Religion

The First day of Pitru Paksha- know the Importance of Uma Maheshwar Vrat on this day and its katha

इस दिन से ही शुरु होता है श्राद्धपक्ष

– भगवान विष्णु ने भी किया था ये व्रत

हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और श्री सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है। परंतु अनंत चतुर्दशी को दूसरे दिन भादों की इस पूर्णिमा को भगवान महेश्वर और उमा की पूजा की जाती है।

इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्वयं स्नानादि के पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को स्नान कराने के पश्चात उनका बेल पत्र, पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य आदि से पूजन किया जाता है। वहीं रात्रि में मंदिर मूर्ति के समीप जागरण करना चाहिए।

Special Secrets related to Sawan and Lord Shiv

पूजन के पश्चात सामर्थ के अनुसार ब्रह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए। मान्यता के अनुसार यह व्रत 15 वर्ष तक लगातार करना चाहिए।

वहीं 15 वर्ष पूरे होने पर उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन में विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा, हवन व आरती करके ब्रह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।

कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा, भगवान शंकर के दर्शन करके लौट रहे थे। तभी मार्ग में उनकी भेंट भगवान विष्णु से हो गई। महर्षि दुर्वासा ने भगवान शिव के द्वारा उन्हें दी गई बिल्व पत्र की माला भगवान विष्णु को भेंट कर दी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने वह माला अपने वाहन गरुड़ के गले में डाल दी।

Must read- Pitru Paksha 2021: कोरोना के मृतक आपके अपनों की कुंडली में बनाएंगे पितृ दोष व कालसर्प दोष!

Lord Shiva

इससे दुर्वासा ऋषि ने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को पथ भ्रष्ट होने का शाप दे दिया। उन्होंने कहा- हे विष्णु! तुमने शंकर का अपमान किया है, तुम्हारे पास से लक्ष्मी चली जाएगी, क्षीर सागर से हाथ धो बैठोगे और शेषनाग भी सहायता न देंगे।

यह सुनकर भगवान विष्णु ने दुर्वासा को प्रणाम कर शाप मुक्त होने का उपाय पूछा। इस पर ऋषि ने कहा- ‘ भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन उमा-महेश्वर का व्रत करो, तभी सब वस्तुएं मिलेंगी।’ तब भगवान विष्णु ने वैसा ही किया। व्रत के प्रभाव से समस्त शापित वस्तुएं भगवान विष्णु को पुन: मिल गईं।

व्रत का महत्व
भादो माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन मुख्य रूप से सत्यनारायण पूजा और उमा महेश्वर व्रत रखना बेहद विशेष माना गया है। दरअसल इस दिन से ही पितृपक्ष शुरु होता है ऐसे में यह व्रत बेहद ख़ास माना जाता है।

Must Read- Rashi Parivartan of Jupiter: मकर राशि में देवगुरु बृहस्पति का प्रवेश लाया बड़ा खतरा, जानें इस परिवर्तन का आप पर असर

मान्यता के अनुसार इस पूर्णिमा तिथि पर उमा महेश्वर व्रत रखने से माता पार्वती और शिव जी की कृपा बनी रहती है। जिसके चलते अनेक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

व्रत का लाभ
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा महेश्वर व्रत के संदर्भ में धार्मिक पुस्तकों में कई लाभ बताए गए हैं, जिसके अनुसार इस व्रत को करने वालों के मान सम्मान में वृद्धि होने के साथ ही जिन अविवाहितों के विवाह में देरी हो रही हो उनका विवाह भी शीघ्र ही हो जाता है। इसके अतिरिक्त यह भी मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा महेश्वर व्रत रखने से समाज में व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होने के अतिरिक्त उसे धन लाभ भी होता है।

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj