Corona reduced hearing | कोरोना ने कम की सुनने की क्षमता
कोविड-19 का शिकार हो चुके लोगों में निकल कर आए साइड इफेक्ट
जयपुर
Published: April 24, 2022 03:22:50 pm
जयपुर
कोविड-19 का शिकार हो चुके लोगों में कई साइड इफेक्ट निकल सामने आए है। कोरोना होने के बाद वह भले ही संक्रमण से मुक्त हो गए हो, लेकिन संक्रमण जाते-जाते भी लोगों को तरह-तरह की बीमारियां दे रहा है। संक्रमण ने शरीर के कई अंगों को अपनी चपेट में ले रहा है।

Ear Pain
दिल, दिमाग, आंख के अलावा कान पर भी कोरोना ने असर दिखाया और लोगों में बहरेपन मतलब कानों से सुनने की क्षमता कम हो गई। कोरोना के साइड इफेक्ट से कान की बीमारी के मरीज भी सामने आए है। जिनके सुनने की क्षमता कम हो रही है। कान में दर्द, भारीपन, सनसनाहट, घंटी या सीटी बजने जैसी आवाज महसूस हो रही है। सवाई मानसिंह अस्पताल के नाक-कान-गला विभाग में गत दो माह में 500 से अधिक संख्या में ऐसे मरीज पहुँचे हैं।
इस तरह के दिखाई दे रहे लक्षण
एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ प्रो.डॉ.मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि इन दिनों ऐसे मरीज सामने आ रहे है जिनके कानों में घंटी, शोर या सीटी बजने की आवाजे आती हैं। इस बीमारी को टिनीटिस कहते है। वहीं कुछ ऐसे मरीज भी सामने आए हैं जिनमें अचानक सुनने की क्षमता कम हो गई हो या फिर वह बहरेपन के शिकार हो गए । इस तरह की बीमारी के शिकार हुए मरीज पहले कोरोना से भी संक्रमित हो चुके हैं।
अधिकतर उन्हीं लोगों में इस तरह के लक्षण देखने को मिले। ऐसे में माना यह जाता रहा है कि जिन्हें कोविड हुआ है उस वजह से कान में जो सुनाई देने वाली नस है उस में ब्लड की सप्लाई कम होने से इस तरह के लक्षण आ रहे हैं। या फिर जो सुनने का केंद्र है जिसे कोकिलिएर कहते हैं उसके माइक्रो सरकुलेशन का इलेक्ट्रॉनिक इंबैलेंस हो जाना या फिर ट्यूमर इसका कारण हो सकता है। हालांकि सही कारण क्या है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
लेकिन माना यह गया है कि कोरोना ने अब तक जिन अंगों को प्रभावित किया है उनमें ब्लड सप्लाई कम होने से साइड इफेक्ट आए हैं। कानों में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होना भी कारण है जो भी कोविड-19 का कारण है।
समय पर इलाज ही बचाव
ईएनटी विशेषज्ञ प्रो.डॉ.मोहनीश ग्रोवर ने कहा कि समय पर इलाज ही बचाव है। सुनने की क्षमता कम हो रही है। कान में दर्द, भारीपन, सनसनाहट, घंटी या सीटी बजने जैसी आवाज महसूस हो रही है तो तुरंत ही ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाएं।
क्योंकि समय पर चिकित्सक से सलाह लेने पर इलाज संभव है। शुरू के 5 से 7 दिन में ही डॉक्टर्स को परेशानी बताने पर कान में इंजेक्शन लगाए जाते हैं,स्टेरॉइड दिया जाता है और इलाज शुरू कर दिया जाता है। लेकिन देरी हुई तो फिर कोकलियर इंप्लांट भी सक्सेज नहीं होता है। लापरवाही उन्हें उम्रभर की बीमारी दे सकती है। लक्षण होने पर नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
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