राजस्थान में BJP के पोस्टर-होर्डिंग से वसुंधरा राजे की तस्वीर गायब, पार्टी नेताओं ने साधी चुप्पी


जयपुर स्थित बीजेपी कार्यालय के बाहर लगे हुए पोस्टर में वसुंधरा राजे की तस्वीर गायब है
इस बदलाव से राजस्थान बीजेपी (Rajasthan BJP) के अंदर खलबली मच गयी है. जयपुर स्थित पार्टी कार्यालय पर लगे पोस्टर और होर्डिंग से वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की तस्वीर भले हटा दी गई है मगर उनकी मां और पार्टी की संस्थापक सदस्यों में से एक राजमाता विजयाराजे सिंधिया के पोस्टर अब भी पार्टी कार्यालय में लगे हैं
जयपुर. राजस्थान बीजेपी (Rajasthan BJP) में अंतर्रकलह की स्थिति खुलकर सामने आ गई है. बीजेपी के कार्यालय पर लगे नए पोस्टर और होर्डिंग से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की तस्वीर गायब है. इस बदलाव से पार्टी के अंदर खलबली मच गयी है. वसुंधरा राजे के पोस्टर भले हटा दिए गए हैं मगर उनकी मां और पार्टी की संस्थापक सदस्यों में से एक राजमाता विजयाराजे सिंधिया के पोस्टर अब भी पार्टी कार्यालय में लगे हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति ओर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे कद्दावर नेता भैरोसिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) की तस्वीरें भी यहां नजर आती हैं. तो फिर क्या कारण है कि दो बार की मुख्यमंत्री, बीजेपी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अपने दम पर पार्टी को 2013 में सबसे बड़ी जीत दिलाने वाली वसुंधरा राजे को पार्टी ने पोस्टरों तक से हटा दिया है.
पोस्टर और होर्डिंग से तस्वीर हटाने का कारण जो कुछ भी रहा हो, पार्टी के पदाधिकारियों से इस पर न निगलते बन रहा है न उगलते. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक प्रदेश और जिला कार्यालयों पर किन-किन नेताओं की तस्वीर चस्पा होंगी, इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने बाकायदा गाइडलाइन जारी की है जिसके मुताबिक जिन राज्यों में पार्टी सत्ता में है वहां मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष की फोटो लगेगी. जबकि जिन राज्यों में पार्टी विपक्ष में है वहां बीजेपी कार्यालय पर नेता प्रतिपक्ष ओर प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रधानमंत्री ओर राष्ट्रीय अध्यक्ष की तस्वीरें लगेंगी. इसी को फॉलो करते हुए जयपुर स्थित बीजेपी दफ्तर पर यह तस्वीर दिख रही है.
वहीं, बीजेपी कार्यालय पर ताजा होर्डिंग विवाद को कुछ लोग बदले माहौल के साथ जोड़कर देख रहे हैं. सवाल उठता है कि क्या बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे को साइडलाइन करने की तैयारियां चल रही हैं या फिर इसे वसुंधरा युग को अवसान की तरफ धकेलने की आलाकमान की कोशिश समझा जाये. वजह चाहे जो हो, मगर इससे राजस्थान बीजेपी में पहले से जारी विवाद के ओर बढ़ने की आशंका है. वसुंधरा समर्थक इस घटनाक्रम को अपनी नेता का अपमान तक करार दे रहे हैं. क्या यह भविष्य में किसी तूफान के आने से पहले की शांति है.