farmers save lakhs of rupees by adopting the advanced technology of polyhouse – News18 हिंदी

राहुल मनोहर/सीकर. राजस्थान भारत का सबसे शुष्क राज्य है. पानी की समस्या यहां हमेशा प्रमुखता से रही है. राजस्थान में किसानों द्वारा भी उन्हीं फसलों की खेती की जा रही है जिनमें पानी की कम आवश्यकता हो. इसी कारण बाजरा राजस्थान का प्रमुख खाद्यान्न है. बहुत से किसानों ने तकनीक की सहायता से कम पानी में बागनी और खाद्यान्न फैसले उगाई लेकिन अधिक फायदेमंद नहीं रही.
फसलों के लिए प्रतिकूल वातावरण व पानी की कमी की समस्या किसानों को हमेशा से रही थी. लेकिन वर्तमान समय में कृषि वैज्ञानिकों ने इसका हल निकाल लिया है. अब कोई भी किसान कम पानी और बिना किसी जलवायु परिवर्तन की समस्या से मुनाफे की खेती कर सकता है. किसान अपने खेत में पॉलीहाउस लगाकर अनेकों बागनी व मौसमी फसलों की खेती कर सकता है.
पॉलीहाउस तकनीक से नुकसान नहीं होगा
पॉलीहाउस लगाकर अगर किसान खेती करता है तो नुकसान की संभावना न के बराबर होती है. इसमें कम क्षेत्र में अधिक फसल उगाई जा सकती है. इस विधि में फसल को 60% कम पानी देना पड़ता है क्योंकि इस विधि में में बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जाता है. यही कारण है कि किसान को पॉलीहाउस तकनीक अपनाने पर अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होगी. इसके साथ ही पाली हाउस में जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता है.
इसमें लगाई गई सभी फसलों के अनुसार पॉलीहाउस में तापमान नियंत्रित होता है. फसल की आवश्यकता के अनुसार इसमें अनुकूल वातावरण पोली हाउस फसल को तैयार करके देता है. पॉलीहाउस अधिक गर्मी, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि और तेज सर्दी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलो को बचाने का काम करता है. यही कारण है कि किसान पॉलीहाउस तकनीक को अपनाता है तो फसल खराब होने की संभावना न के बराबर होगी.
पॉलीहाउस से किसान काम रहे लाखों रुपए
सीकर जिले के डांसरोली ग्राम पंचायत के राजस्व गांव प्रेमपुरा में सुरेश कुमार चौधरी पोलीहाउस की उन्नत तकनीक का उपयोग कर सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं. सुरेश कुमार ने हमें बताया कि कोरोना के समय जयपुर में उनका सारा व्यापार चौपट हो गया जिस कारण उन्हें सारा काम छोड़कर अपने गांव वापस आना पड़ा इसके बाद उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से बात कर घर पर पॉलीहाउस लगाया.
उन्नत तकनीक व पॉलीहाउस से पिछले 3 साल से सुरेश कुमार खीरे, गेंदे के फूल, ककड़ी, तरबूज आदि की खेती कर रहे हैं. सुरेश कुमार ने बताया कि वह पॉलीहाउस के अंदर मौसमी खेती करके सालाना 12 लाख से अधिक की कमाई करते हैं.
इसके साथ ही दांतारामगढ़ क्षेत्र के डांसरोली ग्राम पंचायत के किसान पॉलीहाउस जैसी उन्नत तकनीक को अपनाकर लाखों रुपए कमा रहे हैं. विकास दून मेडिकल की पढ़ाई की पूरी करने के बाद जयपुर के एक बड़े निजी अस्पताल में काम किया लेकिन अच्छी सैलरी नहीं मिलने के कारण वे काम छोड़कर अपने गांव वापस आ गए. जिसके बाद वह पिता के साथ खेती में मदद लगा.
करीब 1 साल तक गूगल पर उन्नत खेती की जानकारी के बाद विकास ने अपने खेत में पॉलीहाउस लगाया. इसके बाद उनको पहले साल की इनकम 5 लाख रुपए प्राप्त हुई. जवान पिछले 4 साल से पॉलीहाउस की खेती की उन्नत तकनीक को अपनाकर मौसमी खेती कर रहे हैं. जवान ने बताया कि पॉलीहाउस की खेती से उन्हें सालाना 14 लाख रुपए से अधिक की कमाई हो रही है.
पॉलीहाउस लगाने पर सरकार कर रही किसानों की मदद
ऐसे ही सुरेश कुमार चौधरी और विकास जैसे हजारों किसानों ने पॉलीहाउस जैसी उन्नत तकनीक को अपनाकर आधुनिक खेती को अपनाया है. वे किसान इस उन्नत तकनीक को अपनाकर मौसमी खेती कर रहे हैं जिससे उन्हें सालाना लाखों का मुनाफा हो रहा है.
पॉलीहाउस में इंसेंट डिजीज व मौसमी बीमारियों का खतरा नहीं होने से फसल नुकसान से बच जाती है. पॉलीहाउस की उन्नत तकनीक अपनाने सरकार भी किसानों की मदद कर रही है. सरकार द्वारा बेहद ही कम अनुदान पर पॉलीहाउस लगाया जा रहा है. पॉलीहाउस लगाने पर सरकार किसानों की सहायता कर रही है ताकि वे इस उन्नत तकनीक को अपनाकर अपने जीवन में बदलाव ला सके.
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FIRST PUBLISHED : February 18, 2024, 20:26 IST