Rajasthan Govt Will Give Additional Ventilator To Private Hospitals – सरकारी में संक्रमितों की भरमार, फिर भी ‘अतिरिक्त’ वेंटिलेटर-कन्संट्रेटर निजी अस्पतालों को देगी सरकार

भरतपुर में सरकारी वेंटिलेटर निजी अस्पताल को भाड़े पर देने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश के लिए आदेश ही जारी कर दिया है।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
जयपुर। भरतपुर में सरकारी वेंटिलेटर निजी अस्पताल को भाड़े पर देने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश के लिए आदेश ही जारी कर दिया है। सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों की भरमार है, इसके बावजूद सरकार ‘अतिरिक्त’ वेंटिलेटर और कन्संटे्रटर निजी अस्पतालों को देगी। बदले में अब किराया भी नहीं लेगी।
चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने इन संसाधनों का उपयोग निजी अस्पतालों में भी करने की छूट देते हुए मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। इसमें कहा है कि सभी जिला कलक्टर सरकारी अस्पतालों के ‘अतिरिक्त’ वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कन्संट्रेटर का इस्तेमाल निजी अस्पतालों में भी करवा सकेंगे। इन सुविधाओं के बदले निजी अस्पताल मरीज से कोई शुल्क नहीं लेंगे।
भरतपुर में दे दिए थे 10 वेंटिलेटर
हाल ही सामने आ चुका है कि भरतपुर के आरबीएम अस्पताल के 10 वेंटिलेटर जिंदल हॉस्पिटल को किराए पर दे दिए गए थे।
बड़ा सवाल: सरकारी में ही पूरा उपयोग क्यों नहीं?
बड़ी संख्या में कोरोना मरीज सरकारी अस्पतालों में भर्ती होना चाहते हैं। इन अस्पतालों में मरीजों की लम्बी कतारें लग रही हैं। उपलब्ध संसाधनों का सरकारी अस्पतालों में ही पूरा उपयोग कर मरीजों को वहीं पूरा इलाज नि:शुल्क देने के बजाय संसाधन निजी अस्पतालों को क्यों सौंपे जा रहे हैं?
प्रशिक्षित स्टाफ हो तो एक महीने में आइसीयू तैयार
वरिष्ठ विशेषज्ञ व मुख्यमंत्री कोविड सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि वेंटिलेटर युक्त आइसीयू बेड के लिए प्रशिक्षित स्टाफ, रेजिडेंट व नर्सिंग स्टाफ जरूरी है। आधारभूत सुविधाओं में ऑक्सीजन आपूर्ति लाइन, सक्सन व एयर लाइन भी चाहिए होती है। ये सुविधाएं विकसित करने में अधिकतम एक महीना लगता है। हालांकि आइसीयू के लिए प्रशिक्षित स्टाफ होना सबसे जरूरी है।
इधर हाईकोर्ट पहुंची बार एसोसिएशन
भरतपुर में सरकारी वेंटिलेटर निजी अस्पताल को किराए पर देने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। राजस्थान पत्रिका में रविवार को ‘गरीबों के हक की सांसों पर रसूख का साया’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के आधार पर इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि केन्द्र सरकार ने गरीबों के उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों को वेंटिलेटर भेजे, जिन्हें निजी अस्पताल को किराए पर दे दिया गया। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार से आए वेंटिलेटरों को काम लेने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट पहले भी नोटिस जारी कर चुका है।