फ्लैट सुरक्षित होते हैं या घर? जेवर-पैसा कहां रखना सेफ? ये रही सर्वे रिपोर्ट flats or home which is safe where we can keep secure our money jewelry survey

Flats or Home: आज के दौर में घर खरीदने वालों के लिए केवल लोकेशन और कीमत सबकुछ नहीं है, सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता बन चुकी है. न्यूक्लियर हो चुके परिवार के चलते आपकी जान, आपका पैसा, आपके गहने कहां सुरक्षित हैं, ये सबसे बड़ा सवाल है.यही कारण है कि बिल्डर्स अपने प्रोजेक्ट्स में सुरक्षा को यूएसपी के तौर पर पेश कर रहे हैं. गेटेड सोसाइटीज में बने फ्लैट्स में डेवलपर्स सीसीटीवी, फेस रिकॉग्निशन सिस्टम, 24×7 सिक्योरिटी गार्ड्स और कंट्रोल्ड एंट्री-एग्जिट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं.
कुछ गेटेड सोसाइटीज ऐसी हैं जहां फ्लैट्स की बजाय घर (विला/रो हाउस) बने हुए हैं और वे भी सुरक्षा के लिहाज से बेहतर साबित हो रहे हैं. हालांकि अभी भी पुराने समय से चली आ रही एक धारणा लोगों के मन में होती है कि जमीन से लेकर छत तक अपना घर सबसे सुरक्षित होता है. यही वजह है कि घर के बड़े बुजुर्ग अभी भी अपनी नई पीढ़ी को फ्लैटों में गहने-जेवर पैसा आदि न रखने की सलाह देते हैं और हमेशा घर को ही प्राथमिकता देते हैं. आइए लोगों पर किए सर्वे और एक्सपर्ट से जानते हैं कि दोनों में से कौन सी जगह ज्यादा सुरक्षित है?
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट
हाउसिंग डॉट कॉम की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 64% संभावित घर खरीदार गेटेड सोसाइटी में फ्लैट को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये ज्यादा सुरक्षित हैं और घर की तुलना में किफायती हैं. एनॉरॉक फिक्की के सर्वेक्षण में पाया गया कि 92% खरीदार लोकेशन और सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षा को अपने निर्णय का अहम हिस्सा मानते हैं. हालांकि घर हो या फ्लैट अपने बजट के अनुरूप वो चुनाव करते हैं.
इस बारे में क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता का कहना है कि आज हर खरीदार की पहली प्राथमिकता सुरक्षा है.यही कारण है कि डेवलपर्स फ्लैट्स और विला दोनों में मॉडर्न सिक्योरिटी फीचर्स को प्राथमिकता दे रहे हैं. ट्रेंड बताता है कि आज गेटेड सोसायटी के फ्लैट में लोग खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं.
ये हैं सुरक्षा के उपाय जो आपको सोसायटीज में मिलते हैं
– 24×7 सिक्योरिटी गार्ड्स – हर गेट और टॉवर पर तैनात
– सीसीटीवी कैमरे – पार्किंग से लेकर लिफ्ट लॉबी और कॉमन एरिया तक
– फेस रिकॉग्निशन और बायोमेट्रिक एंट्री – केवल रजिस्टर्ड लोगों को एंट्री
– बूम बैरियर और कंट्रोल्ड एंट्री-एग्जिट – वाहनों की ट्रैकिंग और रिकॉर्ड
– इंटरकॉम और SOS अलार्म – फ्लैट से सीधे सिक्योरिटी टीम से कनेक्टिविटी
– स्मार्ट लॉकिंग सिस्टम – मोबाइल/कार्ड से ऑपरेट होने वाले डोर लॉक
– गार्ड्स की ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग – किसी भी इमरजेंसी में तुरंत एक्शन
घरों में सुरक्षा कठिन
केडब्ल्यू ग्रुप के डायरेक्टर पंकज कुमार जैन ने बताया, ‘आजकल फ्लैट्स में फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. यह बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से बेहद कारगर है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट होमग्राम के फाउंडर गौरव सोबती कहना है, ‘बायर्स अब सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं करना चाहते. यही कारण है कि सभी डेवलपर अन्य सुविधओं के साथ सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं. ज्यादातर डेवलपर अपने प्रोजेक्ट्स में मल्टी-लेयर सिक्योरिटी सिस्टम बना रहे हैं है जिसमें हर टावर के गार्ड्स से लेकर हाई-क्वालिटी सीसीटीवी और इंटरकॉम तक शामिल है. अपने मकान में आप एक गार्ड तो रख सकते हैं लेकिन सोसायटी की तरह राउंड द क्लॉक सुरक्षा वह नहीं दे सकेगा. ऐसे में अब लोग सोसायटीज की ओर रुख कर रहे हैं.’
सोसायटी में मिलती है पांच लेयर की सुरक्षाडिलिजेंट बिल्डर्स के सीओओ अश्वनी नागपाल (रि ले.क) ने कहा, ‘प्रोजेक्टों में स्मार्ट लॉक और कंट्रोल सिस्टम की सुविधा दी जा रही है.घर खरीदार स्मार्ट टच पैनल के जरिए डोर खोल सकते है, घर में आने से पहले ए.सी और लाइट वॉयस कमांड से चला सकते है. घर के अंदर की स्विच भी स्मार्ट टच से नियंत्रित की जा सकती है.पहले की तुलना में आज कल सोसायटी में 5 लेयर सिक्योरिटी दी जा रही है जो सोसायटी गेट से शुरू होकर पार्किंग, लिफ्ट, टावर लॉबी और फिर फ्लैट के डोर तक आती है. वहीं आरजी ग्रुप डायरेक्टर हिमांशु गर्ग ने कहा, ‘हम सिक्योरिटी को लाइफस्टाइल का हिस्सा मानते हैं. स्मार्ट लॉकिंग सिस्टम, बायोमेट्रिक एंट्री और SOS अलार्म जैसी सुविधाएं खरीदारों को अतिरिक्त भरोसा देती हैं.’
ऐसे में इनकार नहीं किया जा सकता कि सुरक्षा के लिहाज से गेटेड सोसायटीज ज्यादा भरोसेमंद साबित हो रही हैं, खासतौर पर बड़े शहरों में. हालांकि जो परिवार अभी भी घरों में रहते हैं तो ऐसा नहीं है कि वहां वे सुरक्षित नहीं हैं, बल्कि घरों में भी आसपास के वातावरण और सिक्योरिटी सिस्टम को मजबूत रखने से सेफ रहा जा सकता है.