उदयपुर वकीलों का अरावली फैसले पर विरोध प्रदर्शन

Last Updated:December 21, 2025, 11:05 IST
Udaipur Lawyers Protest Aravalli Verdict: उदयपुर बार एसोसिएशन के नेतृत्व में वकीलों ने अरावली की नई परिभाषा (100 मीटर नियम) के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. उन्होंने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की है ताकि मेवाड़ की पहाड़ियों को विनाश से बचाया जा सके.
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अरावली फैसले के विरोध में उदयपुर में वकीलों का प्रदर्शन,
उदयपुर. अरावली पर्वतमाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद लेकसिटी उदयपुर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. शनिवार को उदयपुर बार एसोसिएशन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. वकीलों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली क्षेत्र के दायरे से बाहर रखने की बात कही गई है. अधिवक्ताओं ने सरकार से मांग की है कि इस संवेदनशील मामले में तुरंत पुनर्विचार याचिका दायर की जाए.
मेवाड़ की पहाड़ियों पर विनाश का संकटसुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद अरावली पर्वतमाला को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है और अब इसका असर उदयपुर में भी साफ नजर आने लगा है. शनिवार को उदयपुर बार एसोसिएशन के आह्वान पर बड़ी संख्या में अधिवक्ता जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. इसके बाद राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया. अधिवक्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली पर्वतमाला का हिस्सा नहीं मानना बेहद चिंताजनक है. उनका तर्क है कि उदयपुर और मेवाड़ क्षेत्र की अधिकांश पहाड़ियां इसी श्रेणी में आती हैं. ऐसे में यह फैसला इन पहाड़ियों के दोहन और विनाश का रास्ता खोल सकता है.
पर्यावरण और जनजीवन पर गंभीर असरवकीलों ने चेतावनी दी है कि संरक्षण हटने का सीधा असर पर्यावरण, जल स्रोतों और जैव विविधता पर पड़ेगा. अरावली केवल पहाड़ियों का समूह नहीं, बल्कि राजस्थान की जलवायु, वर्षा प्रणाली और रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकने वाली प्राकृतिक दीवार है. यदि इन पहाड़ियों से संरक्षण हटता है तो आने वाले समय में पानी, हरियाली और जनजीवन पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है. प्रदर्शन के दौरान अधिवक्ताओं ने सरकार से पुरजोर मांग की कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए, ताकि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को भी अरावली का अभिन्न अंग मानते हुए उन्हें कानूनी संरक्षण मिल सके.
About the Authorvicky Rathore
Vicky Rathore is a multimedia journalist and digital content specialist with 8 years of experience in digital media, social media management, video production, editing, content writing, and graphic, A MAJMC gra…और पढ़ें
Location :
Udaipur,Udaipur,Rajasthan
First Published :
December 21, 2025, 11:05 IST
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अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: उदयपुर के वकीलों ने खोला मोर्चा, सरकार से…



