Ground Report : खंडहर में बदलीं करौली की आंगनबाड़ियां… खतरे में मासूमों का बचपन और भविष्य!

Last Updated:October 14, 2025, 17:47 IST
Ground Report : करौली जिले की आंगनबाड़ियां बच्चों के लिए सीखने की जगह से ज्यादा खतरे का अड्डा बन चुकी हैं. खंडहरनुमा इमारतें, झड़ती छतें और बिजली-पानी की कमी ने मासूमों का बचपन दांव पर लगा दिया है. सरकार के पोषण व शिक्षा के दावे यहां धरातल पर ढहते नजर आते हैं.
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करौली : जिला मुख्यालय पर संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की तस्वीर किसी झकझोर देने वाली हकीकत से कम नहीं है. सरकार लाख दावे करे कि बच्चों के पोषण और शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी सबसे अहम कड़ी है, लेकिन करौली जिले में जमीनी हालात कुछ और ही कहानी कहते है. करौली शहर में कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जो खंडहरनुमा इमारतों में संचालित हो रहे हैं, जहां हर दिन मासूम बच्चों की जान पर खतरा मंडराता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि शहर के कई केंद्र पुराने, जर्जर भवनों और हवेलियों में चल रहे हैं, जहां दीवारों की दरारें और झड़ता प्लास्टर किसी भी पल बड़ा हादसा बुला सकता है. कई केंद्रों की हालत तो इतनी भयावह है कि अभिभावक रोज अपने बच्चों को डर के साये में छोड़कर जाते हैं. Local 18 की टीम ने जब नंबर 8 स्कूल के अधीन संचालित वार्ड नंबर 19 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का हाल देखा, तो इस आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति काफी चिंताजनक थी. यह पूरा भवन खंडहर हालत में है, छत से प्लास्टर झड़ रहा है, और केंद्र के अंदर अंधेरा पसरा रहता है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस केंद्र में न तो बिजली का कनेक्शन है, न ही हवा-पानी की व्यवस्था.
जर्जर आंगनबाड़ी में बच्चों की पढ़ाई खतरे मेंइस केंद्र को संचालित करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मनीष शर्मा बताती हैं यहां सालों से लाइट और हवा की समस्या बनी हुई है. इसकी शिकायत कई बार उच्चाधिकारियों तक की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार बच्चों की सुविधा के लिए हमने खुद ही कूलर लाकर लगाया और पड़ोसी घर से बिजली का इंतजाम किया. इस केंद्र में फिलहाल 12 बच्चे पंजीकृत हैं. भीषण गर्मी और उजाले के लिए जब केंद्र के भीतर बैठना मुश्किल हो जाता है, तो कार्यकर्ता बच्चों को खिड़की-दरवाजे खोलकर ही पढ़ाती हैं. इसी केंद्र कि दूसरी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता जादौन ने बताया कि बरसात के दिनों में यहां हालत और खराब हो जाते है. छत टपकती है, दीवारों में सीलन रहती है और कभी-कभी छत से प्लास्टर गिर जाता है. उनका कहना है कि केंद्र जर्जर हालत में होने के कारण हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए.
बिजली-पानी के बिना तड़पता आंगनबाड़ी केंद्रइस केंद्र के स्थानीय निवासी और बच्चों के अभिभावकों का कहने में भी आक्रोश है. Local 18 से खास बातचीत में एक स्थानीय निवासी गोपाल शर्मा ने कहा कि सरकारी भवनों में सुधार के नाम पर सिर्फ कागज़ी कार्रवाई होती है. लेकिन यहां तो हालात इतने खराब हैं कि किसी दिन बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है. इस पूरे मामले में सीडीपीओ सत्यप्रकाश शुक्ला ने कहा कि जल्द ही ऐसे सभी आंगनबाड़ी केन्द्रो की जांच करवाई जाएगी. जिन केंद्रों की स्थिति खराब है, उन्हें जल्द ही सुरक्षित भवनों में शिफ्ट किया जाएगा. उनका कहना है कि शहर के कुछ केंद्र पहले ही स्थानांतरित किए जा चुके हैं.
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
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Location :
Karauli,Rajasthan
First Published :
October 14, 2025, 17:47 IST
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खंडहर बनी करौली की आंगनबाड़ियां, हर दिन खतरे में मासूमों का बचपन