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न सीट मिली न ज्यादा वोट… हार कर भी इतना खुश क्यों कांग्रेस? राहुल गांधी का प्‍लान जानकर BJP को लगेगा ‘करंट’

Last Updated:February 09, 2025, 07:17 IST

Delhi Election Result 2025: कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन दिल्ली चुनाव 2025 में फीका रहा, लेकिन राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल की हार से खुश हैं. बीजेपी की जीत और आम आदमी पार्टी की हार से आखिर कांग्रेस पार्टी को क्‍…और पढ़ेंन सीट मिली न वोट... फिर खुश क्यों राहुल? कांग्रेस का प्‍लान BJP को देगा 'करंट'

राहुल गांधी की पार्टी दिल्‍ली चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई. (File Photo)

नई दिल्‍ली. कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन दिल्‍ली चुनाव 2025 में पिछले तीन चुनावों की तर्ज पर ही बेहद फीका रहा. राहुल गांधी की पार्टी राजधानी में एक बार फिर खाता तक नहीं खोल पाई. साल 1998 से 2013 तक लगातार दिल्‍ली की सत्‍ता पर काबिज रही कांग्रेस के लिए वजूद बचाने की जद्दोजहद अब भी जारी है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की हार से आखिर कांग्रेस इतनी खुश क्‍यों हैं. राहुल गांधी के खुश होने की एक या दो नहीं बल्कि पांच मुख्‍य वजह हैं. 5वां कारण तो ऐसा है, जिसे जानकर बीजेपी को भी ‘करंट’ लग सकता है. चलिए एक-एक कर हम आपको इनके बारे में बताते हैं.

नेशनल पॉलिटिक्‍स में केजरीवाल का कद घटेगा: अरविंद केजरीवाल पिछले 10 सालों में नेशनल पॉलिटिक्‍स में तेजी से अपना वर्चस्‍व बढ़ाते नजर आ रहे हैं. चाहे पंजाब हो या फिर गोवा, गुजरात हो या जम्‍मू-कश्‍मीर हर राज्‍य में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी है. इंडिया गठबंधन में भी तमाम रीजनल पार्टियां केजरीवाल को काफी तवज्‍जो देते हैं. दो राज्‍यों में आप की सरकार थी जो अब केवल पंजाब में रह गई है. आने वाले वक्‍त में केजरीवाल का कद घटने से राहुल गांधी को फायदा होगा.

हरियाणा-गुजरात की हार का बदला: पिछले साल के अंत में हुए हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को जीत का मजबूत दावेदार माना जा रहा था लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने यहां बाजी मारी तो इसकी मुख्‍य वजह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बनी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन नहीं हो पाया. केजरीवाल की पार्टी को करीब पौने 2 परसेंट वोट मिले और राहुल गांधी के सरकार बनाने के मनसूबों का बट्टा लग गया. कुछ ऐसा ही हाल गुजरात में भी कांग्रेस का हुआ था.

पंजाब की सत्‍ता में वापसी की राह आसान: दिल्‍ली हारने के बाद अब अरविंद केजरीवाल के सामने अगली सबसे बड़ी चुनौती पंजाब में अपनी सरकार बचाने की है. दिल्‍ली की तर्ज पर पंजाब में भी कांग्रेस पार्टी के वोट काटकर आम आदमी पार्टी सत्‍ता में आई थी. केजरीवाल को यह डर सता रहा है कि अगर इसी तर्ज पर पंजाब में भी वोट बंटे तो वहां बीजेपी-अकाली सरकार फिर बाजी मार जाएगी. दूसरी और लोकसभा चुनाव में आप ने पंजाब की 13 सीटों में से महज 3 पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को यहां 7 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस का पंजाब में अच्‍छा खासा जनाधार है.

गठबंधन को मजबूर होंगे अरविंद केजरीवाल: दिल्‍ली में अब साल 2030 में विधानसभा चुनाव हैं. मौजूदा दिल्‍ली चुनाव से पहले केजरीवाल ने राजधानी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि उनके पास शहर में जनाधार नहीं है. अब जब बारी 2030 के चुनाव की आएगी तो उन्‍हें बीजेपी को सत्‍ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस को बराबरी का दर्जा देना होगा.

कांग्रेस पार्टी के पास मौजूदा वक्‍त में ले देकर केवल दो राज्‍यों में सरकार है. राहुल गांधी की पार्टी के सीएम हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना राज्‍यों में है. संगठन चलाने के लिए हर पार्टी को धन की जरूरत होती है. पार्टी को चंदा भी केवल तभी मिलता है जब उनकी ज्‍यादा से ज्‍यादा राज्‍यों में सरकार हो. यही वजह है कि पिछले 10 सालों से कांग्रेस पार्टी हर राज्‍य में गठबंधन के साथी तलाश रही है. आप की दिल्‍ली में करारी शिकस्‍त के बाद अब अरविंद केजरीवाल को दिल्‍ली से लेकर हरियाणा, गुजरात, पंजाब और गोवा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का मजबूर होना पड़ सकता है. ऐसा करने से कांग्रेस और आप दोनों को ही फायदा मिलेगा.

First Published :

February 09, 2025, 07:17 IST

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