Rajasthan New Transfer Policy Still On Pause Since 8 Month – किरकिरी का कारण खुद सरकार, नीति तैयार बस मंजूरी का इंतजार

— आठ माह से धूल चाट रहा नई तबादला नीति का मसौदा, मार्च से अब तक केबिनेट तक ही नहीं पहुंच पाया मंजूरी योग्य दस्तावेज, इसी बीच पुरानी परंपरा से ही सरकार ने निपटा लिए तबादले

पंकज चतुर्वेदी
जयपुर. प्रदेश के सरकारी महकमों में तबादलों के लिए पैसे के मुद्दे पर हो रही किरकिरी के लिए सरकार खुद ही जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही नई तबादला नीति का मसौदा तैयार कर लिया था। महज मंत्रिमंडल की मंजूरी ही मिलना शेष है। लेकिन अफसरशाही की लचर चाल आठ माह का लंबा समय बीतने के बाद भी इस दस्तावेज को केबिनेट में ले जाने की निर्णायक सूरत में नहीं ला पाई। इधर, सब कुछ संज्ञान में होते हुए भी सरकार ने जुलाई से सितंबर तक बिना किसी नियम कायदे पुराने ढर्रे पर ही तबादले खोल दिए।
बस, सुझावों में ही रह गई पारदर्शिता
राज्य सरकार ने इस साल मार्च में नई तबादला नीति का मसौदा तैयार कर सभी विभागों को सुझावों के लिए भेज दिया था। सुझावों के बाद प्रशासनिक सुधार विभाग को यह मसौदा अंतिम तौर पर तैयार कर पहले मुख्य सचिव और फिर केबिनेट में मंजूरी के लिए भेजना था। लेकिन सुझावों के स्तर पर ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इधर, विभाग के अधिकारी भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
लगे लेन—देन के आरोप
बिना स्थानांतरण नीति के जुलाई से सितंबर तक खोले गए तबादलों में फिर से पैसे के लेन—देन के आरोप लगे। इसमें लेन—देन के कथित आॅडियो भी वायरल हुए। उच्च शिक्षा विभाग ने एक कार्मिक को कार्यमुक्त भी किया।
मसौदे में है ये प्रमुख प्रावधान
— तबादले हर साल सिर्फ 1 अप्रेल से 30 जून के बीच हीे होंगे। कर्मचारियेां से इच्छित जिले या स्थान के बारे में आवेदन मांगे जाएंगे फिर काउंसलिंग से फैसला किया जाएगा।
— विभाग हर साल 15 मार्च तक स्थानांतरण योग्य पदों को सार्वजनिक करेंगे। इनके आधार पर कर्मचारी 31 मार्च तक आवेदन कर सकेंगे।
— 30 जून को मौजूदा पोस्टिंग के दो साल पूरे होने पर ही स्वयं के आवेदन पर तबादला होगा। कुछ श्रेणियों को छूट इससे छूट होगी।
— तबादला होने पर पहले कार्मिक को नई पोस्टिंग पर ज्वॉइन करना होगा, इसके बाद वह तीस दिन में परिवेदन दे सकेगा।
— सेवा में एक वर्ष से कम अवधि रहने पर भी कार्मिक का तबादला किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जा सकेगा।