Rajasthan

मेहनत और नवाचार की मिसाल बने सीकर के किसान, पॉलीहाउस खेती ने बदली किस्मत, 20 लाख है सालाना की कमाई

Last Updated:October 30, 2025, 10:17 IST

Sikar Farmer Success Story: सीकर जिले के दांतारामगढ़ क्षेत्र के लामिया गांव के किसान सोनाराम ने पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक पॉलीहाउस खेती को अपनाकर मिसाल पेश की है. 2017 में शुरू की गई खीरे की खेती से उन्होंने हर साल लाखों का मुनाफा कमाया. 32 लाख की लागत वाले पॉलीहाउस पर सरकारी सब्सिडी से सिर्फ 10 लाख का खर्च हुआ. आज सोनाराम सालाना 20 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं और प्राकृतिक खाद से रसायनमुक्त उत्पादन कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.

सीकर. राजस्थान में अनेकों किसान पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक खेती अपना रहे हैं और लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. सीकर जिले के दांतारामगढ़ क्षेत्र के लामिया गांव के किसान सोनाराम भी आधुनिक खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. किसान सोनाराम ने 2017 में पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती शुरू की थी. पहले गेहूं, जौ, चना और सरसों जैसी फसलें उगाने वाले सोनाराम 9 साल पहले पॉलीहाउस में खीरे की खेती शुरू की थी. पानी की समस्या से निपटने के लिए उन्होंने पूरे खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाया, जिससे सिंचाई की समस्या खत्म हो गई और उत्पादन बढ़ गया.

उन्नत किसान सोनाराम ने बताया कि उनके पास कुल 14 बीघा जमीन है, जिसमें 9 साल पहले 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र में उन्होंने पॉलीहाउस तैयार करवाया. इस पर 32 लाख रुपये की लागत आई थी, लेकिन सरकारी सब्सिडी के चलते उनके केवल 10 लाख रुपये ही खर्च हुए, जबकि 22 लाख रुपये की राशि उन्हें वापस मिल गई. शुरुआत में 2 लाख रुपये की लागत से खीरे की खेती शुरू की और पहली ही फसल में उन्हें 2 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ.

20 लाख रुपये से अधिक मुनाफा कमा रहे मुनाफा

सोनाराम ने बताया कि धीरे-धीरे उनका मुनाफा लगातार बढ़ता गया. साल 2023 में सोनाराम को खीरे और परंपरागत फसलों से कुल 12 लाख रुपये का लाभ हुआ, वहीं 2024 में यह बढ़कर 16 लाख रुपये तक पहुंच गया. सोनाराम ने बताया कि खीरे की खेती और अनाज की खेती कर वे साल 2025 के दिनों सीजन में ही उन्हें 20 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ है. खेती में तकनीकी नवाचार और मेहनत के इस सफल संयोजन के चलते सोनाराम को उपखंड स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है.

प्राकृतिक खाद का फसल में करते हैं उपयोग 

पॉलीहाउस में सोनाराम करीब 7000 पौधे लगाते हैं. यहां नियंत्रित तापमान और नमी के कारण पौधे 40 दिनों में फल देना शुरू कर देते हैं. प्रत्येक पौधा एक सीजन में लगभग 60 किलो खीरा देता है. इस तरह एक सीजन में वे 40 से 45 टन तक खीरे का उत्पादन कर लेते हैं. साल में दो बार फरवरी से मई और जुलाई से अक्टूबर खीरे की फसल ली जाती है. उन्होंने बताया कि वह खीरे की खेती में किसी तरीके की रासायनिक दवाइयां का उपयोग नहीं करते हैं. अच्छे उत्पादन व लंबे समय तक खीरे की फसल रहे, इसके लिए वह प्राकृतिक खाद खुद अपने खेत में बनाते हैं.

इसके लिए दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र पर जाकर प्राकृतिक खाद बनाने की ट्रेनिंग भी ली है. वे अपने खेत पर ही गोमूत्र, गोबर, आक, धतूरा, खींप आदि से खाद तैयार करते हैं. वे इनको एक ड्रम में डालकर तीन से चार महीने के लिए सड़ने के लिए छोड़ देते हैं. इसके बाद जब खीरे की फसल शुरू होती है तो 4 महीने तक इस प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं.

deep ranjan

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें

Location :

Sikar,Rajasthan

First Published :

October 30, 2025, 10:17 IST

homeagriculture

पॉलीहाउस खेती ने सीकर के किसान की बदली किस्मत, 20 लाख है सालाना की कमाई

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj