरिक्त विषय के रूप में उर्दू पढ़ रहे विद्यार्थियों का कैसे होगा सतत मूल्यांकन
विभाग के टाइमटेबल में उर्दू का उल्लेख नहीं
स्कूलों को नहीं मिली उर्दू की पाठ्यपुस्तकें
शाला दर्पण पोर्टल पर भी नहीं है उर्दू की पाठ्यपुस्तकों के लिए ऑप्शन
राखी हजेला
जयपुर।
केस एक
राजकीय माध्यमिक विद्यालय नाहरवाड़ा में कुल 527 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं इसमें से शतप्रतिशत बच्चे उर्दू पढऩे वाले हैं लेकिन उर्दू पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं। एक भी विद्यार्थी संस्कृत पढऩे वाला नहीं है लेकिन संस्कृत शिक्षक का पद स्वीकृत है। और तो और उर्दू की पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था भी स्कूल प्रशासन अपने स्तर पर कर रहा है, वजह है शाला दर्पण पोर्टल से उर्दू का गायब होना।
केस दो
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दवाबखाना में विद्यार्थियों की संख्या पांच सौ से अधिक है जिसमें से ढाई सौ से अधिक विद्यार्थी अतिरिक्त विषय के रूप में उर्दू पढऩे वाले हैं। यहां शिक्षक तो है लेकिन पाठ्यपुस्तकें नहीं। स्कूल प्रशासन जब भी शाला दर्पण पोर्टल पर उर्दू की पाठ्यपुस्तकों के लिए आवेदन करने का प्रयास करता है तो पता चलता है कि अब उर्दू की पाठ्यपुस्तकें केवल उन मदरसों को ही दी जाएगी जो विभाग के तहत पंजीकृत हैं। ऐसे में स्कूल में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था कहां से होगी यह जानकारी देने वाला कोई नहीं है।
मामला दरअसल यह है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सोमवार से अद्र्धवार्षिक परीक्षाओं की शुरुआत होने जा रही है जिसके तहत 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को परीक्षा देनी होगी जबकि शेष कक्षाओं के विद्यार्थियों का सतत मूल्यांकन किया जाएगा लेकिन राज्य के इन 66 हजार सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा में अध्ययनरत ऐसे विद्यार्थी जो अतिरिक्त विषय के रूप में उर्दू पढ़ रहे हैं उनकी परीक्षा होगी या नहीं इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वजह है शिक्षा विभाग की ओर से जारी टाइमटेबल में उर्दू को शामिल ही नहीं किया गया है और इस सत्र में ना ही उन्हें अब तक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाई गई हैं। यानी स्कूलों से उर्दू को गायब कर दिया गया है।
टाइमटेबल से उर्दू ही गायब
विभाग की ओर से पिछले दिनों पहली से12वीं तक की सभी कक्षाओं का टाइमटेबल जारी किया गया था। जिसमें 9वीं से 12वीं तक की अद्र्धवार्षिक परीक्षा जिला समान प्रश्नपत्र योजना के तहत होनी है, वहीं छठीं से आठवीं तक की परीक्षा का आयोजन स्कूल की ओर से तैयार करवाए गए प्रश्नपत्रों के आधार पर होनी है शेष पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों का सतत मूल्यांकन प्रक्रिया के तहत मिड टर्म अससेमेंट होना है। विभाग ने इस असेसमेंट के लिए जो टाइमटेबल जारी किया है उसके मुताबिक पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के साथ संस्कृत का सतत मूल्यांकन किया जाएगा
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उर्दू विषय की नहीं मिल रही पाठ्यपुस्तकें
स्कूलों को उर्दू की पाठ्यपुस्तकें भी उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। शिक्षा विभाग की अधिकारिक वेबसाइट शालादर्पण के मुताबिक पाठ्यपुस्तकें केवल उन मदरसों को ही उपलब्ध करवाई जाएंगी जो विभाग के तहत पंजीकृत हैं। वेबसाइट पर सरकारी स्कूलों का उल्लेख ही नहीं हैं। ऐसे में स्कूल पोर्टल पर उर्दू की पाठ्यपुस्तकों की डिमांड ही नहीं भेज पा रहे।
इनका कहना है,
पहली से चौथी तक की उर्दू की किताबों की व्यवस्था हम अपने स्तर पर ही करते आ रहे हैं। हरसाल विभाग को डिमांड भेजते हैं लेकिन किताबें नहीं मिलती, इस बार तो सतत मूल्यांकन के टाइमटेबल में तो उर्दू का नाम ही नहीं है। पता नहीं बच्चों का मूल्यांकन होगा अथवा नहीं।
अबरार अहमद, शिक्षक
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दवाबखाना
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हमारे स्कूल में शत प्रतिशत बच्चे उर्दू पढऩे वाले हैं लेकिन यहां संस्कृत के शिक्षक का पद स्वीकृत है। इतना ही नहीं प्राइमरी स्तर पर तो अतिरिक्त विषय के रूप में उर्दू पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकें ही नहीं मिल रही। ऐसे में इनका मूल्यांकन कैसे होगा।
सोबर्स विश्वास मैसी
प्रधानाध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,नाहरवाड़ा
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मुख्यमंत्री ने प्राथमिक स्कूलों में उर्दू शिक्षा के लिए 20 विद्यार्थी नामांकित होने पर उर्दू शिक्षा शुरू करने व प्राथमिक स्कूलों में उर्दू के पद सृजित करने की घोषणा की है इस घोषणा की शिक्षा विभाग पालना करने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा पूर्व से उर्दू विषय संचालित विद्यार्थियों की परीक्षा का प्रावधान खत्म करना गलत है। 2018,2019 की पांचवी बोर्ड परीक्षा में स्कूलों में उर्दू की परीक्षा के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की दखल से परीक्षा टाइम टेबल संशोधन करवाना पड़ता था। जनवरी 2021 में मुख्यमंत्री निवास का राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ द्वारा घेराव किया था तब मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा की ताकि इस समस्या का का स्थायी समाधान हो लेकिन शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की भी परवाह नहीं कर रहा है।
अमीन कायमखानी, प्रदेशाध्यक्ष,राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ।
डीइेओ बोले, होगा सतत मूल्यांकन लेकिन कैसे
जब इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी रवींद्र कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि पहली से पांचवीं तक के उर्दू के विद्यार्थियों का सतत मूल्यांकन करवाया जाएगा लेकिन कैसे इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है।